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Last Updated : शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2017 (23:04 IST)

हम फीफा टूर्नामेंट से सीखेंगे सकारात्मकता : संजीव स्टालिन

Sanjeev Stalin
नई दिल्ली। भारत का इतिहास में पहली बार फीफा विश्वकप टूर्नामेंट में खेलने का सपना भले ही काफी संक्षिप्त रहा, लेकिन भारतीय अंडर-17 विश्वकप टीम के कोच लुईस नार्टन डी मातोस और खिलाड़ी संजीव स्टालिन का मानना है कि इससे खिलाड़ियों ने काफी सकारात्मकता सीखी है।
         
भारतीय टीम को अपने ग्रुप ए के तीसरे मैच में घाना के हाथों 0-4 से पराजय झेलनी पड़ी थी और वह ग्रुप में आखिरी पायदान पर रहकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई। यह भारतीय फुटबॉल के इतिहास में पहला मौका था जब राष्ट्रीय टीम फीफा विश्वकप के किसी भी वर्ग में खेलने उतरी थी। भारत को बतौर मेजबान सीधे क्वालिफिकेशन मिला था।
         
घाना के खिलाफ मैच के बाद राष्ट्रीय कोच मातोस ने कहा, भारत और घाना के बीच काफी बड़ा अंतर था। दो मुश्किल मैचों के बाद घाना जैसी टीम के खिलाफ इस स्तर पर खेलना वैसे भी कठिन था। घाना के खिलाफ बहुत ही तेज़ हैं, जो मैच का परिणाम तय कर सकते थे।
         
भारतीय कोच ने कहा, हमारे खिलाड़ी हाफ टाइम तक काफी थक गए थे और शारीरिक रूप से उनकी ऊर्जा भी समाप्त हो गई थी। ऐसी स्थिति में आप गलतियां कर देते हैं क्योंकि दिमाग ही काम करना बंद कर देता है। लेकिन फिर भी मुझे अपने खिलाड़ियों पर गर्व है क्योंकि दोनों टीमों के बीच अंतर बहुत अधिक है।
 
इस बीच टीम के खिलाड़ी संजीव स्टालिन ने कहा कि इस टूर्नामेंट से खिलाड़ियों को काफी सकारात्मकता मिलेगी। उन्होंने कहा, इस टूर्नामेंट से हम काफी सकारात्मकता सीखेंगे। प्रशंसकों ने हमारी हौसलाअफजाई की। हम एक युवा टीम हैं और भविष्य में हमें कई टूर्नामेंटों में खेलना है और उम्मीद है कि इसमें सीनियर विश्वकप भी शामिल होगा।
              
मैच के बारे में स्टालिन ने कहा, हमने इस तरह की मुश्किल और चुनौती पहले नहीं देखी है और यह हमारा सबसे कठिन स्तर था, लेकिन ओवरऑल प्रदर्शन से डिफेंडर संतुष्ट हैं। हमारे लिए यह अच्छा अनुभव रहा और हम आगे अच्छा करने का प्रयास करेंगे।
                  
उन्होंने कहा, यह विश्वकप है और यहां हर खिलाड़ी विश्वस्तरीय है। विदेशी खिलाड़ी अपने देशों की बड़ी लीगों में खेल रहे हैं और हमारी टीम को अभी काफी लंबा सफर तय करना होगा। हमने यहां काफी कुछ सीखा है, लेकिन काफी सीखना बाकी है। (वार्ता)