Shringi se kare abhishek: उत्तर भारत में सावन मास 22 जुलाई सोमवार से शुरू होकर 19 अगस्त 2024 सोमवार तक चलेगा जबकि दक्षिण भारत में 5 अगस्त सोमवार से प्रारंभ होकर 01 सितंबर रविवार 2024 को समाप्त होंगे। श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक, पंचामृत अभिषेक, रुद्राभिषेक आदि कई प्रकार से अभिषेक करते हैं इसमें जलाभिषेक सबसे महत्वपूर्ण होता है। लेकिन जलाभिषेक यदि श्रृंगी से किया जाए तो यह बहुत ही शुभ होता है।
क्या होती है श्रृंगी?
गाय के सिंग के आकार की पीतल की धातु से बना एक जल पात्र जिसे बजा भी सकते हैं। भगवान शिव के कमर में यह बंधा रहता है। इस पात्र को उनके गण नंदी ने उन्हें भेंट किया था। इसलिए यह पात्र उन्हें अत्यधिक प्रिय है।
श्रृंगी से जलाभिषेक कैसे करें?
1. शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए तांबे, चांदी या पीतल के पात्र या लोटे का उपयोग करते हैं लेकिन श्रृंगी का उपयोग करेंगे तो इससे शिवजी अत्यंत प्रसन्न होंगे।
2. श्रृंगी में पहले कुछ बूंद गंगाजल डालने के बाद मात्र शुद्ध और पवित्र जल से अभिषेक करने पर शारीरिक एवं मानसिक ताप मिटते हैं। इससे वर्षा भी होती है।
3. श्रृंगी में गंगा जल से अभिषेक करने से ज्वर ठीक हो जाता है। ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
4. तीर्थ जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
5. कुशा जल से अभिषेक करने पर रोग व दु:ख से छुटकारा मिलता है।
6. श्रृंगी में सबसे पहले गंगाजल डालें और अभिषेक शुरू करें फिर उसी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध अर्थात पंचामृत समेत जितने भी तरल पदार्थ हैं, उनसे शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं।
7. शिवलिंग पर चल अर्पित करने समय आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए पूर्व दिशा की ओर नहीं। पूर्व दिशा शिव का मुख्य द्वार माना जाता है।
8. शिवलिंग पर धीरे धीरे जल अर्पित करना चाहिए क्योंकि शिवजी को धरांजली पसंद है। एक छोटी धारा के रूप में जल चढ़ाया जाना चाहिए।
9. शिवजी को दूध अर्पित करने के लिए तांबे के बर्तन का उपयोग नहीं पीतल के बर्तन का उपयोग करना चाहिए।
10. हमेशा बैठकर ही शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए। खड़े होकर नहीं।
11. शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय 'ऊं नम: शिवाय' पंचाक्षरी मंत्र का जाप करते रहें।
12. शिवलिंग पर जल हमेशा दाएं हाथ से ही चढ़ाएं और बाएं हाथ को दाएं हाथ से स्पर्श करें।
13. शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल न चढ़ाएं।
14. शिवलिंग पर जल कभी भी एक हाथ से अर्पित न करें।
15. जल चढ़ाने के बाद शिवलिंग की बिल्वपत्र रखें।
16. बिल्वपत्र रखने के बाद ही शिवलिंग की अधूरी परिक्रमा करें।