Ekadashi ka Shradh kab hai 2024: श्राद्ध पक्ष में आने वाली आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस दिन पितरों को अधोगति से मुक्ति के लिए जो श्राद्ध कर्म किया जाता है उसका खास महत्व है। 27 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 20 मिनट से एकादशी प्रारंभ होगी जो अगले दिन 28 सितंबर को दोपहर 02:49 तक रहेगी। उदयातिथि से 28 सितंबर को एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
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28 सितंबर 2024 को रहेगी इंदिरा एकादशी
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इंदिरा एकादशी पर श्राद्ध करने से पितरों को मिलती है मुक्ति
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इंदिरा एकादशी का व्रत करने से सात पीढ़ियों तक के पितरों को मिलता है मोक्ष
एकादशी तिथि प्रारम्भ- 27 सितम्बर 2024 को दोपहर 01:20 बजे से।
एकादशी तिथि समाप्त- 28 सितम्बर 2024 को दोपहर 02:49 बजे तक।
एकादशी कब है : उदयातिथि के अनुसार 28 सितंबर को रहेगी एकादशी।
इंदिरा एकादशी व्रत दिनांक:- 28 सितंबर 2024 शनिवार।
इंदिरा एकादशी पारणा मुहूर्त:- सितंबर 29 को प्रात: 06:13:11 से 08:36:20 तक
इंदिरा एकादशी का महत्व- Importance of Indira Ekadashi:-
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इस एकादशी पर भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है।
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इंदिरा एकादशी के समय श्राद्ध पक्ष चल रहे होते हैं।
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पितरों के उद्धार के लिए इंदिरा एकादशी का बहुत महत्व बताया गया है।
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इस एकादशी का व्रत करने वाले मनुष्य की सात पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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स्वयं इस व्रत को करने वाले मनुष्य को भी मोक्ष प्राप्त होता है।
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सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूसरे दिन की एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए।
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पितरों को अधोगति से मुक्ति देने वाली इंदिरा एकादशी के व्रत से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
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इंदिरा एकादशी के दिन विधिवत रूप से व्रत करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और वे नया जीवन प्राप्त करते हैं।
एकादशी पर करें पितरों का श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान:-
- एकादशी का श्राद्ध करने से पितरों को अधोगति से मुक्ति मिलती है तथा सद्गति प्राप्त होती है।
- यदि आपके कोई पूर्वज जाने-अनजाने में हुए अपने पाप कर्म के कारण यमलोक (नरक) में अपने कर्मों का दंड भोग रहे हैं, तो इस एकादशी पर विधिपूर्वक व्रत करके इस व्रत के पुण्य को पूर्वजों के नाम पर दान कर दिया जाए तो उन्हें इस दंड से छुटकारा मिलकर स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
- एकादशी तिथि का श्राद्ध करने से ऋषि और संन्यासियों का आशीर्वाद मिलता है।
-एकादशी तिथि को संन्यास लेने वाले व्यक्तियों का श्राद्ध करने की परंपरा है।
- पितृपक्ष की एकादशी के दिन भगवान शालिग्राम की मूर्ति का पूजन करें, ब्राह्मणों को भोजन कराने और पितरों का तर्पण करने से सभी तरह के संकट-परेशानियां दूर हो जाते हैं और रुके हुए सभी कार्य पूर्ण हो जाते हैं तथा घर में सुख-शांति एवं समृद्धि निरंतर बढ़ती है।
- श्राद्ध पक्ष की एकादशी पर सबसे पहले देवताओं को अग्निग्रास दें। फिर गाय, कौए, कुत्ते, चींटी, मछली को भोजन कराएं और साथ ही पीपल वृक्ष के नीचे अन्न-जल रखें। इस तरह के कर्म से एकादशी का दोगुना फल आपको प्राप्त होगा और सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है।
- आश्विन कृष्ण एकादशी का श्राद्ध करने वाला निरंतर ऐश्वर्य की प्राप्ति करता है।
- एकादशी तिथि के दिन श्राद्ध का दान किया गया है, तो यह सर्वश्रेष्ठ दान है।
- इस दिन व्रत रखकर श्राद्ध कर्म करने से पितरों के देव अर्यमा और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
- इस एकादशी का व्रत रखने और श्राद्ध करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
- एकादशी तिथि का श्राद्ध करने वालों को समस्त वेदों का ज्ञान प्राप्त होता है।
- एकादशी के श्राद्ध करने वालों के जीवन के संपूर्ण पाप कर्मों का विनाश हो जाता है।
- इस दिन पूजा करके आप जाने-अनजाने में हुए अपने पाप कर्मों से छुटकारा भी पा सकते हैं।