ईद और चाँद से मुताल्लिक़ अशआर
* जब से फ़लक पे चाँद का दीदार हुआ है हर दिल से शादमानी का इज़हार हुआ है- -----अ. अंसारी * इक दोस्त दोस्तों को खिलाने पे है अड़ा पहले तो शीर-ख़ुर्मा है फिर है दही-बड़ा----अ. अंसारी * घर-घर जाकर तुम यारों से आज सईद मिलो भूल के सारी गुज़री बातें, दिल से ईद मिलो- ---अ. अंसारी * बहुत दिनों के बाद हुई है हमें चाँद की दीद कल हमने खेली थी होली आज मनाएँ ईद---अ. अंसारी * उन्नीसवीं को रुख़ की तेरे दीद हो गई अब चाहे चाँद हो के न हो ईद हो गई-------नामालूम * साक़ी हूँ तीस रोज़े से मुशताक़ दीद का दिखला दे जाम-ए-मय में मुझे चाँद ईद का------आतिश * बे यार रोज़-ए-ईद शब-ए-ग़म से कम नहीं जाम-ए-शराब दीदा-ए-पुरनम से कम नहीं-------ज़ौक़ * नसीब जिनको तेरे रुख़ की दीद होती है वो ख़ुशनसीब हैं ख़ूब उनकी ईद होती है---------अमीर मीनाई * नमाज़-ए-ईद हुई मयकदे में धूम है आज रियाज़ बादा कशों ने मुझे इमाम किया---------रियाज़ ख़ैराबादी * तीस दिन के लिए तर्क-ए-मओ-साक़ी कर लूँ वाइज़े-सादा को रोज़ों में तो राज़ी कर लूँ--------शिबली नोमानी* दिल से रुख़सत हर इक उमीद हुई आज हम ग़मज़दों की दीद हुई ---------असर लखनवी