शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. वास्तु-फेंगशुई
  4. dhan rakhne ki disha
Last Updated : बुधवार, 6 नवंबर 2019 (14:10 IST)

घर की किस दिशा में धन और आभूषण रखने से क्या होगा, जानिए 8 दिशाओं का ज्ञान

घर की किस दिशा में धन और आभूषण रखने से क्या होगा, जानिए 8 दिशाओं का ज्ञान | dhan rakhne ki disha
वास्तु और ज्योतिष के अनुसार यदि धन या धन की तिजोरी सही दिशा में रखी जाए तो बरकत बरकरार रहती है। आओ मान्यता के आधार पर जानते हैं कि धन रखने की सही दिशा क्या होनी चाहिए, जिससे धन सुरक्षित रहकर दिन-प्रतिदिन बढ़ता रहे।
 
 
1.उत्तर दिशा : धन रखने के लिए उत्तर दिशा को सबसे शुभ माना गया है क्योंकि उत्तर दिशा के स्वामी धन के देवता कुबेर हैं। घर की इस दिशा में नगद और आभूषण जिस अलमारी में रखते हैं, वह अलमारी भवन की उत्तर दिशा के कमरे में दक्षिण की दीवार से लगाकर रखना चाहिए। इस प्रकार रखने से अलमारी उत्तर दिशा की ओर खुलेगी, उसमें रखे गए रुपए और आभूषण में हमेशा वृद्धि होती रहेगी।
 
 
2.ईशान कोण : उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा को ईशान कोण कहते हैं। कहते हैं कि यहां पैसा, धन और आभूषण रखने वाला घर का मुखिया बुद्धिमान माना जाता है। यह भी मान्यता है कि यह उत्तर-ईशान में रखे हों तो घर की एक कन्या और यदि पूर्व ईशान में रखे हों तो पुत्र बहुत बुद्धिमान और प्रसिद्ध होता है।
 
 
3.पूर्व दिशा : यहां घर की संपत्ति और तिजोरी रखना बहुत शुभ होता है और उसमें बढ़ोतरी होती रहती है।
 
 
4.आग्नेय कोण : दक्षिण-पूर्व के बीच की ‍दिशा को आग्नेय कोण कहते हैं। यहां धन रखने से धन घटता है। आमदानी से अधिक खर्च होता है जिसके कारण कर्ज की स्थिति बनी रहती है।
 
 
5.दक्षिण दिशा : इस दिशा में धन या आभूषण रखने से नुकसान तो नहीं होता परंतु बढ़ोतरी भी नहीं होती है।
 
 
6.नैऋत्य कोण : दक्षिण और पश्‍चिम के बीच की दिशा को नैऋत्य कोण कहते हैं। कहते हैं कि यहां धन और आभूषण वही व्यक्ति रखता है जिसने गलत ढंग से कमाया हो। मतलब मेहनत का कम होगा। हालांकि कहते हैं कि यहां धन टिकता जरूर है।
 
 
7.पश्चिम दिशा : इस दिशा में धन और आभूषण रखने से कोई खास लाभ ‍नहीं मिलता है। मान्यता अनुसार यहां धन रखने से बड़ी कठिनाई से धन घर में आता है।
 
 
8.वायव्य कोण : पश्चिम और उत्तर के बीच की दिशा को वायव्य कोण कहते हैं। यहां धन रखा हो तो बजट हमेशा गड़बड़ाया रहता है और व्यक्ति कर्ज और कर्जदार से परेशान रहता है। खर्च जितनी आमदनी भी जुटा पाना मुश्किल होता है।