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Written By WD

जो राह तेरे दर पे रुकती हो

Aziz Ansari, Gazal | जो राह तेरे दर पे रुकती हो
अज़ीज़ अंसारी

बहुत अहम है मेरा काम नामाबर1 कर दे
मैं आज देर से घर जाऊँगा ख़बर कर दे

मिली है ज़ीस्त2 ये जैसी भी हमको जीना है
किसी को हक़ ये कहाँ है के मुख़्तसर3 कर दे

जो राह सीधी तेरे दर पे जाके रुकती हो
ऐ काश मेरा उसी राह से गुज़र कर दे

ज़माना खुद के सिवा सबको भूल जाता है
मैं चाहता हूँ मुझे ख़ुद से बेख़बर कर दे

1. नामाबर = ख़त लाने ले जाने वाला
2. ज़ीस्त = ज़िंदगी
3. मुख़्तसर = छोटी करना