शनिवार, 20 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. सिंहस्थ 2016
  3. आलेख
  4. vikramaditya simhasana
Written By WD

विक्रमादित्य का सिंहासन और उनकी 32 पुतलियां

विक्रमादित्य का सिंहासन और उनकी 32 पुतलियां - vikramaditya simhasana
साहित्य ग्रंथों में विक्रमादित्य का सिंहासन अत्यधिक प्रसिद्ध है। किंवदंती है कि विक्रमादित्य के पराक्रम, शौर्य, कलामर्मज्ञता तथा दानशीलता से प्रसन्न होकर इंद्र ने यह रत्नजडित स्वर्णिम दिव्य सिंहासन विक्रमादित्य को उपहार में दिया। इसमें 32 पुत्तलिकाएं यानी पुतलियां लगी थीं। यह सिंहासन 32 हाथ लंबा तथा 8 हाथ ऊंचा था। यह भी कहा जाता है कि यह सिंहासन राजा भोज को उज्जयिनी में एक टीले के उत्खनन में प्राप्त हुआ था।



सिंहासन द्वात्रिंशिका के अनुसार सिंहासन में जडित 32 पुत्तलिकाओं के नाम इस प्रकार हैं- (1) जया, (2) विजया, (3) जयंती, (4) अपराजिता, (5) जयघोषा, (6) मंजूघोषा, (7) लीलावती, (8) जयावती, (9) जयसेना, (10) मदनसेना, (11) मदनमंजरी, (12) श्रृंगारमंजरी, (13) रतिप्रिया, (14) नरमोहिनी, (15) भोगनिधि, (16) प्रभावती, (17) सुप्रभा, (18) चन्द्रमुखी, (19) अन्नगध्वजा, (20) कुरंगनयना, (21) लावण्यवती, (22) सौभाग्यमंजरी, (23) चन्द्रिका, (24) हंसगमना, (25) विद्युतप्रभा, (26) चन्द्रकांता, (27) रूपकांता, (28) सुरप्रिया, (29) अन्नदाप्रभा, (30) देवनंदा, (31) पद्मावती व (32) पद्मिनी।