टोक्यो। भारत के निषाद कुमार ने रविवार को यहां टोक्यो पैरालंपिक की पुरूषों की ऊंची कूद टी47 स्पर्धा में एशियाई रिकार्ड के साथ रजत पदक जीता जबकि चक्का फेंक एथलीट विनोद कुमार ने भी एशियाई रिकार्ड बनाकर पुरूषों की एफ52 स्पर्धा में कांस्य पदक अपने नाम किया।
इससे भारत ने रविवार को तोक्यो पैरालंपिक खेलों में तीन पदक हासिल किये, इन दोनों से पहले भाविनाबेन पटेल ने सुबह महिलाओं की एकल टेबल टेनिस क्लास 4 स्पर्धा में रजत पदक जीता था।
भारत के 24 सदस्यीय एथलेटिक्स दल से इस बार शानदार प्रदर्शन (कम से कम 10 पदक) की उम्मीद है और उसने इसी कड़ी में रविवार को राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर अच्छी शुरूआत की।
इक्कीस वर्षीय निषाद कुमार ने 2.06 मीटर की कूद लगाकर एशियाई रिकार्ड बनाया और दूसरे स्थान पर रहे। अमेरिका के डलास वाइज को भी रजत पदक दिया गया क्योंकि उन्होंने और निषाद कुमार दोनों ने समान 2.06 मीटर की कूद लगायी।
एक अन्य अमेरिकी रोडरिक टाउनसेंड ने 2.15 मीटर की कूद के विश्व रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इसी स्पर्धा में एक अन्य भारतीय राम पाल 1.94 मीटर की कूद से पांचवें स्थान पर रहे।
बीएसएफ के 41 साल के जवान विनोद कुमार ने 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से तीसरा स्थान हासिल किया। वह पोलैंड के पियोट्र कोसेविज (20.02 मीटर) और क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे रहे जिन्होंने क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किये।
हिमाचल प्रदेश के अम्ब शहर के निषाद कुमार के पिता किसान हैं। उनका दायां हाथ खेत पर घास काटने वाली मशीन से कट गया था तब वह आठ वर्ष के थे। साल के शुरू में जब वह बेंगलुरू के भारतीय प्राधिकरण केंद्र में ट्रेनिंग कर रहे थे तो कोविड-19 से भी संक्रमित हो गये थे।
टी47 क्लास स्पर्धा में एथलीट के एक हाथ के ऊपरी हिस्से में विकार होता है जिससे उसके कंधे, कोहनी और कलाई से काम करने पर कुछ असर पड़ता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, तोक्यो से एक और खुशी की खबर आयी है। बहुत खुश हूं कि निषाद कुमार ने पुरूषों की ऊंची कूद टी47 स्पर्धा में रजत पदक जीत लिया है। वह उत्कृष्ट कौशल वाले शानदार एथलीट हैं। उन्हें बधाई।
निषाद कुमार ने साल के शुरू में दुबई में हुई फाज्जा विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री में पुरूषों की ऊंची कूद टी46/47 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने 2009 में पैरा एथलेटिक्स में हिस्सा लेना शुरू किया था।
विनोद कुमार के पिता 1971 भारत-पाक युद्ध में लड़े थे। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में जुड़ने के बाद ट्रेनिंग करते हुए वह लेह में एक चोटी से गिर गये थे जिससे उनके पैर में चोट लगी थी। इसके कारण वह करीब एक दशक तक बिस्तर पर रहे थे और इसी दौरान उनके माता-पिता दोनों का देहांत हो गया था।
मोदी ने ट्वीट किया, विनोद कुमार के शानदार प्रदर्शन से भारत खुश है। कांस्य पदक के लिये उन्हें बधाई। उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से शानदार परिणाम मिल रहा है।
एफ52 स्पर्धा में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती है, हाथों में विकार होता है या पैर की लंबाई में अंतर होता है जिससे खिलाड़ी बैठकर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते हैं। रीढ़ की हड्डी में चोट वाले या ऐसे खिलाड़ी जिनका कोई अंग कटा हो, वे भी इसी वर्ग में हिस्सा लेते हैं। (भाषा)