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ताप लहर के दौरान ठंडा रहना बच्चों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वयस्कों की तुलना में उनके शरीर का तापमान नियंत्रित करना कठिन होता है।
यूरोप में हर वर्ष बेतहाशा गर्मी पड़ने से लगभग एक लाख 75 हज़ार लोगों की मौत हो जाती है और अधिक अफ़सोस की बात ये है कि पृथ्वी पर तापमान वृद्धि होने के साथ-साथ, इस संख्या में बढ़ोत्तरी होने के अनुमान हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुक्रवार को यह चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यूरोपिय देशों में वैश्विक औसत की तुलना में दोगुनी तेज़ी से तापमान बढ़ रहा है।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी– WHO के यूरोप में क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर रैंस क्लूग का कहना है कि पूरे यूरोप में 50 से अधिक देशों को बहुत भारी क़ीमत चुकानी पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि यूरोप में सबसे गर्म रहे साल वर्ष 2020 के बाद से ही दर्ज किए गए हैं और दस सबसे अधिक गर्म साल भी वर्ष 2007 के बाद से दर्ज किए गए हैं।
गर्मी से अत्यधिक मौतें : डॉक्टर क्लूग का कहना है कि यूरोपिय क्षेत्र में जलवायु सम्बन्धी कारणों से होने वाली मौतों में सबसे अधिक मौतों के लिए अत्यधिक गर्मी ज़िम्मेदार है।
अत्यधिक तापमान की मौजूदा स्थितियों की ही तरह तापमान वृद्धि, अनेक बीमारियों की गम्भीरता को बढ़ा रही है जिनमें हृदय, सांस, रक्त व धमनी रोग, मानसिक स्वास्थ्य और डायबटीज़ सम्बन्धी बीमारियाँ शामिल हैं।
उनका कहना है कि अत्यधिक गर्मी की मौजूदा स्थिति वृद्धजन के लिए बहुत ख़तरनाक है, विशेष रूप से उन बुज़ुर्गों के लिए जो अकेले रहते हैं। उनके अलावा इस तरह की गर्मी गर्भवती महिलाओं पर भी अतिरिक्त बोझ डाल सकती है।
सुरक्षा उपायों की सख़्त ज़रूरत : विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO ने ज़ोर दिया है कि और अधिक देशों की सरकारों को कमज़ोर स्वास्थ्य व परिस्थितियों वाले लोगों पर गर्मी के अत्यधिक असर को कम करने के लिए और अधिक कार्रवाई करनी होगी।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने आगाह किया है कि WHO के योरोप क्षेत्र में 20 से अधिक देशों में इस तरह की योजनाएं लागू हैं, मगर वो सभी समुदाय की हिफ़ाज़त करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने भी कुछ दिन पहले, अत्यधिक गर्मी से निपटने के लिए कार्रवाई किए जाने की पुकार लगाई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि पृथ्वी लगातार गर्म से गर्मतर होती जा रही है और हर जगह, हर किसी के लिए और भी अधिक ख़तरनाक बनती जा रही है।
WHO ने ध्यान दिलाया है कि दुनिया भर में कुछ स्थानों पर तो जलवायु आपदा के कारण, तापमान वृद्धि असहनीय स्तर पर पहुंच रही है।
यूएन एजेंसियों के अनुमानों के अनुसार वर्ष 2000 से 2019 के बीच हर वर्ष गर्मी से सम्बन्धित घटनाओं में 4 लाख 89 हज़ार से अधिक लोगों की मौतें हुईं, जिनमें से 36 प्रतिशत मौतें योरोपीय क्षेत्र में हुईं। औसतन ये संख्या पौने दो लाख प्रतिवर्ष बैठती है।