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Last Updated : शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023 (18:30 IST)

जूनियर पहलवानों में खुशी का माहौल, अब होगा ट्रायल्स का इंतजार खत्म

जूनियर पहलवानों में खुशी का माहौल, अब होगा ट्रायल्स का इंतजार खत्म - Junior Wrestlers can breathe easy as much awaited National trials to kick off soon
कुश्ती जगत ने अब राहत की सांस ली है कि राष्ट्रीय शिविर और प्रतियोगितायें आखिरकार नये महासंघ के गठन के बाद शुरू हो जायेंगी और यह मायने नहीं रखता कि बृज भूषण शरण सिंह फैसले लेना जारी रखेंगे।

विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक सहित देश के शीर्ष पहलवान चाहते थे कि कोई महिला अध्यक्ष भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष पद पर काबिज हो लेकिन बृजभूषण के विश्वस्त संजय सिंह गुरुवार को हुए चुनाव में विजेता रहे।

बृजभूषण को अलग रहने के लिए कहा गया था और महासंघ के रोजमर्रा के काम संभालने के लिए एक तदर्थ समिति गठित की गयी थी जिससे 2023 में राष्ट्रीय शिविर और राष्ट्रीय चैम्पियनशिप आयोजित नहीं हो पायी।

नौकरी पाने में मदद करते हैं नेशनल ट्रायल्स

इससे कई पहलवान प्रभावित हुए क्योंकि नौकरी के आवेदन के लिये राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में जीते गये पदक और भाग लेने का प्रमाण पत्र जरूरी होता है। सैकड़ो पहलवानों पर इसका असर पड़ा क्योंकि इनमें से कईयों ने जूनियर वर्ग में पिछले साल पदक जीते थे।

रोहतक में मशहूर छोटू राम स्टेडियम के एक कोच जगदीश ढांडा ने कहा, ‘‘कौन जीता है, यह कैसे मायने रखता है? चुनाव उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद किये गये थे। कोई जबरदस्ती नहीं हुई। सरकार भी इस मामले को देख रही थी। ’’

 उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 11 महीनों में कुश्ती खेल लगभग रूक सा ही गया था। अच्छा है कि नयी संस्था के गठन के तुरंत बाद ही गतिविधियां शुरू हो गयी हैं। अब राष्ट्रीय शिविर कराये जायेंगे और प्रतियोगितायें आयोजित होंगी। आप पिछले 11 महीने के नुकसान का अंदाजा नहीं लगा पाओगे। ’’

यह पूछने पर कि बृजभूषण के नये प्रमुख के जरिये महासंघ पर नियंत्रण बनाये रखने से उनके स्टेडियम में पहलवानों की कैसी प्रतिक्रिया थी तो ढांडा ने कहा, ‘‘पहलवान तटस्थ हैं। ’’

ढांडा ने कहा, ‘‘वास्तव में कोई भी इसकी चर्चा नहीं कर रहा। यह साफ था कि बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट बस खुद के लिये काम कर रहे थे। वे खुद को ट्रायल से बचाना चाहते थे। शुरू में किसी को समझ नहीं आया लेकिन बाद में जब उन्होंने एशियाई खेलों के ट्रायल्स में हिस्सा नहीं लिया और पंचायत को कही गयी अपनी बात का सम्मान नहीं किया तो लोगों ने उन पर भरोसा करना बंद कर दिया। ’’

बजरंग और विनेश को तदर्थ पैनल ने एशियाड ट्रायल्स से छूट दी थी और उनके संबंधित वर्गो में पहलवानों ने उन्हें अदालत में भी खींचा।बजरंग हांगझोउ एशियाड से खाली हाथ लौटे और विनेश को चोट लग गयी जिससे वह इनमें हिस्सा नहीं ले सकीं।दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम के कोचों की भी यही प्रतिक्रिया थी।

एक कोच ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘‘डब्ल्यूएफआई को चलाने के लिए एक मजबूत नेतृत्व चाहिए। आपने देखा कि तदर्थ पैनल को फैसले लेने में कितनी परेशानी हुई। वे बार बार फैसले बदलते रहे, इसलिये अच्छा है कि वही पैनल वापस आ गया। आपको अनुभव चाहिए होता है और उन्होंने पिछले 10-12 साल में काफी अच्छा काम किया है। ’’उन्होंने कहा, ‘‘शुक्र है कि अब राष्ट्रीय प्रतियोगिता करायी जायेगी। सभी पहलवानों को प्रतियोगिता चाहिए। हम किसी के पक्ष से नहीं है। हम बस अपने खेल की बेहतरी चाहते हैं। ’’

कोच ने यह भी कहा कि विरोध करने वाले पहलवानों को बातचीत से मुद्दे का हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए थी।उन्होंने कहा, ‘‘मतभेद हो ही सकते हैं, जिन्हें बातचीत करके सुलझाया जा सकता है। सड़क पर बैठना अच्छा विकल्प नहीं है। इससे खेल भी बदनाम हुआ। ’’

कोच ने कहा, ‘‘माता पिता भी चिंतित थे कि उनके बच्चों का पूरा साल खराब हो गया। यह खेल काफी निर्दयी है जिसमें एक साल बहुत लंबा होता है। ’’आमतौर पर मई के अंत तक सभी आयु वर्ग की राष्ट्रीय प्रतियोगितायें खत्म हो जाती हैं। इन चैम्पियनशिप में कम से कम 120 पदक दाव पर होते हैं। इस साल केवल अंडर-23 चैम्पियनशिप ही आयोजित हुई।

हरियाणा की एक महिला पहलवान ने कहा कि महासंघ के अधिकारियों से संपर्क करने में कुछ झिझक होगी।
इस पहलवान ने कहा, ‘‘हम नहीं जानते कि सच क्या है। यौन उत्पीड़न हुआ या नहीं, हम नहीं जानते। लेकिन विश्वास रखिये कि कुछ झिझक तो होगी ही। कम से कम शुरू में, अगर पहलवानों को महासंघ से कुछ पूछने की जरूरत होगी तो हम नहीं जानते कि हमें महासंघ के अधिकारियों का विरोध करने वालों के तौर पर देखा जायेगा। ’’

नवनिर्वाचित इकाई ने तदर्थ समिति के सभी फैसलों को रद्द कर दिया है। अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय प्रतियोगिता की घोषणा कर दी गयी है जो दिसंबर के अंतिम हफ्ते में गोंडा में होगी।आम सालाना बैठक 11 या 12 जनवरी को दिल्ली में होगी। (भाषा)
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