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Last Modified: सोमवार, 21 मार्च 2022 (13:47 IST)

लगभग पूरे परिवार का ही करियर रहा है बैडमिंटन, जानिए 20 साल के लक्ष्य सेन के बारे में

लगभग पूरे परिवार का ही करियर रहा है बैडमिंटन, जानिए 20 साल के लक्ष्य सेन के बारे में - Shuttler Lakshya Sen has badminton in his blood, Know his journey
इंग्लैंड ओपन के फाइनल में एक जीत से चूक गए भारत के बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन आजकर खासी सुर्खियों में है। इसका एक कारण है कि उनकी कम उम्र में खासे खिताब जीतना।

शीर्ष वरियता प्राप्त डेनमार्क के खिलाड़ी विक्टर एक्सेलसन ने उन्हें सीधे सेटों में 21-15 और 21-10 से हरा दिया । वह इतिहास बनाने से भले ही चूक गए हों लेकिन फाइनल तक आना भी एक बड़ी बात है और यह कहा जा सकता है कि महिला सितारों से सजे इस खेल में भविष्य में एक पुरुष सितारा मिल जाएगा।

अल्मोड़ा में हुआ था जन्म

20 वर्षीय लक्ष्य सेन का जन्म स्वतंत्रता दिवस के एक दिन बाद यानि कि 16 अगस्त को साल 2001 में हुआ था। नेपाल से सटे इस शहर में लक्ष्य के दादाजी बैडमिंटन खेल को लेकर खासे मशहूर थे। यही नहीं उनके  पिता डीके सेन पहले बैडमिंटन के खिलाड़ी रहे तो अब इस खेल की कोचिंग कर रहे हैं।

यही नहीं लक्ष्य के बड़े भाई चिराग अंडर एज ग्रुप में भारत के लिए एक अहम खिलाड़ी माने जाते थे।

भाई को देखकर जगी बैडमिंटन खेलने की चाह

लक्ष्य सेन बैडमिंटन को लेकर उत्साहित हुए 9 साल की उम्र में। इस वक्त वह अपने पिता के साथ अपने भाई का खेल सब जूनियर टूर्नामेंट में देखने गए थे। इस मैच को देखने के साथ ही उन्हें लगा कि वह इस खेल में आगे चलकर अपना भविष्य बना सकते हैं। यही कारण है कि उन्हें कोच विमल कुमार से कहा कि वह भी बैडमिंटन खेलना चाहते हैं।

प्रकाश पादुकोण को किया प्रभावित

कोच विमल कुमार और प्रकाश पादुकोण अकादमी के ट्रायल्स के दौरान लक्ष्य सेन से खासे प्रभावित हुए। अकादमी में बुलावे के बाद उनके पिता और दादा दोनों को अल्मोड़ा छोड़कर बैंगलूरू आना पड़ा। यह एक बड़ा जोखिम था लेकिन जो अपने परिवार को लक्ष्य ने निराश नहीं किया। उनके पिता तो कोच थे ही। अपने ही बेटे को उन्होंने अनुशासन में रहना सिखाया साथ ही वार्म अप सत्र की महत्ता भी बताई।

ऐसे आगे बढ़ते गए लक्ष्य

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लक्ष्य लगातार आगे बढ़ते रहे। पहले अंडर 13 इसके बाद अंडर 15 और फिर अंडर 19 में भी उन्होंने लगातार जीत हासिल कर अपना कद ऊंचा किया। हालांकि वह पहली बार सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने 2018 के यूथ ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल जीता। वह फाइनल में चीन के खिलाड़ी  शिफेंग ली से जरूर हारे लेकिन मिश्रित युगल में वह स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रहे। इसके अलावा उन्होंने इस ही साल एशियन जूनियर चैंपियनशिप और विश्व जूनियर चैंपियनशिप में भी पदक जीते।

दिसंबर 2021 से जीत रहे थे लगातार

वह दिसंबर 2021 से वह लगातार बड़े बड़े दिग्गजों को बैडमिंटन कोर्ट में धूल चटा चुके हैं। इस ही महीने में वह वर्ल्ड टूर फाइनल्स खेलने वाले दूसरे खिलाड़ी बने। इसके बाद उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। इस साल की शुरुआत में ही उन्होंने विश्व चैंपियन लोह कीन को धूल चटाकर इंडिया ओपन देखा था।

रैंकिंग में दिखाया जबरदस्त उछाल

लक्ष्य सेन को बैडमिंटन विश्व संघ में वरीयता प्राप्त करने के 2 साल के अंदर ही अपना जलवा दिखाना शुरु कर दिया। उन्होंने कई टॉप 20 खिलाड़ियों को मात दी जिससे उनकी रैंकिंग 24 पर आ गई। भारत के एचएस प्रणॉय, मलेशिया के ली जी इंडोनेशिया के जॉनथन क्रिस्टी के अलावा और भी कई खिलाड़ियों को वह हरा चुके हैं। इसके अलावा चीन के एक शीर्ष खिलाड़ी लिन डैन को भी वह अपना लोहा मनवा चुके हैं। (वेबदुनिया डेस्क)
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