Kitchen vastu Tips : किचन का वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा में होना चाहिए। इसी के साथ रसोईघर किस प्रकार का हो, किचन में कौनसी वस्तुएं रखें और किचन में किस वस्तु को कहां रखें यह भी वास्तु के अनुसार हो तो घर के सदस्या बीमार नहीं पड़ते हैं और घर में बरकत बनी रहती है। रसोईघर अर्थात किचन को वास्तु अनुसार बनाना जरूरी है अन्यथा यह रोग, शोक और धन की बर्बादी का कारण बन सकता है।
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किचन आग्नेय कोण में होना चाहिए।
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आग्नेय में नहीं तो पूर्व या वायव्य कोण में बना सकते हैं।
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पश्चिम और नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) में भूलकर भी किचन न बनाएं।
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यदि गलत दिशा में किचन बना है तो उपाय करें।
किचन आग्नेय कोण में होना चाहिए:-
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वास्तु विज्ञान के अनुसार रसोईघर आग्नेय कोण में होना शुभ फलदायी माना गया है।
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आग्नेय कोण की दिशा का स्वामी ग्रह शुक्र होता है। शुक्र ही सुख और समृद्धि देने वाला ग्रह है।
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किचन आग्नेय में नहीं है तो पूर्व में चलेगा। बाकी की दिशाओं से वास्तुदोष निर्मित होता है।
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रसोई घर की खिड़कियां बड़ी हों तो उत्तम होता है।
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इसके अलावा रसोई घर में प्राकृतिक रोशनी और हवा की व्यवस्था भी होना चाहिए।
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यदि किसी कारणवश प्राकृतिक रोशनी का अभाव हो तो कृत्रिम प्रकाश की व्यवस्था करने की सलाह दी जाती है।
किचन आग्नेय कोण में नहीं है तो क्या होगा?
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किचन यदि आग्नेय कोण में नहीं है तो इससे महिलाओं की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
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अन्न और धन की भी हानि होती है। इससे पाचन संबंधी अनेक बीमारियां हो सकती हैं।
किचन आग्नेय कोण में नहीं है तो क्या करें?
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रसोईघर दक्षिण-पूर्व यानी आग्नेय कोण में नहीं हो तब रसोई के उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सिंदूरी गणेशजी की तस्वीर लगानी चाहिए।
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यदि आपका रसोईघर अग्निकोण में न होते हुए किसी ओर दिशा में बना है तो वहां पर यज्ञ करते हुए ऋषियों की चित्राकृति लगाएं।
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यदि आग्नेय कोण में रसोई की व्यवस्था न हो सके तो पूर्व या वायव्य कोण ठीक रहता है, लेकिन इस स्थिति में यह ध्यान रखना जरूरी होगा कि रसोई घर चाहे जहां हो, भोजन आग्नेय कोण में ही बने। इससे बिगड़े काम भी बन सकते हैं।
इस दिशा में नहीं होना चाहिए किचन:-
- वास्तु के मुताबिक भूलकर भी घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में किचन नहीं बनाना चाहिए। इस दिशा में किचन का होना घर का एक बड़ा वास्तु दोष है। इसे घर की महिला रोगी होगी और अनावश्यक खर्चें बढ़ेंगे। नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण में भी किचन या रसोई घर अच्छा नहीं माना जाता है। इससे गृह कलह, परेशानी और दुर्घटना का भय बना रहता है।
- रसोई घर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में भूल से भी नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि इससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है। साथ ही खान-पान का खर्चा भी कई गुना बढ़ सकता है और अपव्यय की स्थिति बन सकती है।
- इसी प्रकार वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कोण में स्थित किचन/ रसोई घर भी न सिर्फ खर्च बढ़ाने वाला माना जाता है, बल्कि अग्नि दुर्घटना भी दे सकता है। किचन वायव्य कोण में हो और वहां घर की बहुएं काम करती हों तो उनका मन रसोई में नहीं लगेगा और वे एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाती पाई जाएंगी।
किचन की किस दिशा में क्या रखना चाहिए?
- रसोई घर की स्लैब जिस पर चूल्हा रखा जाता है, वह पूर्व या आग्नेय कोण में हो तो अच्छा रहता है, क्योंकि ऐसे में किचन में काम करने वाले का मुख स्वत: ही पूर्व दिशा की ओर होता है।
- पानी की टोंटियां, वॉश बेसिन, पीने का पानी आदि भी रसोई घर के ईशान कोण में हो तो अच्छा होता है। रसोई घर में पीने का पानी, एक्वागार्ड या फिल्टर आदि पूर्व या पूर्व-उत्तर के कोने में रखें।
- इसके अलावा फर्श का ढलान उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए और यदि फ्रिज रसोई घर में रखना हो तो उसे पश्चिम की दीवार के साथ रखना ठीक होता है। - बिजली के उपकरण जैसे- मिक्सी, टोस्टर, ओवन आदि आग्नेय कोण या दक्षिण में रखने की सलाह दी जाती है।
- रसोई का सामान रखने के लिए स्लैब, आलमारी आदि दक्षिण या पश्चिम में बनाना ठीक रहता है।
- दालें, अनाज और मसालों के भंडारण की व्यवस्था वायव्य कोण में करना चाहिए।
- रसोई में कार्य करते वक्त गृहिणी की पीठ रसोई के प्रवेश द्वार की ओर नहीं हो, तो बेहतर माना जाता है।
- रसोई घर में पानी और अग्नि को एकसाथ रखना विरोधाभासी स्थितियों को जन्म देता है। इस स्थिति में घर की स्त्री का मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है और घर में दैनिक कलह की स्थिति बन सकती है।
- इसी प्रकार फ्रिज की ठंडक का गैस चूल्हे से सामना या कपड़े धोने की मशीन का चूल्हे से एक सीध में होना या पानी की टंकी का गैस चूल्हे के सामने होना भी ऐसी ही स्थिति पैदा कर सकता है। इसका एकमात्र सरल उपाय जल या अग्नि में से किसी एक का स्थान परिवर्तन करना है। यदि ऐसा करना संभव न हो तो कम से कम फ्रिज या वॉशिंग मशीन को अलग-अलग दिशा रखने की सलाह दी जाती है।