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Last Modified: रविवार, 22 सितम्बर 2019 (00:18 IST)

अमित पंघाल ने रचा इतिहास, World Boxing Championship में सिल्वर जीतने वाले पहले भारतीय बॉक्सर

AmitPanghal | अमित पंघाल ने रचा इतिहास, World Boxing Championship में सिल्वर जीतने वाले पहले भारतीय बॉक्सर
एकातेरिनबर्ग (रूस)। भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल (Amit Panghal) का पुरुष विश्व चैंपियनशिप में शानदार सफर रजत पदक के साथ समाप्त हुआ। 52 किग्रा वर्ग के फाइनल में शनिवार को ओलंपिक चैंपियन उज्बेकिस्तान के शाखोबिदिन जोइरोव से वह 0-5 से हार गए। हालांकि भारतीय मुक्केबाज 0-5 के स्कोर से हारे लेकिन उन्होंने अपने से कहीं मजबूत प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ कड़ी चुनौती पेश की।

दूसरे वरीय पंघाल इस तरह विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बन गए हैं और देश ने इस बार 2 पदक के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी किया। मनीष कौशिक (63 किग्रा) ने सेमीफाइनल में हारकर कांस्य पदक हासिल किया था। पंघाल ने फिर से अपने से लंबे और ताकतवर प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया लेकिन उनके पंच सीधे संपर्क में नहीं आ सके।

एशियाई खेलों और एशियाई चैंपियनशिप के स्वर्ण पदकधारी की यह ऐतिहासिक उपलब्धि है। इस मुकाबले में दोनों मुक्केबाजों ने ज्यादा से ज्यादा जवाबी हमला करने पर ध्यान दिया। शुरूआती 3 मिनट में पंघाल और जोइरोव ने एक-दूसरे के खेल को समझने की कोशिश की। दूसरे दौर में दोनों मुक्केबाजों ने एक-दूसरे पर प्रहार करना शुरू किया।

पंघाल ने विरोधी खिलाड़ी के ‘लो गार्ड’ का फायदा उठाने की कोशिश की लेकिन जोइरोव की तेजी का उनके पास कोई जवाब नहीं था। पंघाल तीसरे दौर में ज्यादा आक्रामक रहे लेकिन जोइरोव सटीक प्रहार कर अधिक अंक जुटाने में सफल रहे। विश्व चैंपियनशिप का रजत पदक भारतीय मुक्केबाजी में पंघाल के ऊपर चढ़ने का शानदार ग्राफ दर्शा रहा है जिसकी शुरूआत 2017 एशियाई चैंपियनशिप में 49 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक से हुई थी।

रोहतक के इस मुक्केबाज ने बुल्गारिया में प्रतिष्ठित स्ट्रांदजा मेमोरियल में लगातार स्वर्ण पदक हासिल किए और फिर वे 2018 में एशियाई चैंपियन बने। इस साल उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक अपने नाम कर किया और फिर 49 किग्रा के ओलंपिक कार्यक्रम से हटने के बाद 52 किग्रा में खेलने का फैसला किया। भारत ने कभी भी विश्व चैंपियनशिप के एक चरण में एक से ज्यादा कांस्य पदक हासिल नहीं किया था।

इससे पहले विजेंदर सिंह (2009), विकास कृष्ण (2011), शिव थापा (2015) और गौरव बिधुड़ी (2017) ने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किए थे। टूर्नामेंट में 78 देश भाग ले रहे हैं जिसमें 9 देश के मुक्केबाज फाइनल में पहुंचने में सफल रहे और पहली बार इस सूची में भारत का भी नाम था।

खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन पर भारतीय मुक्केबाजी संघ (बीएफआई) के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा, यह बीएफआई का उस प्रयास का नतीजा है जिसने पिछले कुछ समय में खेल की पूरी संरचना को बदला है ताकि हमारे मुक्केबाजों को सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण मिल सके और वे विश्व स्तर पर आत्मविश्वास के साथ प्रदर्शन कर सकें।

उन्होंने कहा, टोकियो ओलंपिक में अब एक साल से भी कम का समय बचा है, ऐसे में इस प्रदर्शन से मनोबल बढ़ेगा और बीएफआई उन्हें हर तरीके से प्रोत्साहित करेगा ताकि वे इस लय को जारी रख सकें और देश के लिए पदक जीत सकें।
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