आपसे होगा यक़ीनन मेरा रिश्ता कोई
जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोईलोग माज़ी1 का भी अंदाज़ा लगा लेते हैं मुझको तो याद नहीं कल का भी क़िस्सा कोईबेसबब आँखों में आँसू नहीं आया करते आपसे होगा यक़ीनन मेरा रिश्ता कोईयाद आने लगा एक दोस्त का बरताव मुझे टूट कर गिर पड़ा जब शाख़ से पत्ता कोईबाद में साथ निभाने की क़सम खा लेना, देख लो जलता हुआ पहले पतंगा कोई उसको कुछ देर सुना लेता हूँ रुदादे सफ़र2राह में जब कभी मिल जाता है अपना कोईकैसे समझेगा बिछड़ना वो किसी का 'राना'टूटते देखा नहीं जिसने सितारा कोई 1.
भूतकाल, पिछला 2. सफर के हालात