• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. फैक्ट चेक
  4. fact check of viral real photo of Rani Laxmibai of Jhansi
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 18 जून 2021 (17:42 IST)

Fact Check: जानें, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की ‘असली फोटो’ का सच

Fact Check: जानें, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की ‘असली फोटो’ का सच - fact check of viral real photo of Rani Laxmibai of Jhansi
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई आज ही के दिन साल 1858 में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए शहीद हुई थीं। इस मौके पर हम आज उनकी एक फोटो की सच्चाई बताएंगे जो काफी समय से शेयर की जाती रही है। इस फोटो के साथ दावा किया जाता है कि ये फोटो रानी लक्ष्मीबाई की असली तस्वीर है जिसे ब्रिटिश फोटोग्राफर हॉफमैन ने 1850 में खींचा था। आइए जानते हैं इस फोटो की सच्चाई..

क्या है वायरल फोटो में-

सोशल मीडिया पर एक अखबार की कटिंग खूब वायरल है। इसमें एक महिला खुले बाल, माथे पर बिंदी लगाए और कानों में झुमके पहने नजर आ रही है। कैप्शन में लिखा गया है कि इस फोटो को अंग्रेज फोटोग्राफर हॉफमैन ने खींची थी। ये भी लिखा गया है कि भोपाल में हुई विश्व फोटोग्राफी प्रदर्शनी में भी इसे दिखाया गया।

क्या है सच्चाई-

इस फोटो को देखकर ही शक होता है कि ये रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीर हो सकती है। तस्वीर में दिख रही महिला कैमरा फ्रेंडली दिख रही है। साथ ही, इस फोटो की क्वालिटी देखकर लगता है कि यह उस जमाने की फोटो नहीं हो सकती है।

वहीं, किसी भी ऑथेंटिक जगह पर हमें लक्ष्मीबाई का असली फोटो नहीं मिली। फिर हमने फोटोग्राफर हॉफमैन के बारे में जानकारी ढूंढनी शुरू की, तो एक फोटो हमारे सामने आई जो ब्रिटिश फोटोग्राफर द्वारा ली गई तस्वीर हो सकती है।

हमें मिले ब्लॉग के मुताबिक, ये फोटो अहमदाबाद के अमित अंबालाल नाम के पेंटर ने 1,50,000 रुपए में खरीदी थी और अपने फोटोग्राफर दोस्त वामन ठाकरे को दे दी थी। ठाकरे ने ही उस फोटो को भोपाल में एक प्रदर्शनी में लगाया था। बस, अखबार में लगी खबर में फोटो गलत छप गई थी।

हालांकि, इतिहाकारों ने इस फोटो पर भी सवाल उठाए हैं। 'द वॉर ऑफ 1857' के लेखक अमरेश मिश्रा कहते हैं कि उन्होंने यह फोटो कभी नहीं देखी है, ना ही अपने किताब के लिए रिसर्च के वक्त इसके बारे में सुना। उन्होंने आगे बताया कि उन्होंने हॉफमैन के बारे में भी कभी नहीं सुना।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और समथर के राजा रणजीत सिंह जूदेव के मताबिक, 1853 में राजा गंगाराव के मरने के बाद रानी लक्ष्मीबाई को झांसी की गद्दी मिली थी। फिर 1850 में वह सिंहासन पर बैठकर इस वेषभूषा में कैसे फोटो खिंचवा सकती हैं।
ये भी पढ़ें
मिल्खा सिंह के लिए दिन थोड़ा मुश्किल, ऑक्सीजन का स्तर घटा