महाशिवरात्रि पर 250 साल बाद बन रहे हैं 5 दुर्लभ संयोग, पूजा से मिलेगा दोगुना लाभ
5 महासंयोग में मनेगी इस बार महाशिवरात्रि, पूजा से मिलेगा शिव पार्वती का आशीर्वाद
Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि प्रतिवर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन आती है। इस वर्ष 8 मार्च शुक्रवार 2024 महाशिवरात्रि पर महासंयोग बन रहा है। इस दुर्लभ संयोग में शिवलिंग की पूजा करने से पूजा का दोगुना फल प्राप्त होगा। साथी ही माता पार्वती और शिवजी की कृपा प्राप्त होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार 250 साल बाद महाशिवरात्रि पर महासंयोग बन रहा है।
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 08 मार्च 2024 को रात्रि 09:57 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 09 मार्च 2024 को 06:17 बजे।
निशीथ काल पूजा समय- रात्रि (मार्च 09) 12:07 am से 12:56am.
महाशिवरात्रि पर दुर्लभ योग संयोग:-
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त्रयोदशी यानी प्रदोष व्रत के साथ चतुर्दशी का संयोग : दोनों ही शिवजी के दिन।
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सर्वार्थ सिद्धि योग : कोई सा भी शुभ कार्य प्रारंभ करने के लिए शुभ योग।
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शिवयोग योग : कठिन साधना को सिद्ध करने के लिए शुभ योग।
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अमृत सिद्ध योग : कोई सी भी पूजा या कार्य करने से अमृत के समान फल मिलता है।
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श्रवण नक्षत्र : श्रवण नक्षत्र में शिवपूजा का तुरंभ फल मिलता है।
300 साल बाद त्रिकोणीय दुर्लभ संयोग: श्रवण नक्षत्र के बाद धनिष्ठा नक्षत्र, शिवयोग, गर-तरण, मकर, कुंभ राशि भी चंद्रमा की साक्षी रहेगी। कुंभ राशि में सूर्य, शनि, बुध का युति संबंध रहेगा। ये योग 300 साल में एक या दो बार बनते हैं। जब नक्षत्र, योग और ग्रहों की स्थिति केंद्र त्रिकोण से संबंध रखती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:08 से 12:56 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:30 से 03:17 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:23 से 06:48 तक।
सायाह्न सन्ध्या : शाम 06:25 से 07:39 तक।
अमृत काल : रात्रि 10:43 से 12:08 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 06:38 से 10:41 तक।
शिव योग : 12:46 एएम, मार्च 09 तक।
निशिता मुहूर्त : रात्रि 12:07 से 12:56 तक।
महाशिवरात्रि पर क्या करें:-
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शिवरात्रि के एक दिन पहले यानी त्रयोदशी तिथि के दिन केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करके व्रत प्रारंभ करना चाहिए।
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अगले दिन यानी चतुर्दशी के दिन सुबह नित्य कर्म करने के पश्चात्, पुरे दिन के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
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व्रत के संकल्प के दौरान यदि आपकी कोई प्रतिज्ञा और मनोकामना है तो उसे दोहराना चाहिए।
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निशीथकाल की पूजा के बाद अगले दिन ही व्रत खोलना चाहिए।
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महाशिवरात्रि पर सुबह से लेकर रात्रि तक हर प्रहर में शिवजी की पूजा होती है।
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तांबे या मिट्टी के लोटे में पानी या दूध लेकर ऊपर से बेलपत्र, आंकड़श, धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।
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शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय' का जाप करना चाहिए।
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महाशिवरात्रि के सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करने और मन्दिर जाने का महत्व है।
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अंत में निशीथ काल में विधि विधान से शिवजी की पूजा करना चाहिए।
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इस दिन पंचामृत, अभिषेक, षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन, अष्टाध्यायी, रुद्र, लघु रुद्र, महारुद्र के माध्यम से शिवजी को प्रसन्न करें।