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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 26 जून 2025 (10:13 IST)

Kanwar Yatra 2025 : कावड़ यात्रा में जा रहे हैं तो जान लीजिए 10 प्रमुख नियम

Kanwar Yatra 2025 Niyam
Sawan Kanwar Yatra 2025: कावड़ यात्रा एक अत्यंत पवित्र और कठिन तीर्थयात्रा है, जो भगवान शिव के भक्तों द्वारा हर साल सावन (श्रावण) माह में की जाती है। यह यात्रा भक्ति, त्याग और अनुशासन का प्रतीक है। अगर आप 2025 में कावड़ यात्रा पर जा रहे हैं, जो 11 जुलाई 2025 से शुरू हो रही है, तो इन महत्वपूर्ण नियमों को जानना आपके लिए बेहद जरूरी है...ALSO READ: श्रावण माह में इस बार कितने सोमवार हैं और किस तारीख को, जानिए
 
कावड़ यात्रा के 10 नियम: 
 
1. शुद्ध विचार और आचरण: यात्रा के दौरान मन में किसी के प्रति द्वेष, ईर्ष्या या नकारात्मक विचार नहीं लाने चाहिए। वाणी और कर्मों में भी शुद्धता बनाए रखें।
 
2. बिना स्नान के स्पर्श वर्जित: शौच आदि करने के बाद बिना स्नान किए कावड़ को दोबारा छूना शुभ नहीं माना जाता। हर बार कावड़ को छूने से पहले स्नान करना अनिवार्य है।
 
3. मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का त्याग: कांवड़िए को पूर्ण सात्विक आहार ही लेना चाहिए। कांवड यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार के मांसाहारी भोजन, शराब, तंबाकू, पान, गुटखा या अन्य किसी भी तरह के नशे का सेवन सख्त वर्जित है। 
 
4. कावड़ को जमीन पर न रखें: यह सबसे महत्वपूर्ण और कठोर नियमों में से एक है। कावड़ को कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। यदि आपको शौच आदि के लिए रुकना पड़े, तो कावड़ को हमेशा किसी ऊंचे स्थान पर, पेड़ की शाखा पर या किसी स्टैंड पर लटकाकर ही रखें। यदि कावड़ एक बार भी जमीन पर रख दी जाती है, तो लाए गए जल को अशुद्ध माना जाता है और भक्त को फिर से गंगाजल भरने के लिए यात्रा शुरू करनी पड़ती है।
 
5. सिर पर न ले जाएं: कावड़ को सिर पर रखकर नहीं चलना चाहिए। इसे हमेशा कंधे पर ही रखा जाता है।

6. केवल गंगाजल: कावड़ में केवल गंगा नदी का पवित्र जल ही भरा जाना चाहिए, कोई अन्य जल नहीं।
 
7. चमड़े का स्पर्श वर्जित: कावड़ यात्रा के दौरान चमड़े से बनी किसी भी चीज (जैसे बेल्ट, पर्स, जूते) का स्पर्श वर्जित माना जाता है।
 
8. नंगे पैर यात्रा: अधिकांश कांवड़िए नंगे पैर यात्रा करते हैं। यह त्याग और तपस्या का प्रतीक है। हालांकि, कुछ श्रद्धालु अब चप्पल या जूते का प्रयोग भी करते हैं, पर पारंपरिक रूप से नंगे पैर ही चलना चाहिए।
 
9. ऊंचाई सीमा: कावड़ की ऊंचाई निर्धारित सीमा (आमतौर पर 12 फीट) से अधिक नहीं होनी चाहिए, ताकि बिजली के तारों से दुर्घटनाएं न हों।
 
10. बोल-बम का जयकारा: यात्रा के दौरान लगातार 'बोल-बम', 'हर-हर महादेव' या 'जय जय शिव शंकर' जैसे शिव मंत्रों का जाप करते रहना चाहिए। यह यात्रा को ऊर्जावान बनाए रखता है और मन को एकाग्र करता है।
 
इन नियमों का पालन कर आप अपनी कावड़ यात्रा को सफल, पुण्यकारी और सुरक्षित बना सकते हैं। भगवान भोलेनाथ की कृपा आप पर बनी रहे!ALSO READ: वर्ष 2025 में कब से शुरू हो रहा है सावन माह का सोमवार, जानिए श्रावण मास डेट एंड पूजा टाइम

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