दो बार वनडे और एक बार टी-20 विश्वकप के फाइनल में हार का स्वाद चख चुके श्रीलंका ने आखिरकार टी-20 विश्वकप जीतकर अपने दो बड़े खिलाड़ी कुमार संगाकारा और जयवर्धने को विदाई दी।
खिताबी लड़ाई में कागज पर भारत श्रीलंका से थोड़ी बेहतर लग रही थी क्योंकि भार फाइनल से पहले एक भी मैच नहीं हारा था वहीं श्रीलंका ग्रुप लीग में एक मैच हार गया था। लेकिन श्रीलंका ने यह मौका अपने हाथ से जाने नहीं दिया।
ग्रुप में थी तगड़ी टीमेंं फिर भी टॉप किया श्रीलंका ने
बांग्लादेश में खेले गए इस विश्वकप के ग्रुप लीग में श्रीलंका के सामने दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड जैसी मुश्किल टीमें थी लेकिन श्रीलंका सिर्फ इंग्लैंड के हाथों 6 विकेट से हारा और असोसिएट टीम नीदरलैंड को भी हराया। स्पिन की मददगार पिचों के कारण श्रीलंका को भारत के बाद कप जीतने का दावेदार माना जाने लगा।
सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज को किया परास्तवर्षा बाधित सेमीफाइनल मैच में श्रीलंका ने वेस्टइंडीज के खिलाफ टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की और लहिरू थिरिमाने (44) और एंजलो मैथ्यूज (40) की पारी की बदौलत 160 रन बना पाया। जवाब में वेस्टइंडीज की टीम 13 ओवर में 80 रन बनाकर 4 विकेट खो चुकी थी। बारिश के कारण मैच आगे नहीं बढ़ सका और श्रीलंका को 27 रनों से विजेता मान लिया गया।
श्रीलंका - भारत के फाइनल मैच का ब्योराइस मैच में श्रीलंका ने भारत को खेल के हर विभाग में मात दी थी। उसके गेंदबाजों ने बेहद नियंत्रित गेंदबाजी की और बाद में संगकारा की अगुवाई में बल्लेबाजों ने 13 गेंद शेष रहते ही टीम को लक्ष्य तक पहुंचा दिया था। इसके साथ उसने भारतीय टीम से 2011 में एकदिवसीय विश्व कप में मिली हार का बदला भी चुकता कर दिया था।
बारिश के कारण 40 मिनट की देरी के बाद जब मैच शुरू हुआ तो भारतीय पारी कोहली के इर्द गिर्द घूमती दिखी। उन्होंने 58 गेंदों पर 77 रन बनाए। भारत की तरफ से चारों छक्के कोहली ने जमाए और आठ में से पांच चौके उनके बल्ले से निकले।
अन्य बल्लेबाजों विशेषकर युवराज सिंह के धीमे खेल के कारण बल्लेबाजी का न्यौता पाने वाला भारत चार विकेट पर 130 रन ही बना पाया। श्रीलंका ने सहजता से 17.5 ओवर में चार विकेट पर 134 रन बनाकर पहली बार विश्व टी20 चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था।
अपना आखिरी टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहे संगकारा 35 गेंद पर छह चौकों और एक छक्के की मदद से 52 रन बनाकर नाबाद रहे। जयवर्धने ने 24 रन की पारी खेली जबकि विजयी चौका जड़ने वाले तिसारा परेरा 14 गेंद पर 21 रन बनाकर नाबाद रहे थे।
इस जीत से श्रीलंका ने फाइनल में हारने का मिथक भी तोड़ दिया। पिछले सात वर्षों में आईसीसी टूर्नामेंटों में पांच बार फाइनल में पहुंचने वाले श्रीलंका को पहली बार जीत मिली थी। उसने भारत का दूसरी बार टी20 विश्व कप जीतने का सपना पूरा नहीं होने दिया।
आलम यह था कि भारतीय बल्लेबाज आखिरी चार ओवरों में गेंद को सीमा रेखा तक नहीं पहुंचा पाए क्योंकि इस बीच 24 गेंदों में कोहली को केवल नौ गेंद ही खेलने को मिली। श्रीलंका के गेंदबाजों काबिले तारीफ रही जिन्होंने आखिरी चार ओवरों में केवल 19 रन दिए।
श्रीलंका के सामने बड़ा लक्ष्य नहीं था लेकिन उसकी भी शुरूआत अच्छी नहीं रही। मोहित शर्मा ने पारी के दूसरे ओवर में अपनी पहली गेंद पर कुसाल परेरा (5) को मिड ऑफ पर कैच करा दिया लेकिन हरियाणा के इस गेंदबाज के अगले ओवर में 15 रन बने, जिसमें तिलकरत्ने दिलशान (18) के दो चौके भी शामिल हैं।
इस बीच जयवर्धने टी20 विश्व कप में 1000 रन पूरे करने वाले पहले बल्लेबाज भी बन गए थे। उन्होंने भुवनेश्वर कुमार पर लगातार 2 चौके लगाए थे। धोनी को पावरप्ले का आखिरी ओवर अश्विन को सौंपना पड़ा, जिन्होंने दिलशान को सीमा रेखा पर कोहली के हाथों कैच कराकर टीम को कुछ राहत दिलाई थी।
अब श्रीलंका के दो दिग्गज क्रीज पर थे। संगकारा ने रविंद्र जडेजा का स्वागत स्क्वायर लेग पर चौका और स्वीप शाट से छक्का जड़कर किया, लेकिन जयवर्धने के साथ उनकी साझेदारी केवल 24 रन तक ही चली थी। सुरेश रैना की गेंद पर क्रास बैट से लगाया गया जयवर्धने का शॉट मिडविकेट पर अश्विन ने खूबसूरत कैच में तब्दील कर दिया था।
मिश्रा ने आखिर में चार ओवर में 32 रन लुटाए। संगकारा ने अश्विन पर लगातार दो चौके जड़कर अर्धशतक पूरा किया जबकि तिसारा ने इसी ओवर में विजयी चौका लगाया।
इससे पहले भारतीय रन मशीन कोहली को दूसरे ओवर में ही क्रीज पर कदम रखना पड़ा था। अंजिक्य रहाणे पहले ओवर में कुछ असहज पल बिताने के बाद अगले ओवर में एंजेलो मैथ्यूज की गेंद विकेट पर खेल गए थे। रोहित ने पांचवां ओवर करने के लिए स्पिनर सचित्रा सेनानायके पर डीप स्क्वेयर लेग और फिर लसिथ मलिंगा पर उनके सिर के उपर से चौका जमाया था।
कोहली ने तीसरे ओवर में कुलसेकरा की गेंद मिडविकेट से चार रन के लिए भेजी थी। पावरप्ले में भारत की तरफ से केवल इन तीन अवसरों पर ही गेंद सीमा रेखा तक गई। इन छह ओवरों में भारत ने एक विकेट पर 31 रन बनाए थे।
बाएं हाथ के स्पिनर रंगना हेराथ ने इसके तुरंत बाद गेंद संभाली थी। उनकी पहली गेंद पर कोहली को जीवनदान मिला था। मलिंगा मिड ऑन पर उनका कैच लेने में नाकाम रहे थे। भारतीय बल्लेबाज ने इसी ओवर की आखिरी गेंद मिड ऑफ पर छक्के के लिए भेजकर इसका शानदार जश्न मनाया था।
कोहली ने दूसरे छोर से गेंदबाजों पर दबाव बनाने की पूरी कोशिश की थी। उन्होंने हेराथ के अगले ओवर में दर्शनीय छक्का जमाया था लेकिन बाएं हाथ के इस स्पिनर ने अपने चार ओवरों में केवल 23 रन के एवज में एक विकेट लेकर शानदार गेंदबाजी का नमूना पेश किया था।
दूसरे स्पिनर सेनानायके ने अपने चार ओवर में केवल 22 रन दिए। कोहली ने 43 गेंदों में अपना आठवां टी20 अर्धशतक पूरा किया था। उन्होंने 16वें ओवर में कुलसेकरा की पहली गेंद मिडविकेट के उपर से छह रन के लिए भेजी जिससे भारत का स्कोर 100 रन के पार पहुंचा।
अगली दो गेंदों पर चौके पड़े। लेकिन दूसरे छोर पर खड़े युवराज गेंद बर्बाद कर रहे थे, जिससे भारतीय दर्शकों ही नहीं बल्कि डगआउट में भी बैचेनी बढ़ रही थी। उनके आउट होने के बाद भी स्थिति नहीं बदली। भारत किसी तरह 20 ओवर में 4 विकेट पर 130 रन बना पाया। कोहली ने अंतिम गेंद पर रन आउट होने के पहले 77 रन बनाए थे।
विराट कोहली को 'मैन ऑफ द टूर्नामेंट' और कुमार संगकारा को 'मैन ऑफ द मैच' घोषित किया गया।