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Written By WD Sports Desk
Last Updated : गुरुवार, 22 अगस्त 2024 (17:26 IST)

कृष्णा का पेरिस पैरालंपिक में धैर्य और सकारात्मक खेल से स्वर्ण पदक का बचाव करने पर ध्यान

कृष्णा का पेरिस पैरालंपिक में धैर्य और सकारात्मक खेल से स्वर्ण पदक का बचाव करने पर ध्यान - Perseverance and Postivity prerequisite for Krishna Nagar to retain Gold at Paralympics
कृष्णा नागर को जिंदगी ने लगातार चुनौतियां पेश की हैं लेकिन इस भारतीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ियों को अच्छे से उससे निपटना आता है जो प्रतिकूल परिस्थितियों को अपने चेहरे पर मुस्कान के साथ अनुकूल कर लेते हैं।

 कृष्णा को बचपन में उनके छोटे कद के कारण चिढ़ाया जाता था लेकिन उन्होंने अपनी उपलब्धियों से इसका जवाब दिया। कृष्णा ने अपने छोटे कद को अपनी प्रगति में बाधा नहीं बनने दिया।उन्हें पता था कि उनके लिए द्वेष रखने वालों से निपटने के लिए यही सबसे अच्छा तरीका था।

अपने शुरुआती वर्षों में वित्तीय संघर्षों के बावजूद उन्होंने क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल, लंबी कूद और स्प्रिंट सहित विभिन्न खेलों में रुचि दिखाई। बैडमिंटन में उनका सफर 2017 के अंत में जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम से शुरू हुआ।

उन्होंने तोक्यो पैरालंपिक में प्रमोद भगत के बाद स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय बनकर इतिहास रच दिया। इस पदक ने उनके वैश्विक खेलों की शुरुआत को यादगार बना दिया।पच्चीस साल का यह खिलाड़ी पेरिस पैरालंपिक में अपने खिताब का बचाव करने के लिए संयम बनाए रखने के साथ और ज्यादा जोखिम लिये बिना खेलने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

‘एसएच6’ वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने वाले कृष्णा ने एक साक्षात्कार में PTI (भाषा)  को बताया, ‘‘यह मेरा दूसरा पैरालिंपिक है और कुछ घबराहट है क्योंकि यह एक बड़ा टूर्नामेंट है।’’‘एसएच6’ श्रेणी छोटे कद के खिलाड़ियों के लिए है जो खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के प्रतिष्ठित आयोजन में भाग लेना एक सपना है। मैं पैरालंपिक में एक और मौका मिलने पर शुक्रगुजार महसूस कर रहा हूं। मेरा मुख्य उद्देश्य स्वर्ण पदक जीतने के साथ उम्मीदों पर खरा उतरना है।’’
Badminton tournament
चार फिट छह इंच कद के कृष्णा पेरिस पैरालंपिक में चुनौती पेश करने वाले भारत के 13 खिलाड़ियों में शामिल है।
तोक्यो में सफलता के बाद कृष्णा को हालांकि काफी चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ा। चोट ने उनके खेल में रुकावट पैदा की और फिर मां के निधन से उन्हें गहरा आघात लगा।

मानसिक तौर पर मजबूत इस खिलाड़ी ने हालांकि इन परेशानियों को पीछे छोड़ कर खेल में मजबूत वापसी की।
कृष्णा ने कहा, ‘‘ तोक्यो पैरालंपिक के बाद मेरा टखना मुड़ गया और कुछ अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन अब सब कुछ ठीक है। मेरे खेल में लगातार सुधार हो रहा है और मैं अपनी शैली को विभिन्न परिस्थितियों और प्रतिद्वंद्वियों के अनुरूप ढालने पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं। खेल की गति तेज हो या धीमी मुझे सकारात्मक हुए सुरक्षित रूप से स्मैश मारना होगा।’’

जयपुर में कोच यादवेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लेने वाले कृष्णा ने इस साल फरवरी में थाईलैंड में पैरा विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में चीन के लिन नेली को हराकर अपना पहला खिताब हासिल किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिए सकारात्मक रहना, सुरक्षित खेलना और शांत रहना महत्वपूर्ण है। इस बार नए खिलाड़ी हैं और प्रतिस्पर्धा कठिन है। हमें अधिक चुस्त होने और सकारात्मकता रवैये के साथ खेलने की जरूरत है।’’

इस महीने की शुरुआत में पांच बार के विश्व चैंपियन प्रमोद भगत को ठिकाने संबंधी नियमों के उल्लंघन के कारण निलंबित किए जाने के बाद कृष्णा पेरिस में स्वर्ण पदक का बचाव करने वाले एकमात्र भारतीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी होंगे।

यह पूछे जाने पर कि क्या भगत की अनुपस्थिति से उन पर दबाव बढ़ेगा, कृष्णा ने कहा, ‘‘बिल्कुल नहीं। यह लोगों, सरकार, पीसीआई (भारतीय पैरालंपिक समिति) और बीएआई (भारतीय बैडमिंटन संघ) का आशीर्वाद और समर्थन है जो हमें यहां तक लाया है। मुझे पता है कि प्रमोद भैया इस बार वहां नहीं रहेंगे, लेकिन मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ अगर मैं इस बारे में ज्यादा सोचूंगा तो इससे मेरा प्रदर्शन प्रभावित होगा। मेरे लिए इस मंच से बड़ा कुछ भी नहीं। यह मेरा लक्ष्य है।’’कृष्णा ने कहा कि तोक्यो में सफलता के बाद उनकी जिंदगी में कई सकारात्मक बदलाव आये हैं।भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम 25 अगस्त को पेरिस रवाना होगी।
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