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Last Updated : सोमवार, 12 सितम्बर 2022 (19:07 IST)

कितने प्रकार का होता है श्राद्धकर्म और तर्पण

Gajchhaya Yog n Shradh
Shradh Paksha 2022 : श्राद्ध पक्ष का माहात्म्य उत्तर व उत्तर-पूर्व भारत में ज्यादा है। तमिलनाडु में आदि अमावसाई, केरल में करिकडा वावुबली और महाराष्ट्र में इसे पितृ पंधरवडा नाम से जानते हैं।पुराणों के अनुसार श्राद्ध कर्म भी कई प्रकार के होते हैं। श्राद्ध कर्म में तर्पण, पिंडदान, पंचबकिल कर्म किया जाता है। आओ जानते हैं श्राद्ध के प्रकार।
 
वेदानुसार यज्ञ पांच प्रकार के होते हैं- (1) ब्रह्म यज्ञ (2) देव यज्ञ (3) पितृयज्ञ (4) वैश्वदेव यज्ञ (5) अतिथि यज्ञ। उक्त पांच यज्ञों को पुराणों और अन्य ग्रंथों में विस्तार दिया गया है। उक्त पाँच यज्ञ में से ही एक यज्ञ है पितृयज्ञ। इसे पुराण में श्राद्ध कर्म की संज्ञा दी गई है।
 
तर्पण कर्म के प्रकार । Types of tarpan : पुराणों में तर्पण को छह भागों में विभक्त किया गया है:- 1.देव-तर्पण 2.ऋषि-तर्पण 3.दिव्य-मानव-तर्पण 4.दिव्य-पितृ-तर्पण 5.यम-तर्पण 6.मनुष्य-पितृ-तर्पण।
Pitru Shradh Paksha
श्राद्ध कर्म के प्रकार | Kind of shraddha karma:
 
1. नित्य- प्रतिदिन किए जाने वाले श्राद्ध को नित्य श्राद्ध कहते हैं।
2. नैमित्तिक- वार्षिक तिथि पर किए जाने वाले श्राद्ध को नैमित्तिक श्राद्ध कहते हैं।
3. काम्य- किसी कामना के लिए किए जाने वाले श्राद्ध को काम्य श्राद्ध कहते हैं।
4. नान्दी- किसी मांगलिक अवसर पर किए जाने वाले श्राद्ध को नान्दी श्राद्ध कहते हैं।
5. पार्वण- पितृपक्ष, अमावस्या एवं तिथि आदि पर किए जाने वाले श्राद्ध को पार्वण श्राद्ध कहते हैं।
6. सपिण्डन- त्रिवार्षिक श्राद्ध में प्रेतपिण्ड का पितृपिण्ड में सम्मिलन को सपिण्डन श्राद्ध कहते हैं।
7. गोष्ठी- पारिवारिक या स्वजातीय समूह में जो श्राद्ध किया जाता है, उसे गोष्ठी श्राद्ध कहते हैं।
8. शुद्धयर्थ- शुद्धि हेतु जो श्राद्ध किया जाता है उसे शुद्धयर्थ श्राद्ध कहते हैं।
9. कर्मांग- षोडष संस्कारों के निमित्त जो श्राद्ध किया जाता है उसे कर्मांग श्राद्ध कहते हैं।
10. दैविक- देवताओं के निमित्त जो श्राद्ध किया जाता है उसे दैविक श्राद्ध कहते हैं।
11. यात्रार्थ- तीर्थ स्थानों में जो श्राद्ध किया जाता है उसे यात्रार्थ श्राद्ध कहते हैं। 
12. पुष्ट्यर्थ- स्वयं और पारिवारिक सुख-समृद्धि-उन्नति के लिए किए जाने वाले श्राद्ध को पुष्ट्यर्थ कहते हैं।
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