1. तुम्हारे घर में दरवाज़ा है लेकिन तुम्हें खतरे का अंदाज़ा नहीं है हमें खतरे का अंदाज़ा है लेकिन हमारे घर में दरवाज़ा नहीं है
2. हम को देखे तो कौन मानेगा बाग़ में बूद-ओ-बाश करते हैं दोस्ती है घने दरख्तों से और साया तलाश करते हैं
3. सैकड़ों मसअले हैं दरिया के कोई किन किन का हल तलाश करे जिसको गिरदाब से शिकायत है वो जज़ीरे में बूद-ओ-बाश करे
4. बेकसों का हमनवा होता है कौन लंतरानी हांकने वाले बहुत कोई खुल कर सामने आता नहीं रोज़नों से झांकने वाले बहुत
5. हज़ारों सरहदों की बेड़ियाँ क़दमों से लिपटी हैं हमारे पांव को भी पर बना देता तो अच्छा था परिन्दों ने कभी रोका नहीं रस्ता परिन्दों का खुदा दुनिया को चिड़ियाघर बना देता तो अच्छा था