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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 29 नवंबर 2024 (12:58 IST)

संभल में जामा मस्जिद या हरिहर मंदिर? जानिए क्या है संपूर्ण इतिहास और सबूत

संभल में जामा मस्जिद या हरिहर मंदिर? जानिए क्या है संपूर्ण इतिहास और सबूत - Jama Masjid or Harihar Temple in Sambhal  UP
Sambhal : उत्तर प्रदेश के संभल में एक जामा मस्जिद है जिसको लेकर विवाद चल रहा है। हिंदू पक्षकारों का मानना है कि यह पहले हरिहर मंदिर हुआ करता था। हरिहर मंदिर को 1529 में बाबर द्वारा तोड़ा गया था। इसी खंडित मंदिर को बाद में मस्जिद में बदल कर इसे मुस्लिमों को सौंप दिया गया। इस संबंध में संभल जिले की एक अदालत में अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने एक याचिका दायर करके इसके सर्वेक्षण की अपील की थी। इसके बाद अदालत ने जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए 'एडवोकेट कमीशन' गठित करने के निर्देश दिए। अदालत ने कहा है कि कमीशन के माध्यम से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वेक्षण कराकर अदालत में रिपोर्ट दाखिल की जाए। इस आदेश के बाद से ही संभल में तनाव उत्पन्न हो गया जिसके चलते मुस्लिम पक्ष ने हिंसा और आगजनी की। आओ जानते हैं कि संभल में जामा मस्जिद के पूर्व में हरिहर मंदिर होने के क्या प्रमाण है।ALSO READ: क्या सुनियोजित साजिश थी संभल हिंसा, 3 सदस्यीय न्यायिक आयोग करेगा जांच
 
कल्कि अवतार के जन्म से जुड़ा क्षेत्र:- 
हिंदू पुराणों के अनुसार कलयुग के अंत में संभल नामक गांव में श्री हरि विष्णु का कल्कि अवतार होगा।  स्कंद पुराण के दशम अध्याय में स्पष्ट वर्णित है कि कलयुग में भगवान श्री विष्णु का अवतार श्री कल्कि के रूप में सम्भल ग्राम में होगा। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह संभल ग्राम राजस्थान का है, ओडिशा का है या कि उत्तर प्रदेश का। इसी भविष्यवाणी के चलते उत्तर प्रदेश में पूर्व में कई प्राचीन मंदिर और महल निर्मित किए गए थे। माना जाता है कि संभल के हरिहर मंदिर में ही कल्कि भगवान प्रकट होंगे। इसके बारे में नीचे विस्तार से जानें। उल्लेखनीय है कि संभल को सतयुग में संभलेश्वर, त्रेता युग में महादगिरि, द्वापर युग में पिंगला और कलयुग में संभल बताया गया है। 
 
हिंदू पक्ष का मंदिर होने का दावा:-
संभल शहर के केंद्र में ऊंचे टीले पर मोहल्ला कोट पूर्वी के भीतर शाही जामा मस्जिद बनी हुई है, जो आसपास की सबसे बड़ी इमारत है। ये इमारत 1920 में भारतीय पुरातत्व सर्वे (ASI) के तहत संरक्षित घोषित की गई। हिंदू पक्ष का दावा है कि जामा मस्जिद दरअसल भगवान विष्णु के आखिरी अवतार कल्कि अवतार का हरिहर मंदिर है।ALSO READ: काशी, मथुरा, संभल और अजमेर की दरगाह, कहां रुकेगा ये सिलसिला?
 
हिन्दू पक्ष के स्थानीय वकील गोपाल शर्मा ने बताया कि सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दाखिल याचिका में उन्होंने बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी किताब का भी उल्लेख किया है जिसमें हरिहर मंदिर होने की पुष्टि होती है। उन्होंने दावा किया कि इस मंदिर को 1529 में बाबर द्वारा तोड़ा गया था। बाबर ने 1529 में मंदिर को तोड़ कर मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित क्षेत्र है। उसमें किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं हो सकता। संभल की जामा मस्जिद के मेन गेट के सामने ज्यादा हिंदू आबादी रहती है, जबकि मस्जिद की पिछली दीवार के चारों ओर मुस्लिम समुदाय के लोग बसे हैं। बाबर के 1526 और 1530 के बीच 5 साल के शासनकाल के दौरान बनाई गई 3 मस्जिदों में से एक है।
 
बाबर की आत्मकथा तुजुक-ए-बाबरी में पेज नंबर 687 पर बाबर के संभल जाने का जिक्र है। बाबरनामा में लिखा है कि बाबर जुलाई 1529 में संभल आया था। यहां पर विशालकाय मंदिर को देखकर उसने अपने सेनापति मीर हिंदू बेग को आदेश दिया कि इसे जामा मस्जिद में बदल दिया जाए। आइन-ए-अकबरी में भी इस मंदिर का जिक्र है। इसमें लिखा है कि संभल शहर में हरि मंडल नाम का एक मंदिर है जो कि एक ब्राह्मण का है उसके दसवें वंशजों में एक अवतार के रूप में यहां प्रकट होगा। हिंदू पक्ष ने जामा मस्जिद के मंदिर होने के दावे के कई सबूत देने के अलावा संभलपुर का एक पुराना नक्शा भी कोर्ट में दायर किया है। इस पुराने नक्शे में जामा मस्जिद की जगह हरिहर मंदिर दिख रहा है। इस नक्शे में मंदिर के साथ ही 68 तीर्थ और 19 कूप भी नजर आ रहे हैं। नक्शे के ऊपर शक संवत 987 लिखा हुआ है। यानी यह नक्षा 1065 ईस्वी का है। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार इसके निर्माण का श्रेय पृथ्वीराज, राजा जगत सिंह और राजा विक्रम सेन के पोते नाहर सिंह को दिया जाता है। कोर्ट में तमाम सबूत दिखाए जाने के बाद कोर्ट ने सर्वे के आदेश दिए हैं।ALSO READ: संभल सर्वे विवाद में सुप्रीम कोर्ट कल करेगा सुनवाई, जामा मस्जिद समिति ने दायर की है याचिका
 
मुस्लिम पक्ष 1991 के कानून को अमल पर जोर दे रहा:-
मुस्लिम पक्ष का दावा है कि हिंदू पक्ष का दावा बेबुनियाद है। मुस्लिम पक्ष मानता है कि इसे बाबर ने बनवाया था। मुस्लिम पक्ष कानूनी विवाद में सुप्रीम कोर्ट के 1991 के उस ऑर्डर को आधार बनाकर अपना विरोध दर्ज कराता है, जिसमें अदालत ने कहा था कि 15 अगस्त 1947 से जो भी धार्मिक स्थल जिस भी स्थिति में हैं, वो अपने स्थान पर बने रहेंगे। इसके जरिए मुस्लिम पक्ष संभल की जामा मस्जिद पर हक जताता है और हिंदू पक्ष के दावे को खारिज करने की मांग करता है।
 
क्या कहता है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण:- 
1. ऐसा कहा जाता है कि दरबारी मीर बेग ने बाबर के कहने पर हरिहर मंदिर को तोड़कर जामा मस्जिद में बदलना था। बाबरनामा में इसका उल्लेख मिलता है। बाबरनामा का ब्रिटिश ओरिएंटलिस्ट एनेट बेवरीज ने अनुवाद किया, के पृष्ठ 687 पर लिखा है कि बाबर के आदेश पर उसके दरबारी मीर हिंदू बेग ने संभल के हिंदू मंदिर को जामा मस्जिद में परिवर्तित किया। मस्जिद में एक शिलालेख है जिसमें लिखा है कि इसका निर्माण 933 हिजरी में मीर हिंदू बेग ने पूरा किया था।
 
2. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)  की 1879 की एक सर्वे रिपोर्ट में भी इसके हिंदू मंदिर होने के सबूत मिले थे। यह रिपोर्ट ए.सी.एल कार्लाइल (A. C. L. Carlleyle) ने तैयार करवायी थी। यह रिपोर्ट "Tours in the Central Doab and Gorakhpur 1874–1875 and 1875–1876" शीर्षक के तहत प्रकाशित हुई थी। 
 
3. रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद के भीतर और बाहर के खंभों पर प्लास्टर लगा था। इसमें से एक खंभे पर से जब प्लास्टर को हटाया गया तो प्लास्टर हटने पर लाल रंग के प्राचीन खंभे दिखाई दिए, जो हिंदू मंदिरों में इस्तेमाल होने वाले डिजाइन और संरचना के बने थे। इसका अर्थ है कि मंदिरों के खंभों को प्लास्टर लगाकर छिपाने का प्रयास किया गया। 
 
4. इसी प्रकार से ASI के सर्वेक्षण में और भी ऐसे कई सबूत मिले जो कि जामा मस्जिद के हिंदू मंदिर होने की ओर संकेत करते हैं। ASI के अनुसार, मस्जिद के गुंबद का जीर्णोद्धार हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में हुआ था। संभल को राजा पृथ्वीराज चौहान की राजधानी माना जाता है। राजा पृथ्वीराज चौहान और कन्नौज नरेश जयचंद के किस्से से जुड़ा इसका किस्सा है। चौहान ने जयचंद की बेटी संयोगिता को एक इमारत में कैद कर लिया था। इस पर जयचंद की सेना के योद्धा आल्हा, ऊदल और मलखान सिंह अपना वेष बदलकर नट की वेशभूषा में संयोगिता का पता लगाने संभल आए थे।
 
अन्य रिपोर्ट में भी मंदिर होने के दावे:-
1. सरकारी गजेटियर में संभल का इतिहास बताया गया कि इसका पुराना नाम संभलपुर था और पूरा शहर बिखरे हुए टीलों पर स्थित था। जहां भारत में इस्लामी शासन आने से पहले एक किला या कोट था। 1966 में उत्तर प्रदेश सरकार ने मुरादाबाद का जिला गजेटियर तैयार किया था जिसमें संभल की जामा मस्जिद के मुख्य परिसर की तस्वीर को संभल में कोट के ऊपर स्थित हरि मंदिर लिखा गया था। कोट पर पर भगवान विष्णु का हरि मंदिर स्थित था जिसे अब मस्जिद में बदल दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गजेटियर में यह भी लिखा है कि पूरा ढांचा हिंदू मंदिर के रूप में बना हुआ है लेकिन इसे बाबर की मस्जिद कहा जाता है जिसमें बड़ा सा टैंक है, फव्वारा है और बाहर एक प्राचीन कुआं है। ALSO READ: संभल में 100 से ज्यादा उपद्रवियों के पोस्टर जारी, इंटरनेट अभी भी बंद
 
2. संभल की मस्जिद के मंदिर होने का एक और दावा साल 1873 की एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल (Asiatic Society of Bengal) की रिपोर्ट में भी किया गया था। इस रिपोर्ट के अनुसार मंदिर को तोड़ कर बनी मस्जिद में घंटे की जंजीर अभी भी टंगी हुई है और भक्तों के लिए परिक्रमा का रास्ता बना हुआ है।