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Written By WD Sports Desk
Last Modified: गुरुवार, 16 जनवरी 2025 (11:12 IST)

इंग्लैंड में खो खो को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है भारतीय समुदाय

इंग्लैंड में खो खो को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है भारतीय समुदाय - Indian community is playing an important role in popularizing Kho Kho in England
इंग्लैंड के खो-खो खिलाड़ियों जायन सॉन्डर्स और आन्या शाह के लिए भारत का यह पारंपरिक खेल पदक जीतने और स्वदेश में इसे लोकप्रिय बनाने के साधन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़े रहने का भी एक तरीका है। भारतीय मूल के खिलाड़ी जायन और आन्या खो खो विश्व कप के लिए भारत का दौरा करने वाली इंग्लैंड की 30 सदस्यीय टीम का हिस्सा हैं और उनका मानना है कि उनकी टीम इस खेल में भारत को चुनौती देने की क्षमता रखती है।
 
सोलह साल के जायन ने एथलेटिक्स में रुचि के कारण इस खेल को चुना। वह जूनियर राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 200 मीटर दौड़ में चौथे स्थान पर रहे और इंग्लैंड टीम में जगह बनाने से चूक गए।
 
लेकिन खो-खो ने उन्हें खेल से जुड़े रहने का एक और अवसर प्रदान किया।
 
जायन ने कहा, ‘‘मुझे अपने ओसवाल समुदाय के माध्यम से खो-खो के प्रति रुचि विकसित हुई। इससे मुझे राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला। मैंने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता से इंग्लैंड ट्रायल में जगह बनाई और इसके बाद राष्ट्रीय टीम में अपना स्थान सुरक्षित किया। ’’
 
उन्होंने इंग्लैंड की जर्मनी पर जीत के बाद कहा,‘‘मैं शुरू से खेलों से जुड़ा रहा तथा एथलीट और धावक होने के कारण, मुझे खो-खो में मदद मिली।’’
 
जायन के दादा-दादी गुजरात से ब्रिटेन चले गए थे। उन्होंने कहा कि इंग्लैंड में एक अच्छी तरह से स्थापित संरचना है, जो खो खो को समृद्ध बनाने में मदद कर रही है। भारतीय मूल के लोग इस खेल को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
 
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास बेहद प्रतिस्पर्धी संरचना है। हमारे पास इंग्लैंड के लगभग हर हिस्से में यह खेल खेलने वाले समुदाय हैं इनमें लंदन और लीसेस्टर भी शामिल हैं।’’
 
जायन ओसवाल समुदाय से आते हैं, जिसके विश्व कप दल में 10 खिलाड़ी हैं।
 
जायन ने कहा, ‘‘इंग्लैंड का खो खो महासंघ साल में एक बार सितंबर में राष्ट्रीय प्रतियोगिता आयोजित करता है जहां से इंग्लैंड की टीम में जगह बनाने के लिए खिलाड़ियों को ट्रायल के लिए चुना जाता है। मुझे लगता है कि 70 प्रतिशत खिलाड़ी भारतीय मूल के हैं।’’
 
आन्या ने कहा कि जब वह नौ साल की थी तब से खो-खो खेलती है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी 17 साल की हूं। मैंने नौ साल की उम्र में यह खेल खेलना शुरू किया था, इसलिए काफी समय से इसे खेल रही हूं। ’’
 
आन्या ने कहा, ‘‘मैं अपने भारतीय दोस्तों को समुदाय में खेल खेलते हुए देखकर प्रेरित हुई। मैंने सोचा कि चलो इसे आजमाएं और मैंने वास्तव में इसका आनंद लिया। मेरे माता-पिता और दादा-दादी गुजरात के जामनगर से इंग्लैंड चले गए थे।’’  (भाषा)