भैरव पूजा का दिन शनिवार होता है। कुछ जगहों पर गुरुवार और रविवार को भी उनकी पूजा होती है। मुख्यत: तीन भैरवों की पूजा का प्रचलन है, एक काल भैरव, दूसरे बटुक भैरव और तीसरे आनंद भैरव। श्री लिंगपुराण 52 भैरवों का जिक्र मिलता है। परंतु क्षेत्रपाल भैरव के बारे में कम ही लोग जाते हैं। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में इन्हें कई लोग जानते हैं और वे लोग भी जानते होंगे जिन्होंने वास्तु पूजा कराई है। आओ जानते हैं क्षेत्रपाल भैरवनाथजी के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
मुख्य रूप से आठ भैरव माने गए हैं- 1.असितांग भैरव, 2. रुद्र भैरव, 3. चंद्र भैरव, 4. क्रोध भैरव, 5. उन्मत्त भैरव, 6. कपाली भैरव, 7. भीषण भैरव और 8. संहार भैरव।
1. बहुत कम लोग जानते हैं कि क्षेत्रपाल कौन होते हैं। जब वास्तु पूजा की जाती है तो उसके अंतर्गत क्षेत्रपाल की पूजा भी होती है।
2. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी आपको क्षेत्रपाल के मंदिर मिल जाएंगे। खासकर राजस्थान और उत्तराखंड में क्षेत्रपाल के कई मंदिर मिलेंगे।
3. क्षेत्रपाल क्षेत्र विशेष के एक देवता होते हैं जिनके अधिन उक्त क्षेत्र की आत्माएं या क्षेत्र रहता है।
4. भरत के अधिकतर गांवों में भैरवनाथ, खेड़ापति (हनुमानजी), सतीमाई, कालीमाई, सीतलामाई और क्षेत्रपाल आदि के मंदिर होते हैं। यह सभी ग्राम देवता होते हैं और सभी के अलग-अलग कार्य माने गए हैं।
5. क्षेत्रपाल भी भगवान भैरवनाथ की तरह दिखाई देते हैं संभवत: इसीलिए बहुत से लोग क्षेत्रपाल को कालभैरव का एक रूप मानते हैं।
6. लोक जीवन में भगवान कालभैरव को क्षेत्रपाल बाबा, खेतल, खंडोवा, भैरू महाराज, भैरू बाबा आदि नामों से जाना जाता है। क्षेत्रपाल को खेतपाल भी कहा जाता है। खेतपाल, जो कि खेत का स्वामी है।
7. प्राचीन काल के प्रत्येक गांव, नगर या कस्बे में एक क्षेत्रपाल और खेड़ापति का मंदिर या पेड़ी होती ही थी। उक्त संपूर्ण क्षेत्र के स्वामी को ही क्षेत्रपाल कहा जाता है।
8. दक्षिण भारत में एक देवता है जो मूल रूप से लोगों के खेत की रक्षा करता है। यह खेतों का तथा ग्राम सरहदों का छोटा देवता है। मान्यता अनुसार यह बहुत ही दयालु देवता है। जब अनाज बोया जाता है या नवान्न उत्पन्न होता है, तो उससे इसकी पूजा होती है, ताकि यह बोते समय ओले या जंगली जन्तुओं से उनका बचाव करे और भंडार में जब अन्न रखा जाए तो कीड़े और चूहों से उसकी रक्षा करें।
9. इसके अलावा यह यह न्याय करने वाला देवता भी है। यह गांव की भलाई चाहता है इसीलिए यह अच्छे को पुरस्कार तथा धूर्त को दंड देता है।
10. इन देवता को रोट व भेंट चढाई जाती है। कुछ जगहों पर क्षेत्रपाल को पशु बलि भी दी जाती है।
11. कहते हैं कि आप जिस भी क्षेत्र में रहने जा रहे हैं उस क्षेत्र का एक अलग ही क्षेत्रपाल होता है अत: वहां रहने से पहले उसकी पूजा करके उसकी अनुमति से रहा जाता है ताकि किसी भी प्रकार का कोई संकट ना हो।