मंगलवार, 12 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. UN News
  4. Children in Gaza malnutrition helpless gaza
Written By UN
Last Updated : शनिवार, 8 जून 2024 (13:05 IST)

ग़ाज़ा: पीड़ित परिवारों की गुज़र-बसर का बोझ बच्चों के कन्धों पर भी, ILO रिपोर्ट

gaza
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने आगाह किया है कि ग़ाज़ा में इसराइल-हमास युद्ध भड़कने के आठ महीने बाद गुज़र-बसर के लिए संघर्ष कर रहे हताश परिवार अपने बच्चों को काम पर भेजने के लिए मजबूर हैं। यूएन एजेंसी के अनुसार, ग़ाज़ा में बेरोज़गारी दर 80 प्रतिशत के आंकड़े के पास पहुंच गई है।

यूएन श्रम एजेंसी ने शुक्रवार को जारी अपनी एक नई रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि हिंसक टकराव की वजह से फ़लस्तीन रोज़गार बाज़ार और ग़ाज़ा पट्टी व पश्चिमी तट से इतर, वृहद अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व नुक़सान पहुंचा है।

इससे पहले ILO महानिदेशक गिलबर्ट हांगबो ने गुरूवार को जिनीवा में 112वें अन्तरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा था कि ग़ाज़ा में श्रम बाज़ार वस्तुत: ध्वस्त हो गया है।

पिछले वर्ष 7 अक्टूबर को इसराइल पर हमास के आतंकी हमलों के बाद इसराइल ने ग़ाज़ा में बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई शुरू की, जिससे वहां एक बड़ा मानवीय संकट उपजा है। ‘आज ग़ाज़ा तबाह हो चुका है। आजीविकाएं चकनाचूर हो चुकी हैं और मुश्किल से काम मिल पा रहा है। श्रम अधिकार पूरी तरह से ख़त्म कर दिए गए हैं’

कठिन समय: यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि वर्ष 1967 के बाद से, यह फ़लस्तीनी कामगारों के लिए सबसे मुश्किल साल साबित हुआ है। पहले कभी इतनी मायूसी भरी स्थिति को नहीं देखा गया।

ILO और सांख्यिकी पर फ़लस्तीनी ब्यूरो के विश्लेषण के अनुसार, ग़ाज़ा पट्टी में बेरोज़गारी दर 79.1 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। वहीं, क़ाबिज़ पश्चिमी तट युद्ध से सीधे तौर पर प्रभावित नहीं है, मगर मौजूदा संकट का उस पर असर हुआ है, और हर तीन में से एक व्यक्ति बेरोज़गार है।

‘The situation of Workers in the Occupied Arab Territories’ शीर्षक वाला यह अध्ययन बताता है कि क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्रों के इन दो इलाक़ों में बेरोज़गारी की औसत दर 50.8 प्रतिशत है।

विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका है, चूंकि फ़िलहाल ऐसे व्यक्ति इसमें शामिल नहीं हैं, जिन्होंने काम के अवसरों के अभाव में पूरी तरह से श्रम बल को छोड़ दिया हो।

ग़ाज़ा में पिछले आठ महीनों के दौरान, कुल आर्थिक उत्पादन क़रीब 83.5 प्रतिशत सिकुड़ा है, जबकि पश्चिमी तट के लिए यह आंकड़ा 22.7 प्रतिशत है। सम्पूर्ण क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों की अर्थव्यवस्था में 33 प्रतिशत की गिरावट आई है।

स्वास्थ्य मोर्चे पर थोड़ी राहत : इस बीच, ग़ाज़ा में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि कठिनाइयों के बावजूद, मेडिकल सामग्री से लदा ट्रक और एक ट्रेलर दक्षिणी ग़ाज़ा में स्थित केरेम शेलॉम चौकी के ज़रिये वहां पहुंचा है।

यह चिकित्सा सामग्री स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों में मुहैया कराई जाएगी, और इससे हाइपरटेंशन, हृदय रोग, डायबिटीज़ जैसी बीमारियों से पीड़ित हज़ारों लोगों के उपचार में मदद मिलेगी।

यूएन एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि रफ़ाह चौकी अब भी बन्द है, जबकि वहाँ से अधिक मात्रा में चिकित्सा सामग्री को रवाना किए जाने की आवश्यकता है।

ग़ाज़ा पट्टी में 7 अक्टूबर के बाद से अब तक, स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर 464 हमले होने की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें 727 लोगों की जान गई है और 933 घायल हुए हैं।

रफ़ाह के ज़रिये राहत : फ़िलहाल, इसराइली सैन्य कार्रवाई के मद्देनज़र, दक्षिणी ग़ाज़ा में स्थित रफ़ाह शहर में रह रहे लोगों की संख्या घटकर एक लाख से भी कम पहुंच गई है।

मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) ने बताया कि क़रीब 10 लाख लोग, फिर से विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए हैं, और उन्होंने अब ख़ान यूनिस, डेयर अल बालाह का रुख़ किया है।

टकराव बढ़ने से इस इलाक़े में जीवनरक्षक आपूर्ति में भी बड़ा व्यवधान आया है. मिस्र से रफ़ाह चौकी के ज़रिये ग़ाज़ा में ईंधन आपूर्ति पर नकारात्मक असर हुआ है, जिससे ट्रकों की आवाजाही, अस्पतालों में कामकाज, सीवर प्रणाली, जलशोधन संयंत्र व बेकरी प्रभावित हैं।

यूएन मानवतावादी कार्यालय के अनुसार, मानवीय सहायता क़ाफ़िलों को अब भी लड़ाई से प्रभावित रास्तों से बचते हुए निकलना पड़ रहा है, सड़कें क्षतिग्रस्त हैं, बिना फटी आयुध सामग्री बिखरी हुई है और बार-बार देरी हो रही है।
ये भी पढ़ें
क्‍या है थप्पड़ मारने की सजा? उस CISF कॉन्‍स्‍टेबल कुलविंदर कौर का क्या होगा जिसने कंगना को मारा थप्पड़