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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 17 अक्टूबर 2024 (16:53 IST)

Deepawali Decoration : दीपावली पर वास्तु शास्त्र अनुसार सजाएंगे घर, माता लक्ष्मी होंगी प्रसन्न

Deepawali Decoration : दीपावली पर वास्तु शास्त्र अनुसार सजाएंगे घर, माता लक्ष्मी होंगी प्रसन्न - Diwali home decoration
eepawali Vastu 2024: हिन्दू धर्म के सबसे बड़े त्योहार दीपावली के लिए कई दिनों से घर में साफ-सफाई और रंग-रोगन का दौर शुरू हो जाता है। घर में सुख शांति और प्रसन्नता का वातावरण बना रहे इसलिए कई लोग घर की साज-सज्जा व रंगाई के लिए वास्तु और फेंगशुई के टिप्स भी आजमाते हैं। आप भी आजमाएं और माता लक्ष्मी को करें प्रसन्न।
 
दीपावली के लिए वास्तु के ये 10 टिप्स | 10 Vastu Tips for Diwali:-
1. रंग रोगन: दिवाली की पुताई के दौरान किस दिशा में कौनसा रंग करें यह जानना जरूरी है। उत्तर- हरा, पिस्ता या आसमानी, ईशान- पीला आसमानी या सपेद , पूर्व- सफेद या हल्का नीला, आग्नेय- नारंगी, पीला, सफेद या सिल्वर, दक्षिण- नारंगी, गुलाबी या लाल, नैऋत्य- भूरा या हरा, पश्‍चिम- नीला या हल्का नीला, वायव्य- हल्का स्लेटी, क्रीम या सफेद।
 
2. वंदनवार: आम या पीपल के नए कोमल पत्तों की माला को वंदनवार कहा जाता है। इसे अकसर दीपावली के दिन द्वार पर बांधा जाता है। वंदनवार इस बात का प्रतीक है कि देवगण इन पत्तों की भीनी-भीनी सुगंध से आकर्षित होकर घर में प्रवेश करते हैं। इसे इस बार वास्तु अनुसार ही सजाएं। नकली फूलों से या नकली वस्तुओं से ना सजाएं। वंदनवार सजाने के बाद दरवाजे के आसपास शुभ लाभ लिखें और स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं। द्वार के उपर गणेशजी का चित्र या मूर्ति लगएं।
 
3. देहरी पूजा: वास्तु के अनुसार दहलीज़ टूटी-फूटी या खंडित नहीं होना चाहिए। बेतरतीब तरह से बनी दहलीज नहीं होना चाहिए यह भी वास्तुदोष निर्मित करती है। द्वार की देहली (डेली) बहुत ही मजबूत और सुंदर होना चाहिए। कई जगह दहलीज होती ही नहीं जो कि वास्तुदोष माना जाता है। देहरी पर कभी पैर नहीं रखे जाते हैं। जो नित्य देहरी की पूजा करते हैं उनके घर में स्थायी लक्ष्मी निवास करती है। दीपावली के अलावा विशेष अवसरों पर देहरी के आसपास घी का दीपक लगाना चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी का प्रवेश सरल होगा।
 
4. रंगोली या मांडना: दिपावली के पांच दिनी उत्सव में रंगोली और मांडना बनाना 'चौंसठ कलाओं' में से एक है जिसे 'अल्पना' कहा गया है। वास्तुशास्त्र में इसका बहुत महत्व है। रंगोली और मांडनों को श्री और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह माना जाता है कि जिसके घर में इसका सुंदर अंकन होता रहता है, वहां लक्ष्मी निवास करती है। मांडना में चौक, चौपड़, संजा, श्रवण कुमार, नागों का जोड़ा, डमरू, जलेबी, फेणी, चंग, मेहंदी, केल, बहू पसारो, बेल, दसेरो, सातिया (स्वस्तिक), पगल्या, शकरपारा, सूरज, केरी, पान, कुंड, बीजणी (पंखे), पंच कारेल, चंवर छत्र, दीपक, हटड़ी, रथ, बैलगाड़ी, मोर, फूल व अन्य पशु-पक्षी आदि बनाया जाता है।
diwali mandana design
5. दीपक जलाना: दीए मिट्टी के ही होना चाहिए और तेल के दीये का महत्व जानना जरूरी है। असंख्य दीपों की रंग-बिरंगी रोशनियां मन को मोह लेती हैं। दुकानों, बाजारों और घरों की सजावट दर्शनीय रहती है। धनतेरस से भाईदूज तक अगल अलग तरीके से दीपक जलाया जाता है जिससे घर का वास्तु दोष दूर होता है और सभी तरह के संकट समाप्त हो जाते हैं। दीपावली पर दीये लगाते समय उनकी संख्या पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
 
6. कबाड़ कर दें बाहर: दीपावली के पूर्व ही हम टूटा-फूटा फर्नीचर, पुराने कपड़े, रद्दी पेपर, पुरानी मैग्जीन, टूटे कांच, चीनी के टूटे बर्तन आदि को घर से बाहर निकाल देते हैं। घर में इलेक्ट्रिक का कोई भी खराब या बंद उपकरण ना रखें। इसे कबाड़ में बेच दें। सफाई की सभी वस्तुएं जैसे झाडू, डस्टबिन, डस्टपान, डोरमेट आदि नए इस्तेमाल करें।
 
7. ईशान कोण और तिजोरी हो वास्तु अनुसार: स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए घर के ईशान कोण में एक चांदी, तांबा या स्टील के बर्तन में पानी भरकर रखें। तिजोरी ऐसी रखें कि वह उत्तर की दिशा में खुले। तिजोरी में स्वर्ण को पीले या लाल वस्त्र में लपेटकर रखें। दोनों ही जगहों पर सुगंध फैलाने के लिए इत्र का उपयोग कर सकते हैं, परंतु इत्र ना रखें। दीपावली के पांचों दिन रोज एक कम का फूल लाएं और उसे उत्तर या ईशान दिशा में रखकर उसकी पूजा करें।
 
8. सेंधा नमक का पौंछा लगाएं: नमक या सेंधा नमक का पौंछा लगाएं। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाएगी। इसमें चुटकी भर हल्दी डाल लेंगे तो सोने पर सुहाग समझो। इसके बाद घर में गुग्गल या चंदन से वातावरण को सुंगंधित बनाएं।
 
9. कर्पूर जलाएं: घर में सुबह और शाम को कर्पूर जरूर जलाएं। यह हर तरह के वास्तु दोष को समाप्त कर देता है और इसके कई लाभ हैं।
 
10. उत्तर दिशा और पीले या लाल वस्त्र: दीवाली की पूजा उत्तर दिशा या फिर उत्तर-पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए। इसके अनुसार पूजा करने वाले का मुख घर की उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। साथ ही पूजा के समय पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनें। घर के सभी सदस्य मिलकर ही पूजा करें।
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