बच्चे मुझको पढ़ाके जाते हैं
सलासी (गुरु से सम्बंधित नन्ही कविताऎं)
1.
अब यूँ अपना समय बिताऊँगागाँव की बच्चियाँ जो अनपढ़ हैं पढ़ना लिखना उन्हें सिखाऊँगा2.
आज मेहमान आ गए घर मेंयूँ लगा देख छोटे बच्चों को जैसे भगवान आ गए घर में 3.
बाप का ज़ुल्म रोज़ सहता हैवो किसी से तो कुछ नहीं कहताअपने दुख-दर्द मुझसे कहता है 4.
पढ़ने-लिखने की बात सोचाकरजब भी तुझको सताए ये दुनियापास अपने गुरु के बैठा कर 5.
अपने माँ-बाप का सहारा है पास बैठा गुरू के इक बच्चाचाँद के पास जैसे तारा है 6.
छोटे बच्चों का सहारा बनकर वो पढ़ाता है रोज़ बच्चों को कभी तोता, कभी मैना बनकर7.
खेलने में भी वो सिखाता है छोटे बच्चों का कल संवर जाएइसलिए रात-दिन पढ़ाता है 8.
हक़-ओ-इंसाफ़ की गवाही हैंसिर्फ़ बच्चे नहीं हैं ये मेरे ये मेरे देश के सिपाही हैं 9.
ज़िन्दगी की किताब खोलेंगेसाथ अपने गुरु के रहने से जब भी बोलेंगे सच ही बोलेंगे
10.
दोस्त बच्चे तुम्हें बना लेंगेआज तुम इनकी देखभाल करोकल बुढ़ापे में ये संभालेंगे11.
आप की ज़िन्दगी संवारेंगेकश्तियाँ जब पुरानी होंगी तोपार बच्चे ही तो उतारेंगे 12.
ज़िन्दगी इनकी ख़ूबसूरत है आप दें ध्यान अपने बच्चों पर बस यही वक़्त की ज़रूरत है 13.
इससे ज़्यादा तो हम नहीं कहते अपने बच्चों पे ध्यान दें वरनादिन सदा एक से नहीं रहते 14.
पढ़ने वो मेरे पास आते हैंभाई-चारे का एकता का सबक़बच्चे मुझको पढ़ाके जाते हैं 15.
ये जो बच्चे दिखाई देते हैं झूठ भी बोलते हैं आपस में फिर भी सच्चे दिखाई देते हैं 16.
ग़म को इस तरह झेलता हूँ मैंजब ये हद से ज़्यादा बढ़ जाएसाथ बच्चों के खेलता हूँ मैं 17.
बिन पढ़ों को तो हम पढ़ाएँगे पास जिनके हैं डिगरियाँ लेकिन उनको कैसे दिशा दिखाएँगे18.
जो मिले उसके संग होती हैज़िन्देगानी अज़ीज़ बच्चों की जैसे पानी का रंग होती है ।