शुक्रवार, 22 सितम्बर 2023
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सिंहस्थ 2016 - क्या खोया क्या पाया

मंगलवार,मई 24, 2016
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मध्यप्रदेश के उज्जैन में चले सिंहस्थ कुंभ के दौरान 12 से 14 मई तक निनौरा में 3 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ का आयोजन किया गया। इस दौरान धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी खुलकर चर्चा की गई। वक्ताओं ने कृषि, पर्यावरण, शिक्षा, ...
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मैं सिंहस्थ नगरी उज्जैन हूं। थोड़ी थकी, थोड़ी सी उदास, थोड़ी बिखरी हुई लेकिन अनंत ऊर्जा से भरी हुई...मेरी धरा पर कलकल करती क्षिप्रा नदी में ना जाने कितने वर्ष पहले अमृत-कलश छलका था... कल तक उस नन्ही-सी पावन बूंद को अभिस्पर्श कर लेने को विशाल अपार ...
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योग और तप की शक्ति से सब कुछ किया जा सकता है। उज्जैन सिंहस्थ में ऐसे कई साधु और संत पधारे हैं, जो अपने योगबल से लोगों को हैरत में डाल रहे हैं। महाकुंभ में लोगों की आंखें उस समय फटी की फटी रह गईं, जब नागा बाबा मंडलश्री महंत हनुमान गिरि ने अपने लिंग ...
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उज्जैन। सिंहस्थ में साधुओं का अजब-गजब रूप और रंग हैं, लेकिन उनमें भी नागा साधुओं की बात ही अलग है। नागा साधुओं में भी वे नागा अनोखे हैं जो निर्वस्त्र रहते हैं। उनके निर्वस्त्र रहने का अनोखा अंदाज सभी के लिए आश्चर्य और कुतूहल का विषय है। नागा साधुओं ...
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कुंभ मेले में सूर्य एवं बृहस्पति का खास योगदान माना जाता है। सूर्य देव और गुरु (बृहस्पति) का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने पर ही कुंभ मेले को मनाने का स्थान और तिथि का चुनाव किया जाता है। इस ग्रह परिवर्तन अनुसार:-
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हमने और आप सबने भी साधु-महात्माओं को अलग-अलग रंग के वस्त्र पहने देखा होगा। कभी-कभी जिज्ञासा भी हुई होगी कि जब सभी संत हैं तो वस्त्रों के रंग अलग अलग क्यों? कोई सफेद वस्त्र धारण करता है, कोई काले। कोई संन्यासी पीले और भगवे वस्त्रों में भी नजर आता है।
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क्षिप्रा नदी। इसी नदी के किनारे सजा है भव्य सुंदर सिंहस्थ मेला। मां क्षिप्रा, शिप्रा या 'सिप्रा' नदी उज्जयिनी के निकट बहने वाली नदी है। शांत, धीर और गंभीर कही जाने वाली क्षिप्रा नदी इन दिनों अपने रूप पर गर्वित है। क्योंकि झिलमिलाती रोशनी में उसका ...
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चारों तरफ आपको सुनाई देती है कहीं मंदिरों की मीठी घंटियां तो कहीं पवित्र अजान, कहीं गुंज रहा है कीर्तन तो कहीं से आवाज आती है म‍ंदिरों की आरती में बजते घंटे-घडियाल और नगाड़ों की...मंत्रोच्चार उतरते हैं कानों में, तब मन का जैसे कोना-कोना उजास से भर ...
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उज्जैन। राजस्थान से पधारे श्रीपंच दशानन आवाहन अखाड़े के महंत महाकाल गिरि खड़े श्रीनागा बाबा के पांडाल में दावे अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी अगरबत्ती जल रही है जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है।
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बारह साल में बार होने वाला सिंहस्थ ईश्वर के दर्शन, पूजन, स्नान और यज्ञ आहुतियों के लिए भी विशेष समय माना जाता है। सिंहस्थ में हर तरफ यज्ञ आयोजित हो रहे हैं। आइए जानते हैं कि यज्ञ के कुंडों की क्या महत्ता है....
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उज्जैन। उज्जैन में सदी का दूसरा सिंहस्थ शुरू हो गया है। यहां बाबाओं के अनोखे अंदाज देखकर भक्तों का जनसैलाब दंग है। एक ऐसे भी बाबा हैं जिनका एक शिष्य कोई इंसान नहीं, बल्कि एक हिरण है। बाबा के इस भक्त को देखने के लिए हर रोज लोगों की भारी भीड़ जुट रही ...
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नागा साधु बनने की प्रक्रिया कठिन तथा लम्बी होती है। इस प्रक्रिया में कुंभ स्नान का बहुत महत्व है। नागा साधुओं के पंथ में शामिल होने की प्रक्रिया में लगभग छह साल लगते हैं। इस दौरान नए सदस्य एक लंगोट के अलावा कुछ नहीं पहनते हैं। कुंभ मेले में अंतिम ...
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समस्त भू-मंडल पर शिप्रा के समान अन्य नदी नहीं है जिसके तीर पर क्षणभर खड़े रहने मात्र से मु‍क्ति मिल जाती है। फिर चिरकाल सेवन करने वालों के लिए तो क्या शंका है? इस प्रकार सौ योजन दूर से भी शिप्रा का स्मरण करने से सर्व पाप से मुक्ति मिल जाती है। इस ...
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जहां भगवान महाकाल हैं, जहां शिप्रा नदी है और इसी वजह से जहां निर्मल गति प्राप्त होती है, उस उज्जयिनी नगरी में किसका मन रहने को नहीं करेगा? महानदी शिप्रा में स्नान करने के पश्चात शिव का दर्शन तथा पूजन करने पर मृत्यु-भय नहीं रहता। यहां मृत कीट-पतंग तक ...
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सिंहस्थ 2016 शबाब पर है। जिनका मन धर्म में लगता है और जो प्रतिदिन रोचक खबरें पढ़ रहे हैं वह सभी जाना चाहते हैं लेकिन किसी कारणवश कुंभ में सभी लोग नहीं जा पाते हैं। यह समय दान, जप, ध्यान और संयम का समय रहता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कुंभ में जाए ...
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ऐसी मान्यता है कि कुंभ पर्व पर स्नान करने से वे सभी फल एक साथ प्राप्त होते हैं, जो एक हजार कार्तिक स्नान, सौ माघ स्नान, अनगिनत वैशाख व नर्मदा स्नान करने तथा सहस्र अश्वमेध, सौ बाजपेय यज्ञ करने अथवा पृथ्वी की एक लाख प्रदक्षिणा करने से प्राप्त होते
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बहती है क्षिप्रा की धारा इसमें धुलते पैर तुम्हारे जो कोमल हैं अरुण कमल से इसमें मिलता सौरभ मादक जल में लहराते अंचल से पर न ठहरती क्षिप्रा-धारा ले जाती है जो कुछ पाया सब कुछ पाया, कुछ गंवाया
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22 अप्रैल से मध्य प्रदेश के उज्जैन में आरंभ, आस्था के महोत्सव यानी कुंभ मेले को लेकर देशभर के श्रद्धालुओं के बीच उत्साह और उल्लास का वातावरण एकदम प्रत्यक्ष है। इस सिंहस्थ कुंभ मेले के प्रति लोगों में कितनी आस्था है, इसे इसी से समझा जा सकता है कि ...
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उज्जैन की ओर जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा यही है कि बस एक बार इस भूमि को स्पर्श करें, शिप्रा जल का अर्घ्य करें और पवित्र हो जाए। यहां आने वाला हर व्यक्ति यही सोचकर आता है कि देश के कोने-कोने में बसने वाले साधु-संतों को समीप से देखने का अवसर ...
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