वुशु में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन, चारों खिलाड़ियों को कांस्य पदक
जकार्ता। भारत के चारों वुशु खिलाड़ियों को सेमीफाइनल में हार के साथ कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा लेकिन इन्हें एशियाई खेलों के इतिहास में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन सुनिश्चित किया।
नाओरेम रोशिबिना देवी, संतोष कुमार, सूर्य भानु प्रताप सिंह और नरेंदर ग्रेवाल को सेंडा स्पर्धा के सेमीफाइनल मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा लेकिन इन्होंने भारत को एशियाई खेलों में एतिहासिक 4 कांस्य पदक दिलाए।
भारत ने इससे पहले 2006, 2010 और 2014 एशियाई खेलों की वुशु स्पर्धा में भी हिस्सा लिया था लेकिन मौजूदा खेलों का उसका प्रदर्शन अब तक का सर्वश्रेष्ठ है। भारत ने इंचियोन में 2014 खेलों में 2 कांस्य पदक जीते थे जिसमें ग्रेवाल का 60 किग्रा स्पर्धा का पदक भी शामिल था। ग्रेवाल का बुधवार का कांस्य पदक एशियाई खेलों का उनका दूसरा पदक है।
भारत ने 2006 खेलों में 1 कांस्य जबकि 2010 खेलों में 1 रजत और 1 कांस्य पदक जीता था। भारत की ओर से बुधवार को सबसे पहले रोशिबिना देवी चुनौती के लिए उतरीं लेकिन उन्हें महिला सेंडा 60 किग्रा सेमीफाइनल में चीन की काइ यिंगयिंग के खिलाफ 0-1 से हार झेलनी पड़ी। विश्व चैंपियनिशप 2013 के कांस्य पदक विजेता संतोष कुमार भी इसके बाद पुरुष सेंडा 56 किग्रा वर्ग में वियतनाम के ट्रोंग गियांग बुई के खिलाफ 0-2 से हार गए।
भानु प्रताप सिंह की 60 किग्रा और ग्रेवाल की 65 किग्रा वर्ग में हार के साथ भारतीय खिलाड़ियों का फाइनल में जगह बनाने का सपना टूट गया। भानु प्रताप को इरफान अहानगारियन के खिलाफ 0-2 जबकि ग्रेवाल को उज्बेकिस्तान के अकमल रखिमोव के खिलाफ इसी अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
भारतीय टीम के कोच रवि प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि एशियाई खेलों से पहले चीन में ट्रेनिंग से खिलाड़ियों को प्रदर्शन में सुधार में मदद मिली। हम सीधे चीन से यहां आए थे। हमने वहां 1 महीने ट्रेनिंग की। उनके पास शीर्ष स्तर के कोच हैं जिन्होंने हमारे खिलाड़ियों की मदद की।
एनआईएस पटियाला से जुड़े त्रिपाठी ने कहा कि इन ट्रेनिंग दौरों का खर्च उठाकर और हमारे खिलाड़ियों को टॉप्स में शामिल करके सरकार और साइ ने हमारे खिलाड़ियों की मदद की। (भाषा)