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Written By WD Sports Desk
Last Modified: मंगलवार, 3 सितम्बर 2024 (12:53 IST)

शीतल देवी ने रचा इतिहास, राकेश कुमार के साथ मिश्रित स्पर्धा में जीता कांस्य

शीतल देवी और राकेश कुमार ने तीरंदाजी मिश्रित टीम कांस्य जीता

शीतल देवी ने रचा इतिहास, राकेश कुमार के साथ मिश्रित स्पर्धा में जीता कांस्य - Sheetal Devi Para archer earns bronze medal with Rakesh Kumar in Paralympics
भारतीय तीरंदाज शीतल देवी और राकेश कुमार की जोड़ी ने सोमवार को यहां पेरिस पैरालम्पिक की मिश्रित टीम कंपाउंड ओपन तीरंदाजी स्पर्धा के सेमीफाइनल में हारने की निराशा से उबरते हुए इटली के मातेओ बोनासिना और एलेओनोरा सारती को 156 . 155 से हराकर कांस्य पदक जीत लिया।

भारत के लिये पैरालम्पिक में तीरंदाजी का पदक इससे पहले सिर्फ हरविंदर सिंह ने तीन साल पहले तोक्यो में (कांस्य) जीता था।शीतल तीरंदाजी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी जिनके कोच कुलदीप वेधवान दीर्घा से खड़े देख रहे थे।

भारत को जीत तब मिली जब 17 वर्ष की शीतल का शॉट रिविजन के बाद अपग्रेड कर दिया गया। चार तीर बाकी रहते भारतीय जोड़ी एक अंक से पिछड़ रही थी लेकिन आखिर में संयम के साथ खेलते हुए जीत दर्ज की।

भारतीयों ने 10, 9, 10, 10 स्कोर किया जबकि इटली की टीम ने 9, 9, 10, 10 स्कोर किया।

इससे पहले सेमीफाइनल में भारतीय जोड़ी शूटआफ में ईरान की फातिमा हेमाती और हादी नोरी से हार गई थी।भारतीय जोड़ी फाइनल में जगह बनाने के करीब पहुंच गई थी लेकिन ईरानी टीम की शानदार वापसी और एक जज द्वारा स्कोर के रिविजन के बाद उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा।

स्कोर 152 . 152 से बराबर होने के बाद मुकाबला शूटआफ में गया। ऐसा लग रहा था कि भारतीय जोड़ी ने जीत दर्ज कर ली है जब ईरानी टीम ने चौथे तीर पर नौ स्कोर किया हालांकि जज ने समीक्षा के बाद उसे 10 करार दिया। इससे मुकाबला शूटआफ तक गया।

शूटआफ में दोनों टीमों ने परफेक्ट स्कोर किया लेकिन फातिमा का तीर बीचोंबीच लगा जिससे ईरानी टीम ने फाइनल में जगह बनाई।

इससे पहले शीतल और राकेश ने क्वार्टर फाइनल में तियोडोरा ऑडी आयुदिया फेरेलिन और केन स्वेगुमिलांग की इंडोनेशिया की जोड़ी को आसानी से 154-143 से हराया।मिश्रित कंपाउंड ओपन वर्ग में शीतल और राकेश की शीर्ष वरीय जोड़ी ने सेमीफाइनल तक के सफर के दौरान शानदार फॉर्म दिखाई।
शीतल का जन्म 2007 में फोकोमेलिया नामक एक दुर्लभ जन्मजात विकार के साथ हुआ था जिसके कारण उसके अंग अविकसित रह जाते हैं। इस बीमारी के कारण उसके हाथ पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाए।

39 वर्षीय राकेश को रीढ़ की हड्डी में चोट लगी थी और 2009 में इससे उबरने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि अब उन्हें जीवन भर व्हीलचेयर पर रहना होगा जिससे वे अवसाद में चले गए और यहां तक ​​कि उन्होंने आत्महत्या करने के बारे में भी सोचा।रविवार को राकेश पुरुषों के कंपाउंड ओपन वर्ग के कांस्य पदक मुकाबले में चीन के ही जिहाओ से एक अंक से हार गए थे।(भाषा)
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