शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. ज्योतिष आलेख
  4. इन 7 लोगों पर शनिदेव डालते हैं अपनी वक्र दृष्टि, जानिए

इन 7 लोगों पर शनिदेव डालते हैं अपनी वक्र दृष्टि, जानिए

Shani Dev Ki Vakra Drishti | इन 7 लोगों पर शनिदेव डालते हैं अपनी वक्र दृष्टि, जानिए
पुराण कहते हैं कि शनि को परमशक्ति परमपिता परमात्मा ने तीनों लोक का न्यायाधीश नियुक्त किया है। शनिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश को भी उनके किए की सजा देते हैं और ब्रह्मांड में स्थित तमाम अन्यों को भी शनि के कोप का शिकार होना पड़ता है। परंतु यह भी सच है कि हनुमानजी के आगे शनिेदेव की नहीं चलती है वे हनुमानजी को दिए वचनानुसार हनुमान भक्तों को सदा क्षमा करते रहते हैं। आओ जानते हैं कि शनि देव किन लोगों पर अपनी वक्र दृष्टि डालकर उसका जीवन बर्बाद कर देते हैं।
 
 
जब समाज में कोई व्यक्ति अपराध करता है तो शनि के आदेश के तहत राहु और केतु उसे दंड देने के लिए सक्रिय हो जाते हैं। शनि की कोर्ट में दंड पहले दिया जाता है, बाद में मुकदमा इस बात के लिए चलता है कि आगे यदि इस व्यक्ति के चाल-चलन ठीक रहे तो दंड की अवधि बीतने के बाद इसे फिर से खुशहाल कर दिया जाए या नहीं। शनि की साढ़े साती या ढैया से वही व्यक्ति बच पाता है जिसने निम्नलिखित में से कोई भी कार्य नहीं किया है।
 
 
 
शनिदेव डालते हैं इन पर अपनी वक्र दृष्टि
 
1. यदि आप ब्याज का धंधा करते हैं तो एक ना एक दिन आप पर शनिदेव की वक्र या कहें कि तिरछी दृष्टि पड़ेगी और बर्बादी शुरु हो जाएगी। 
 
2. यदि आप अपनी पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला से संबंध रखते हैं तो निश्चित ही एक दिन शनिदेव की वक्री दृष्टि पड़ेगी और बर्बादी शुरु हो जाएगी।
 
3. यदि आप नियमित शराब पीते हैं और खासकर मंगलवार, गुरुवार, शनिवार, प्रदोष काल, एकादशी, चतुर्थी, अमावस्या, पूर्णिमा के दिन शराब पीते हैं तो बहुत जल्द आप शनिदेव की दृष्टि की चपेट में आएंगे।
 
 
4. यदि आप किसी गरीब, सफाईकर्मी, दिव्यांग, विधवा, अबला आदि को सताते हैं या उनका अपमान करते हैं तो आप तैयार रहें शनि का दंड भुगतने के लिए।
 
5. यदि आप धर्म, देवता, गुरु, पिता और मंदिर का अपमान करते हैं या किसी भी रूप में उनका मजाक उड़ाते हैं तो दंडनायक के दंड का इंतजार करें।
 
6. जुआ या सट्टा खेलते हैं तो पांडवों की तरह वनवास भुगतने या कौरवों की तरह नाश होने के लिए तैयार रहें। आपके जीवन में घटना और दुर्घटना के योग बढ़ जाएंगे।
 
 
7.  अप्राकृतिक रूप से संभोग करना, झूठी गवाही देना, निर्दोष लोगों को सताना, किसी के पीठ पीछे उसके खिलाफ कोई कार्य करना, चाचा-चाची, माता-पिता, सेवकों और गुरु का अपमान करना, ईश्वर के खिलाफ होना, दांतों को गंदा रखना, तहखाने की कैद हवा को मुक्त करना, भैंस या भैसों को मारना, सांप, कुत्ते और कौवों को सताना। 


पुराण कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय करता है तो वह शनि की वक्र दृष्टि से बच नहीं सकता। शराब पीने वाले, माँस खाने वाले, ब्याज लेने वाले, परस्त्री के साथ व्यभिचार करने वाले और ताकत के बल पर किसी के साथ अन्याय करने वाले का शनिदेव 100 जन्मों तक पीछा करते हैं।
 
शनि की दृष्टी एक बार शिव पर पड़ी तो उनको बैल बनकर जंगल-जंगल भटकना पड़ा। रावण पर पड़ी तो उनको भी असहाय बनकर मौत की शरण में जाना पड़ा। यदि भगवान शनि किसी को क्रूध होकर देख लें तो समझों उसका बंटा ढाल। मात्र हनुमानजी ही एक ऐसे देवता हैं जिन पर शनि का कोई असर नहीं होता और वे अपने भक्तों को भी उनके असर से बचा लेते हैं। एक बार अहंकारी लंकापति रावण ने शनिदेव को कैद कर लिया और उन्हें लंका में एक जेल में डाल दिया। जब तक हनुमानजी लंका नहीं पहुचें तब तक शनिदेव उसी जेल में कैद रहे। जब हनुमान सीता मैया की खोज में लंका में आए तब मां जानकी को खोजते-खोजते उन्हें भगवान् शनि देव जेल में कैद मिले। हनुमानजी ने तब शनि भगवान को कैद से मुक्त करवाया। मुक्ति के बाद उन्होंने हनुनुमानजी का धन्यवाद दिया और उनके भक्तों पर विशेष कृपा बनाए रखने का वचन दिया।

1. वक्र दृष्टि : शनि ग्रह की वक्र दृष्टि एक तो वह होती है जो किसी राशि में मार्गी होकर पुन: वक्री अर्थात उल्टे क्रम में चलने लगते हैं। हालांकि ऐसा होता नहीं है कि कोई भी ग्रह पहले सीधा और फिर पीछे चलने लगे। घूमती हुई पृथ्वी से ग्रह की दूरी तथा पृथ्वी और उस ग्रह की अपनी गति के अंतर के कारण ग्रहों का उलटा चलना प्रतीत होता है। ज्योतिष में वक्री ग्रह के फल के बारे में अलग-अलग मत है। इन फलों के अलावा कर्म फल भी होते हैं। ज्योतिषियों का एक वर्ग के अनुसार अगर कोई ग्रह अपनी उच्च की राशि में स्थित होने पर वक्री हो जाता है तो उसके फल अशुभ हो जाते हैं तथा यदि कोई ग्रह अपनी नीच की राशि में वक्री हो जाता है तो उसके फल शुभ हो जाते हैं।
 
 
2. इस ग्रह की दो राशियां है-पहली कुंभ और दूसरी मकर। यह ग्रह तुला में उच्च और मेष में नीच का होता है। जब यह ग्रह वक्री होता है तो स्वाभाविक रूप से तुला राशि वालों के लिए सकारात्मक और मेष राशि वालों के लिए नकारात्मक असर देता है। लेकिन शनि जब अन्य राशियों में भ्रम करता है तो उसका अलग असर होता है। यदि वह मेष की मित्र राशि धनु में भ्रमण कर रहा है तो मेष राशि वालों पर नकारात्मक असर नहीं डालेगा।
 
3. राशि मैत्री-दरअसल शनि यदि मेष राशि की मित्र राशियों में वक्री हो रहा है तो शनि का मेष राशि वालों पर उतना नकारात्मक असर नहीं होगा। जैसे मेश राशि की मित्र राशियां दो हैं- सिंह और धनु। इसी तरह की वृष की कन्या और मकर मित्र राशि है। मिथुन की तुला और कुंभ राशियां मित्र है। कर्क की वृश्चिक और मीन राशियां मित्र है। शनि का बुध, शुक्र और राहु अधिमित्र है। गुरु व केतु मित्र है। मंगल और सूर्य सम है। चंद्रमा अतिशत्रु है।