भाजपा का अभेद्य किला, जहां धर्म नहीं विकास जीतता है...
उत्तर प्रदेश के कानपुर में इस समय चुनाव को लेकर सभी पार्टियां बड़े ही जोरों शोरों के साथ तैयारियों में जुटी हैं और सीट के अनुसार हर विधानसभा की रणनीति बनाकर चुनाव मैदान मैदान में डटी हुई हैं। आज हम ऐसे विधानसभा क्षेत्र के बारे में आपको बता रहे हैं, जहां 1991 से भाजपा के इस अभेद्य किले में कोई सेंध नहीं लगा पाया।
आखिर ऐसी कौनसी सीट है, जहां 1991 के बाद से कभी भी भाजपा को हार का मुंह नहीं देखना पड़ा। यह है कानपुर की कैंट विधानसभा सीट। यहां से समाजवादी पार्टी ने पहले बाहुबली अतीक अहमद को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन पारिवारिक कलह के चलते उन्हें पीछे हटना पड़ा था क्योंकि सपा से उनका गठजोड़ नहीं हो पाया।
इस सीट की सबसे खास बात यह है कि यहां पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है। इसके बावजूद इस सीट पर हिन्दू प्रत्याशी ही सफल रहा है। चाहे हम बात कर ले 1989 की तो इस सीट पर जनता दल के उम्मीदवार गणेश शंकर दीक्षित विजय हुए थे। 1991 से लेकर 2012 तक की बात करें तो इस सीट पर भाजपा के वरिष्ठ नेता सतीश महाना विधायक रहे।
परिसीमन के चलते महाना को महाराजपुर से चुनाव लड़ना पड़ा, लेकिन 2012 के चुनाव में यहां से फिर हिंदू प्रत्याशी रघुनंदन भदौरिया विजय हुए। इससे एक बात तो यहां पर स्पष्ट हो गई कि कैंट विधानसभा में जाति की राजनीति खुद जनता लंबे समय से नहीं कर रही है। इस विधानसभा की जनता प्रत्याशी को देखकर ही कोई फैसला लेती है। यहां का मुख्य मुद्दा विकास ही होता है। यहां के मतमदाताओं को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनका उम्मीदवार हिन्दू है अथवा मुस्लिम।
क्या बोली जनता? : कैंट विधानसभा में रहने वाले महमूद अनवर कहते हैं कि हमारी विधानसभा के लोगों का मुख्य मुद्दा विकास होता है पर हम उसी प्रत्याशी को विजयी बनाते हैं जो हमारी विधानसभा के बारे में सोचता हूं और हमारे सुख दुख में हमारे साथ खड़ा होता हो, चाहे वह किसी पार्टी का हो या फिर किसी भी धर्म का, क्योंकि विकास धर्म व जाति के आधार पर नहीं होता है वह व्यक्ति की सोच पर होता है। हमने अभी तक जितनों को भी जिताया है वह इसी सोच से जिताए हैं कि वह हमारी विधानसभा का विकास करेंगे। ऐसा हुआ भी क्योंकि हमारी विधानसभा में ज्यादातर प्रत्याशी चुनाव लड़ता है ना कि कोई पार्टी। इसलिए हम लोग यह नहीं देखते कि वह भाजपा से है या फिर समाजवादी पार्टी से, हमारा मकसद तो सिर्फ व्यक्ति विशेष से होता है और वह किसी जाति या धर्म का है, इससे हमें कोई मतलब नहीं होता।
अजीतसिंह, अनुराग कश्यप, शहनवाज हुसैन, मोहम्मद तारिक आदि ने बताया कि कैंट विधानसभा कानपुर की कैसी विधानसभा है, जहां हम सभी अपनी विधानसभा के विकास को पहले देखते हैं बाकी चीजें बाद की होती हैं। साथ ही साथ हमारी विधानसभा से लड़ने वाले प्रत्याशी का क्या आधार है, वह कितना जनता का हित सोचता है, इन्हीं सब चीजों को देखकर हम वोट करते हैं। हम उसी को जिताते हैं जो जाति और धर्म से बहुत ऊपर हो और वह इंसान को इंसान समझता। यदि प्रत्याशी इन सब चीजों में फिट बैठता है तो हम उसे अपना विधायक चुन लेते हैं।