पर्यटन स्थलों पर पंजीयन हो अनिवार्य
न करें प्रकृति से खिलवाड़
हमारा देश धार्मिक है और आस्थाओं के आगे यहां नियम-कानून कुछ नहीं चलते, जबकि विदेशों में प्रकृति से खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं है। प्राकृतिक स्वरूप को वहां संभालकर रखा जाता है। वहां हर पर्यटन स्थल पर पंजीयन अनिवार्य है, साथ ही उन्हें पर्यटन सूचना केंद्र से आवश्यक जानकारी दी जाती है। अगर वह इलाका पानी का है, तब दुर्घटना की स्थिति में बचाव के बारे में बताया जाता है। पर्यटकों के पास विपरीत परिस्थितियों में बचने के लिए पर्याप्त साधन हैं या नहीं, इस बात की जानकारी लेने के बाद ही उन्हें जाने दिया जाता है। मौसम के अनुसार बदलाव की जानकारी भी दी जाती है। यह सबकुछ वेबसाइट्स पर उपलब्ध रहता है, अगर प्रकृति से छेड़छाड़ का कृत्य कोई करे तो सजा का भी प्रावधान है।विदेशों में प्राकृतिक स्थलों जैसे झीलों, तालाबों, नदियों और जलप्रपातों को लेकर काफी कड़े नियम हैं। यह नियम बोटिंग करने वालों पर भी लागू होते हैं। अगर कोई प्रतियोगिता भी आयोजित होती है, तब संबंधित विभाग इस बात की तस्दीक करता है कि बचाव दल, मेडिकल टीम आदि की कितनी तैयारी है। अब हाल ही में महाराष्ट्र के कोंकण इलाके के गणपति के समुद्र तटों पर सरकार द्वारा कई चेतावनी बोर्ड लगाए हैं। इनमें साफ लिखा है कि यहां पर इतने लोगों की मौत हो चुकी है, इससे आगे न जाएं।