बुधवार, 9 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. उर्दू साहित्‍य
  4. »
  5. शेरो-अदब
  6. जो राह तेरे दर पे रुकती हो
Written By WD

जो राह तेरे दर पे रुकती हो

अज़ीज़ अंसारी नामाबर
अज़ीज़ अंसारी

बहुत अहम है मेरा काम नामाबर1 कर दे
मैं आज देर से घर जाऊँगा ख़बर कर दे

मिली है ज़ीस्त2 ये जैसी भी हमको जीना है
किसी को हक़ ये कहाँ है के मुख़्तसर3 कर दे

जो राह सीधी तेरे दर पे जाके रुकती हो
ऐ काश मेरा उसी राह से गुज़र कर दे

ज़माना खुद के सिवा सबको भूल जाता है
मैं चाहता हूँ मुझे ख़ुद से बेख़बर कर दे

1. नामाबर = ख़त लाने ले जाने वाला
2. ज़ीस्त = ज़िंदगी
3. मुख़्तसर = छोटी करना