टीआरपी के लिए चैनल कुछ भी करेगा। मार-पीट भी। "बिंदास" पर "इमोशनल अत्याचार" सीजन टू...। प्रस्तोता प्रवेश राणा...। वही "बिग बॉस" वाले अति महत्वकांक्षी प्रवेश राणा...। यदि हिडन यानी छुपे हुए कैमरे प्रवेश राणा का पीछा करें, तो प्रवेश राणा भी "लॉयल्टी टेस्ट" में फेल हो जाएँ।
अगर याद हो तो बिग बॉस में प्रवेश राणा एक विदेशी गोरी से मुहब्बत सरीखा कुछ करने लगे थे। अब उस गोरी छोरी का क्या हुआ? क्या यह भी एक तरह का "इमोशनल अत्याचार" नहीं है कि जब बंद घर में करने को कुछ नहीं था, तो छोरी से इश्क लड़ाने लगे और बाद में जब करिटर सामने आया, लड़कियों के मामले में भी विकल्प और खुल गए तो गोरी छोरी को भूल गए। खैर छोड़िए...।
इमोशनल अत्याचार सीजन टू गुंडागर्दी के साथ शुरू हुआ है। इस शो को चलाने के लिए बाकायदा मोटे ताजे गुंडे रखे गए हैं। इन गुंडों का काम? काम सीधा साफ है, जब लड़के को कथित बेवफाई करते रंगे हाथ पकड़ लिया जाए, तो फिर उसे जाने न दिया जाए। वरना कोई लड़का कह सकता है कि भाड़ में जाए ये शो और भाड़ में जाए ये लॉयल्टी टेस्ट कराने वाली लड़की। मैं किसी का दबेलदार नहीं हूँ जो अपने किसी भी काम के लिए जवाब दूँ।
रही बात इस लड़की की, जो आपने मेरे पास भेजी थी और जिसे आप अंडरकवर एजेंट कहते हैं, तो सुन लीजिए कि ये लड़की खुद मुझ पर आकर गिरी। ये गंदी सी, रद्दी सी लड़की आप ही को मुबारक हो। मैं तो लिहाज के चलते इसके साथ आ गया था। आप नहीं चाहते तो ये बंदा चला अपने घर...।
पकड़ाने वाला लड़का यह सब न कहे, इसलिए कैमरा क्रू के साथ कुछ मुस्टंडे भी आते हैं। जिस जगह लड़के को रंगे हाथ धरा जाता है, वो जगह लड़की की चुनी हुई यानी शो वालों की तय की हुई होती है। जितनी देर लड़के को धमकाकर वहीं रखा जाता है, उतनी देर लड़का टेक्निकली किडनैप ही रहता है।
जिस तरह बार में आजकल "बाउंसर" होते हैं, यहाँ भी तगड़े लोग लड़के को धमकाकर रोके रखते हैं। जब लड़की एक बार देख लेती है कि लड़का शिकंजे में है, वो मारपीट शुरू कर देती है। पिछले दो-तीन एपिसोड से लड़कियाँ लड़के को तमाचे मार रही हैं। अगर लड़का किसी लड़की पर हाथ छोड़े तो कानूनन अपराध है। लड़की अगर किसी लड़के को मारे तब भी बात वही है। पता नहीं क्यों लोग इस शो के खिलाफ कुछ नहीं कह रहे, कुछ नहीं कर रहे। कथित अंडरकवर एजेंट लड़कों के साथ इतनी फिजिकल हो जाती हैं कि समझ नहीं आता लॉयल्टी टेस्ट में ये लड़का फेल हुआ है या अंडरकवर एजेंट...।
बड़े-बड़े ऋषि-मुनि जिस टेस्ट में गच्चा खा गए वो टेस्ट साधारण लड़कों का लिया जाता है। सबसे पहले तो यही अत्याचार है। फिर किसी की निजी जिंदगी को इस तरह सार्वजनिक करना अत्याचार है। किसी बंद घर में किसी को उसकी इच्छा के खिलाफ रोककर रखना अत्याचार भी है और कानूनी अपराध भी।
जिस दिन किसी कानूनचीं के लड़के को "इमोशनल अत्याचार" वालों ने पकड़ा, उस दिन मालूम पड़ेगा कि निजी जिंदगी में घुसना क्या होता है और थप्पड़ लगवाना किसे कहते हैं। तमाम "अंडरकवर एजेंट्स" के साथ शो के निर्माता, प्रस्तोता वगैरह को पीड़ित के आगे लमलेट होना पड़ेगा। बड़े शहरों में लड़कियों के दलाल कई बार लोगों को ललचाकर लूट लेते हैं। इस शो का मिजाज भी कुछ इसी तरह का है।