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Last Updated : बुधवार, 21 अप्रैल 2021 (15:40 IST)

Fact Check: क्या सांस रोकने के इस टेस्ट से कोरोना संक्रमण का पता लगाया जा सकता है? जानिए सच

Fact Check: क्या सांस रोकने के इस टेस्ट से कोरोना संक्रमण का पता लगाया जा सकता है? जानिए सच - can COVID-19 be detected by going through this breathing exercise fact check
सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को लेकर कई तरह की अफवाहें फैल रही हैं। ऐसे ही एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि यदि कोई व्यक्ति किसी परेशानी के बिना एक निश्चित समय के लिए अपनी सांस रोक सकता है तो उसे कोरोना की बीमारी नहीं है। यूजर्स इसे कोरोना का टेस्ट बताकर शेयर कर रहे हैं।

क्या है वायरल वीडियो में-

फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस वीडियो को खूब शेयर किया जा रहा है। इस वीडियो में एक सीधी रेखा है, जिसे तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहले हिस्से में सांस लेने, दूसरे में सांस रोकने और तीसरे में सांस छोड़ने के लिए कहा गया है। वीडियो को शेयर करते हुए यूजर्स लिख रहे हैं, “यदि आप बिंदु के अनुसार A से B तक सांस रोक लेते हो तो आप कोरोना से मुक्त हो सकते हो।”



इस तरह के कई वीडियो पिछले साल से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।



क्या है सच्चाई-

वेबदुनिया ने वायरल हो रहे दावे को लेकर इंटरनेट पर सर्च किया तो हमें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वेबसाइट पर मिथ बस्टर सेक्शन मिला। इस सेक्शन में लिखा है कि 10 सेकंड या अधिक समय तक बिना परेशानी के सांस को रोक लेना इस बात का सबूत नहीं है कि आप कोरोना संक्रमण से मुक्त हैं।

WHO ने स्पष्ट किया है कि इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज से कोरोना संक्रमण का पता नहीं लगाया जा सकता। WHO के मुताबिक, ऐसा करना खतरनाक है और कोरोना संक्रमण की जांच का बेस्ट तरीका यह है कि आप लैब में टेस्ट करवाएं।

WHO ने अपने ट्विटर हैंडल से भी इससे संबंधित ग्राफिक को शेयर किया है।



भारत सरकार की प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने भी पिछले साल ऐसे ही एक फर्जी दावे के बारे में ट्वीट कर बताया था। PIB फैक्ट चेक ने अपने ट्वीट में लिखा है, “दावा: यदि आप बिना किसी परेशानी के 10 सेकंड के लिए अपनी सांस रोक सकते हैं, तो आपको कोरोनो की बीमारी नहीं है। PIB फैक्ट चेक: कोरोना वायरस से पीड़ित कई युवा 10 सेकंड से ज्यादा अपनी सांस रोक पाने में सक्षम होंगे, जबकि कई बुजुर्ग इतनी देर अपनी सांस को नहीं रोक सकेंगे। निष्कर्ष: फेक खबर।”



आगे की पड़ताल में हमें न्यूज एजेंसी एएफपी का एक फैक्ट चेक मिला, जिसमें एजेंसी ने अभी वायरल हो रहे वीडियो पर किए गए दावे का खंडन किया है। पूरा फैक्ट चेक यहां पढ़ें।
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