गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. अन्य खेल
  3. समाचार
  4. FIFA World Cup Under-17, India, Indian Football History
Written By
Last Modified: बुधवार, 4 अक्टूबर 2017 (20:48 IST)

भारतीय फुटबॉल के लिए 6 अक्टूबर का दिन ऐतिहासिक

भारतीय फुटबॉल के लिए 6 अक्टूबर का दिन ऐतिहासिक - FIFA World Cup Under-17, India, Indian Football History
नई दिल्ली। भारतीय फुटबॉल के लिए 6 अक्टूबर का दिन ऐतिहासिक होगा, जब देश पहली बार किसी भी वर्ग में 'फीफा मंच' पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए उतरेगा, जहां से इस खेल को एक नई दिशा और दशा हासिल होगी।  
         
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश भारत के लोगों की ढेरों उम्मीदों और आकांक्षाओं के साथ भारत की अंडर-17 फुटबॉल टीम फीफा विश्वकप में खेलने उतरेगी। भारत की मेजबानी में पहली बार हो रहे फीफा अंडर-17 विश्वकप का आगाज़ 6 अक्टूबर से होने जा रहा है, जहां मेज़बान की हैसियत से भारतीय टीम को टूर्नामेंट में प्रवेश मिला है।
         
हालांकि टीम पूरी तैयारी और कड़े अभ्यास के बाद विश्वकप में उतर रही है, जहां दुनिया की 24 दिग्गज टीमें खिताब के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं। भारत इस टूर्नामेंट में निश्चित ही खिताब के दावेदार या मजबूत टीम के तौर पर शामिल नहीं है लेकिन 'ब्लू कब्स' के नाम से जाने जानी वाली अंडरडॉग भारतीय टीम घरेलू मैदान और घरेलू परिस्थितियों में बड़ा उलटफेर कर सकती है।
        
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का अच्छा प्रदर्शन दुनिया के सबसे ज्यादा खेले जाने वाले खेल फुटबॉल की देश में तस्वीर बदल सकता है और टीम इंडिया से फिलहाल इसी की अपेक्षा सबसे अधिक है। 
 
भारतीय टीम ने एएफसी अंडर-16 चैंपियनशिप में सात बार हिस्सा लिया है और 15 वर्ष पूर्व 2002 में उसने क्वार्टर फाइनल तक जगह बनाई थी जो उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा था। हालांकि वह कोरिया से हारकर इसके आगे नहीं बढ़ सका था। 
         
पिछले कुछ वर्षों में फुटबॉल को मिले अपार समर्थन और विदेशी मंच पर राष्ट्रीय टीम को मिले एक्सपोज़र की बदौलत भारत की अंडर-16 फुटबॉल टीम ने नेपाल में हुए 2013 दक्षिण एशिया फुटबॉल महासंघ (सैफ) चैंपियनशिप में खिताब जीता था, जिसने उसके मनोबल को ऊंचा किया। वहीं सीनियर फुटबॉल टीम की सफलता और फीफा रैंकिंग में निरंतर उसके आगे बढ़ने से भी फुटबॉल की स्थिति में बदलाव आया है।
        
हालांकि पहली बार अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ (फीफा) के किसी टूर्नामेंट में खेलने उतर रही भारतीय टीम से बहुत बड़े उलटफेरों की उम्मीद नहीं की जा सकती है। खुद अंडर-17 फुटबॉल टीम के कोच लुईस नार्टन डी मातोस का भी मानना है कि भारतीय टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद की नयी पहचान बनाने का यह एक बड़ा मौका है और वह चाहते हैं कि खिलाड़ी खुलकर खेलें। 
 
वैसे देखा जाए तो विश्वकप की मेजबानी मिलने के बाद से ही भारत सरकार और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने अंडर-17 टीम की तैयारियों को वैश्विक स्तर पर सुनिश्चित किया है। भारतीय खिलाड़ियों ने लंबा समय यूरोप दौरों में लगाया है और कई बड़े क्लबों के साथ भी तैयारी की है। भारतीय टीम ने जर्मनी, स्पेन, दुबई, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के दौरे किए हैं। 
 
इसके अलावा एएफसी अंडर-16 चैंपियनशिप, एआईएफएफ यूथ कप और अंडर-17 ब्रिक्स टूर्नामेंट में भी भारतीय टीम ने खेलने का अनुभव हासिल किया है। स्पोर्टिंग क्लब डी पुर्तगाल के पूर्व निदेशक मातोस के मार्गदर्शन में टीम ने अब तक अपने खेल में काफी सुधार भी दिखाया है जिसका नेतृत्व मिडफील्डर अमरजीत सिंह कियाम के हाथों में है।
 
विदेश दौरों में काफी अभ्यास और विदेशी क्लबों के साथ खेलकर उनकी तकनीक और बारीकियों को सीखने के बाद पिछले दो महीने से भारतीय टीम अब घरेलू मैदान पर ही अभ्यास में जुटी है, जिसमें से उसने कुछ मैच बेंगलुरु में भी खेले हैं। भारतीय अंडर-17 टीम ने गत माह 21 सितंबर को गोवा में मॉरिशस की टीम को भी पराजित किया था जो उसका आखिरी प्रतिस्पर्धी मुकाबला था।         
       
विश्वकप टूर्नामेंट के शुरू होने से ठीक पहले कियाम की कप्तानी वाली 21 सदस्यीय भारतीय टीम अब शुक्रवार को अपने ग्रुप ए में अमेरिका के साथ उद्घाटन मुकाबले के लिए  दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से अभ्यास में जुटी है। भारत का यह मुकाबला दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में खेला जाना है।
      
भारतीय टीम की दिलचस्प बात यह भी है कि टीम के कप्तान कियाम के अलावा इस बार भारतीय टीम में अकेले नौ खिलाड़ी पूर्वोत्तर हैं, जिसमें आठ मणिपुर और एक असम से है। मिडफील्डर कियाम के अलावा गोलकीपर धीरज सिंह, जैक्सन सिंह, डिफेंडर बोरिस सिंह, मोहम्मद शाहजहां, नोंगडाम्बा नाओरेम, सुरेश सिंह और निनथोइंगाबा मेतेई मणिपुर से हैं जबकि कोमल थाटल सिक्किम से है। 
 
वैसे तो टीम इंडिया का हर खिलाड़ी प्रतिभाशाली है लेकिन टूर्नामेंट में जिन खिलाड़ियों से सबसे अधिक उम्मीदें हैं उनमें कप्तान और मिडफील्डर कियाम, बेंगलुरू के डिफेंडर संजीव स्टालिन, स्टार स्ट्राइकर अंकित जाधव,मिनर्वा अकादमी के अनवर अली और सिक्किम के कोमल हैं।
                
चंडीगढ़ फुटबॉल अकादमी के कियाम बेहतरीन मिडफील्डर हैं और टूर्नामेंट में मिडफील्ड का नेतृत्व उन्हीं के कंधों पर रहेगा। वहीं स्ट्राइकर जाधव वर्ष 2014 में एफसी बायर्न म्युनिख यूथ कप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भी उनका प्रदर्शन काबिलेतारीफ रहा था।
               
पूर्व कोच निकोलई एडम्स के पसंदीदा अनवर अपने क्लब मिनर्वा की ओर से खेलते हुए  राष्ट्रीय टीम को हरा चुके हैं और इसी वर्ष अप्रैल में जाकर उन्हें टीम का हिस्सा बनाया गया था। इसके अलावा असम के एकमात्र खिलाड़ी कोमल थटाल पर भी निगाहें लगी हैं जिन्होंने ब्राजील और उरूग्वे के साथ मैचों में गोल दागे थे और मुख्य टूर्नामेंट में भी फारवर्ड लाइन में आक्रमण की जिम्मेदार उनपर रहेगी।
                
मेजबान भारतीय टीम विश्वकप के अपने ग्रुप 'ए' में पहला मैच 6 अक्टूबर को अमेरिका के खिलाफ, 9 अक्टूबर को कोलंबिया के खिलाफ और 12 अक्टूबर को घाना के खिलाफ दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में खेलने उतरेगी। (वार्ता)
ये भी पढ़ें
जांघ में चोट के कारण तमीम दूसरे टेस्ट से बाहर