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हरियाली तीज के दिन पढ़ी और सुनी जाती है यह प्रामाणिक कथा

हरियाली तीज के दिन पढ़ी और सुनी जाती है यह प्रामाणिक कथा - Hariyali Teej Katha 2022
Hariyali Teej Katha
 

Hariyali teej story हरियाली तीज का त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज कहते हैं। इसे श्रावणी तीज के नाम से जाना जाता हैं। इस दिन महिलाएं माता पार्वती जी और भगवान शिव जी की पूजा करती हैं। इस वर्ष यह पर्व 31 जुलाई 2022 को मनाया जा रहा है।

यहां पढ़ें हरियाली तीज की पौराणिक एवं प्रामाणिक कथा, जो भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती जी को सुनाई थी। पढ़ें कथा-Hariyali teej kahani 
 
हरियाली तीज की कथा के अनुसार शिव जी ने पार्वती जी को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराने के लिए तीज की कथा सुनाई थी। शिव जी कहते हैं- हे पार्वती तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। अन्न-जल त्यागा, पत्ते खाए, सर्दी-गर्मी, बरसात में कष्ट सहे। तुम्हारे पिता दुखी थे। 
 
नारद जी तुम्हारे घर पधारे और कहा- मैं विष्णु जी के भेजने पर आया हूं। वह आपकी कन्या से प्रसन्न होकर विवाह करना चाहते हैं। अपनी राय बताएं। पर्वतराज  प्रसन्नता से तुम्हारा विवाह विष्णु जी से करने को तैयार हो गए। नारद जी ने विष्णु जी को यह शुभ समाचार सुना दिया, पर जब तुम्हें पता चला तो बड़ा दुख हुआ। तुम मुझे मन से अपना पति मान चुकी थीं। तुमने अपने मन की बात सहेली को बताई। 
 
सहेली ने तुम्हें एक ऐसे घने वन में छुपा दिया, जहां तुम्हारे पिता नहीं पहुंच सकते थे। वहां तुम तप करने लगी। तुम्हारे लुप्त होने से पिता चिंतित होकर सोचने लगे यदि इस बीच विष्णु जी बारात लेकर आ गए तो क्या होगा ?

 
शिव जी ने आगे पार्वती जी से कहा- तुम्हारे पिता ने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक कर दिया पर तुम न मिली। तुम गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना में लीन थी। प्रसन्न होकर मैंने मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। तुम्हारे पिता खोजते हुए गुफा तक पहुंचे। 
 
तुमने बताया कि अधिकांश जीवन शिव जी को पतिरूप में पाने के लिए तप में बिताया है। आज तप सफल रहा, शिव जी ने मेरा वरण कर लिया। मैं आपके साथ एक ही शर्त पर घर चलूंगी यदि आप मेरा विवाह शिव जी से करने को राजी हों। 
 
पर्वतराज मान गए। बाद में विधि-विधान के साथ हमारा विवाह किया। हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका। इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं। उसे तुम जैसा अचल सुहाग का वरदान प्राप्त हो।