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Last Modified: सोमवार, 19 सितम्बर 2016 (22:12 IST)

पैरालंपिक के साथ ब्राजील में 1192 दिन बाद बड़ी स्पर्धाओं का अंत

पैरालंपिक के साथ ब्राजील में 1192 दिन बाद बड़ी स्पर्धाओं का अंत - Paralympic, Brazil, major sporting events
रियो डि जेनेरियो। पैरालंपिक के समापन समारोह के साथ ब्राजील में 1192 दिन के बाद बड़ी और प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं के आयोजन का दौर समाप्त हो गया।
इस शानदार सफर की शुरुआत 2013 में फुटबॉल के कन्फेडरेशन कप के साथ हुई, फिर 2014 विश्व कप का आयोजन किया गया। पिछले महीने रियो डि जेनेरियो में आईओसी अध्यक्ष थामस बाक के विदाई भाषण के साथ ओलंपिक 2016 समाप्त हुए जबकि रविवार को रियो के मराकाना स्टेडियम में 45,000 दर्शकों की मौजूदगी में पैरालंपिक खेलों का भी अंत हो गया।
 
ब्राजील को इन खेलों की मेजबानी उस समय सौंपी गई थी, जब वह उभरती हुई आर्थिक शक्ति था और इन खेलों ने देश को दुनिया के आकर्षण का केंद्र बना दिया। लेकिन समय बीतने के साथ ब्राजील मंदी में घिर गया। 1 अरब डॉलर के भ्रष्टाचार प्रकरण ने सार्वजनिक तेल कंपनी पेट्रोब्रास को हिलाकर रख दिया और राष्ट्रपति दिलमा रोसेफ को ओलंपिक समाप्त होने के कुछ दिन बाद महाभियोग चलाकर उनके कार्यालय से बाहर कर दिया गया।
 
ब्राजील ने इन प्रतियोगिताओं के आयोजन पर 30 अरब डॉलर से अधिक खर्च किए जिसमें जनता के पैसे के अलावा निजी पैसा भी लगा। फुटबॉल विश्व कप के लिए 4 स्टेडियमों का निर्माण किया गया जिन्हें सफेद हाथी कहा गया, क्योंकि ये चारों ऐसे शहरों में थे, जहां कोई बड़ी टीम नहीं थी। 
 
रियो हालांकि ओलंपिक की मेजबानी को लेकर इस मामले में बेहतर रहा। यहां मेट्रो लाइन को बढ़ाया गया, बस लाइन में विस्तार हुआ और हल्की रेल सेवा में भी। लेकिन अधिकांश निवेश बारा डा तिजुका जैसे बेहतर इलाकों में किया गया, न कि स्लम या पिछड़े क्षेत्रों में। इसके अलावा खेलों के खत्म होने के बाद ओलंपिक पार्क और खेलगांव के पास व्यावसायिक और रिहायशी संपत्ति काफी महंगी हो गई है।
 
ब्राजील की प्रतिष्ठा को भी इससे अधिक फायदा नहीं हुआ। ओलंपिक में गिने-चुने विदेशी नेताओं ने शिरकत की जबकि 4 साल पहले लंदन में लगभग 100 विदेशी नेता पहुंचे थे।
 
रियो को नुकसान हुआ और शहर बांड भुगतान करने में विफल रहा। कुछ स्कूलों ने कक्षाएं निलंबित कर दीं और अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी हो गई। संघीय और स्थानीय सरकार के अंतिम लम्हों में 25 करोड़ रीयाल (7 करोड़ 65 लाख डॉलर) का भुगतान करने से पैरालंपिक का आयोजन हो पाया। (भाषा)
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