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Last Modified: शनिवार, 27 जनवरी 2024 (19:31 IST)

हॉलोकॉस्ट स्मरण दिवस: बढ़ती नफ़रत के विरुद्ध एक साथ खड़े होने की पुकार

holocaust remembrance day UN
UN Photo/Manuel Elias
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नात्सियों ने 60 लाख से ज़्यादा यहूदियों और उनके साथ रोमा, सिन्ती समूहों के लोगों का संहार किया था, और अन्य अनगिनत पीड़ितों को अभूतपूर्व भयावहता व क्रूरता के दौर से गुज़रना पड़ा।  यहूदी जनसंहार – हॉलोकॉस्ट – के पीड़ितों की स्मृति में 27 जनवरी को यह अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।
 
महासचिव ने सचेत किया कि 7 अक्टूबर को इसराइल में घृणित आतंकी हमलों के बाद, नफ़रत में उभार आने के संकेत मिल रहे हैं, जिन में बड़ी संख्या में इसराइली व अन्य देशों के नागरिकों की जान गई थी। 
 
यूएन के शीर्षतम अधिकारी के अनुसार, आज एक ख़तरनाक और विभाजित दुनिया में, और हमास के भयावह आतंकी हमलों के कुछ महीनों के भीतर यह स्मृति दिवस महत्वपूर्ण है।
 
“नेताओं और नागरिकों, हम सभी का यह दायित्व है कि हम जीवित बचे व्यक्तियों और पीड़ितों को सुनें और उनसे सीखें। मानवता के विरुद्ध इन भयावह अपराधों की निन्दा करके, यहूदीवाद-विरोध और कट्टरता, नफ़रत व असहिष्णुता के सभी रूपों के उन्मूलन का प्रयास करके, और सर्वजन के लिए एक साझा, सुरक्षित व समावेशी भविष्य की ओर रास्ते की तलाश करके।”
 
इस सिलसिले में शुक्रवार को हुए कार्यक्रम में पीड़ितों व जीवित बचे लोगों के असाधारण साहस की थीम को रेखांकित किया गया। 
 
सेलमा टेनेनबॉम रोस्सेन और इडीथ टेनेनबॉम शपिरो नामक दो बहनें, पोलैंड के यातना शिविरों में जीवित बच गई थीं, और उन्होंने शुक्रवार को आयोजित समारोह में अपने अनुभवों व पीड़ा को साझा किया।
 
निरन्तर सतर्कता पर बल
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने आग्रह किया कि नफ़रत और दरार पैदा करने वाली शक्तियों के विरुद्ध एक साथ मिलकर खड़ा होना होगा.
 
महासचिव गुटेरेश के अनुसार, हॉलोकॉस्ट को ईंधन देने वाली यहूदी विरोधी नफ़रत, नात्सियों के साथ शुरू नहीं हुई थी, और ना ही उनकी पराजय पर ख़त्म हो गई. 
 
उसके पहले से ही हज़ारों सालों का भेदभाव, बहिष्करण, निर्वासन और सर्वनाश का इतिहास रहा है। 
 
“आज, हम चिन्ताजनक रफ़्तार से फैल रही नफ़रत को सीधे तौर पर देख रहे हैं. ऑनलाइन, यह हाशिए से मुख्यधारा में आ चुकी है.” यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि नफ़रत से निपटने के लिए सभी को अपनी आवाज़ उठानी होगी।
 
“आइए, हम भेदभाव के सामने कभी चुप ना बैठें, और सहिष्णुता के प्रति कभी सहनशील ना हों। आइए, हम सर्वजन के मानवाधिकारों और गरिमा के पक्ष में आवाज़ उठाएं।" 
 
"आइए, हम कभी एक दूसरे की मानवता से मुँह ना फेरें, और सतर्कता में कभी ढिलाई ना बरतें।”
 
 
अहम दायित्व
यूएन महासभा अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस ने पहले से रिकॉर्ड किए गए अपने एक वीडियो सन्देश में हॉलोकॉस्ट स्मरण और शिक्षा को बढ़ावा देने पर बल दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके जनसंहार के अपराध को कभी सामान्य मानकर ना देखा जाए।
 
साथ ही, उसे किसी भी परिस्थिति में न्यायोचित ठहराए जाने से रोकना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वो कभी दोहराया ना जा सके। 
 
महासभा अध्यक्ष ने कहा कि जीवित बच गए व्यक्तियों और पीड़ितों की व्यथा कथा हमें अपने दायित्व के प्रति ध्यान दिलाती है कि बढ़ती नफ़रत और असहिष्णुता का सामना करना होगा।
 
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हम इत्मीनान से हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठ सकते हैं. डेनिस फ़्रांसिस के अनुसार यह हम सभी के लिए एक चेतावनी है कि व्यापक नफ़रत, नस्लवाद, पूर्वाग्रह और असहिष्णुता के विरुद्ध हमें सावधान बने रहना होगा। 
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