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Last Modified: मंगलवार, 30 जनवरी 2018 (13:31 IST)

सही आयु और समय पर समर्थन मिलना चाहिए : प्रकाश पादुकोण

सही आयु और समय पर समर्थन मिलना चाहिए : प्रकाश पादुकोण - Prakash Padukone Indian Badminton Association
नई दिल्ली। भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) के पहले लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजे गए दिग्गज खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण ने देश में खेल के स्तर पर संतोष जताया लेकिन कहा कि अगर शीर्ष देशों की बराबरी करनी है तो प्रतिभावान खिलाड़ियों का सही आयु और समय पर सुविधाएं मुहैया करानी होंगी।


राष्ट्रमंडल खेलों और आल इंग्लैंड चैंपियनशिप के पूर्व विजेता पादुकोण को आज यहां पहले बीएआई लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजा गया। भारत के उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने पादुकोण को प्रशस्ति पत्र, शॉल, स्मृति चिन्ह और 10 लाख रुपए का पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इस मौके पर बीएआई अध्यक्ष हेमंत विश्व सरमा भी मौजूद थे।

पादुकोण ने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद कहा कि पहले ही साल में यह लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं इस सम्मान के लिए भारतीय बैडमिंटन संघ का आभार व्यक्त करता हूं। पादुकोण ने कहा कि बैडमिंटन से आज जो प्रगति की है उससे मैं काफी खुश हूं। खेल से जुड़ने वालों खिलाड़ियों और टूर्नामेंटों की संख्या में इजाफा हुआ है। प्रायोजन राशि भी बढ़ी है। हमारे खिलाड़ी शीर्ष टूर्नामेंटों में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं जिससे क्रिकेट के बाद बैडमिंटन देश का दूसरा सबसे लोकप्रिय खेल बना है।

उन्होंने कहा कि लेकिन हमें अपनी सफलताओं से ही खुश नहीं होना चाहिए तथा और बेहतर करने का प्रयास करना चाहिए। बीएआई और राज्य संघों को प्रतिभा को निखारने की दिशा में काम करना चाहिए। प्रत्येक क्षेत्र में कम से कम एक अकादमी होनी चाहिए, प्रत्येक राज्य में एक अकादमी होनी चाहिए जिसका खर्चा सरकार या बीएआई उठाए। 

यही आयु और समय पर समर्थन की जरूरत पर बल देते हुए पादुकोण ने कहा कि सहयोग सही आयु और सही समय पर मिलना चाहिए अन्यथा प्रतिभा खो जाएगी और वह हताश होकर खेल को छोड़कर अन्य क्षेत्र में चला जाएगा। अगर सही समर्थन मिला तो भारत चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, जापान जैसे शीर्ष देशों की बराबरी कर सकता है। अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो इसका मतलब यही नहीं है कि देश में प्रतिभा की कमी है, यह किसी अन्य कारण से होगा। देश में खेल की प्रगति के लिए पादुकोण ने खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि इस मौके पर भारत में बैडमिंटन की प्रगति में खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

भारतीय बैडमिंटन की सबसे अधिक किसी ने मदद की है तो वह खेल मंत्रालय और साइ है। मैं सुनिश्चित होकर कह सकता हूं कि उनके समर्थन के बिना भारत में बैडमिंटन मौजूद स्थिति में नहीं पहुंच पाता। बाकी सभी संगठनों ने सिर्फ उनके सहयोग को आगे बढ़ाया। अपने परिवार वालों का आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि मेरे परिवार, माता पिता, भाई बहन, पत्नी और बेटियों को भी धन्यवाद। उनके समर्थन के बिना मैं वह खिलाड़ी, कोच, प्रशासक नहीं बन पाता जिसे आज लोग जाने हैं। दुनिया के पूर्व नंबर एक खिलाड़ी पादुकोण ने कहा कि वे बैडमिंटन के प्रति प्यार के कारण इस खेल को खेले। 

उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ इस खेल के प्रति प्यार के कारण इसे खेला। मैंने किसी तरह की उम्मीद नहीं की। मैं कभी पैसे कमाने या पुरस्कार जीतने के लिए या अपने माता-पिता को खुश करने या किसी अन्य को खुश करने के लिए नहीं खेला। मैं सिर्फ अपनी संतुष्टि के लिए खेला। खेल को वापस कुछ देने की अहमियत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि मेरे सहित अतीत और मौजूद के खिलाड़ियों को जिस तरह अपने अधिकारों का पता है उसी तरह भारतीय बैडमिंटन के प्रति अपनी जिम्मेदारी का भी पता होना चाहिए।

हम आज जो है इस खेल के कारण है और हमें उसे कुछ वापस देना होगा। नायडू ने इस मौके पर कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रतिभा-पुरस्कार की अहमियत है। प्रतिभा को पुरस्कृत करना जरूरी है जैसे आज किया जा रहा है। प्रकाश को मिला यह सम्मान अन्य लोगों के लिए उदाहरण होगा जो उन्हें प्रेरित करेगा। 

नायडू ने स्वास्थ की अहमियत पर जो देते हुए कहा कि स्वस्थ राष्ट्र ही संपन्न राष्ट्र होता है। स्वस्थ होकर ही हम संपन्न बनते हैं जबकि यह जरूरी नहीं कि हम संपन्न होकर स्वस्थ बन पाएं। उन्होंने पादुकोण और पुलेला गोपीचंद जैसे गुरुओं की तारीफ करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने मां, जन्मस्थल, मातृभाषा, मातृभूमि और गुरु को नहीं भूलना चाहिए।
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