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Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 3 जून 2025 (16:04 IST)

चीन से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र नदी के बारे में 10 खास जानकारी

Brahmaputra River
Brahmaputra River: भारत ने पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते सिंधु नदी जल समझौता रद्द करके पानी रोक दिया है। पाकिस्तान का दावा है कि अगर भारत सिंधु जल संधि से पीछे हटता है तो चीन ब्रह्मपुत्र नदी का जल प्रवाह रोक सकता है, जिससे भारत को नुकसान होगा। पाकिस्तान की इस धमकी का असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने तथ्‍यपरक जवाब दिया है। चलिए इसी संदर्भ में जानते हैं ब्रह्मपुत्र नदी की 10 रोचक बातें। 
 
1. ब्रह्म पुत्र नदी का उद्गम: चाइनीज एकैडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) के वैज्ञानिकों ने ब्रह्मपुत्र के मार्ग का उपग्रह से ली गई तस्वीरों का विश्लेषण करने के साथ भारत-पाकिस्तान से बहने वाली सिन्धु और म्यांमार के रास्ते बहने वाली सालवीन और इर्रावडी के बहाव के बारे में भी पूरा विवरण जुटा लिया है। शोधाअनुसार ब्रह्मपुत्र (तिब्बती भाषा में यारलुंगजांगबो) का उद्‍गम स्थल तिब्बत के बुरांग काउंटी स्थित हिमालय पर्वत के उत्तरी क्षेत्र में स्थित आंग्सी ग्लेशियर है, न कि चीमा-युंगडुंग ग्लेशियर, जिसे भूगोलविद् स्वामी प्रणवानंद ने 1930 के दशक में ब्रह्मपुत्र का उद्‍गम बताया था। ALSO READ: अगर चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दे तो क्या होगा? हिमंता बिसवा सरमा ने दिया जवाब
 
2. ब्रह्म पुत्री की लंबाई और क्षेत्रफल: नए शोध परिणामों के मुताबिक ब्रह्मपुत्र नदी 3,848 किलोमीटर लंबी है और इसका क्षेत्रफल 7,12,035 वर्ग किलोमीटर है, जबकि पहले के दस्तावेजों में नदी की लंबाई 2,900 से 3,350 किलोमीटर और क्षेत्रफल 520,000 से 17 लाख 30 हजार वर्ग किलोमीटर बताया गया था।
 
3. बदलते नाम: ब्रह्मपुत्र के कई नाम और पहचान हैं। हर क्षेत्र में इसके स्वभाव और आचरण में भी फर्क है। तिब्बत स्थित पवित्र मानसरोवर झील से निकलने वाली सांग्पो नदी पश्चिमी कैलाश पर्वत के ढाल से नीचे उतरती है तो ब्रह्मपुत्र कहलाती है। तिब्बत के मानसरोवर से निकलकर बाग्लांदेश में गंगा को अपने सीने से लगाकर एक नया नाम पद्मा फिर मेघना धारण कर सागर में समा जाने तक की 3,848 किलोमीटर लंबी यात्रा करती है। ALSO READ: क्या ब्रह्मपुत्र पर बांध बना रहा है चीन, क्या है भारत सरकार का रुख?
 
4. तीन देशों की नदी: ब्रह्मपुत्र भारत ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे लंबी नदी है। यदि इसे देशों के आधार पर विभाजित करें तो चीन और तिब्बत से निकलकर यह भूटान और भारत में प्रवेश करती है। इसके बाद यह बांग्लादेश में प्रवेश करने के बाद बंगाल की खाड़ी में समा जाती है। इस क्रम में अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय, भूटान, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के पहाड़ों से निकली अन्य अनेक नदियां इसमें समाहित हो जाती हैं। इस दौरान अनेक नदियां और उनकी उप-नदियां आकर इसमें समा जाती हैं। हर नदी की अपनी कहानी है और उनके किनारे बसी जनजातियों की अपनी संस्कृति है। 
 
5. असम की खास नदी: असम के डिब्रूगढ़ में इसका मीलों लंबा पाट इसकी विशालता को दर्शाता है तो गुवाहाटी में दोनों ओर की पहाड़ियों के बीच से गुजरने के लिए यह अपना आकार लघु कर लेती है। फिर नीलाचल पहाड़, जिस पर मां कामाख्या का मंदिर है, का चरण स्पर्श करने के बाद आगे जाकर अपना विराट रूप धारण कर लेती है। असम के अधिकांश बड़े शहर इसी के किनारे विकसित हुए। डिब्रूगढ़, जोरहाट, तेजपुर, गुवाहाटी, धुबड़ी और ग्वालपाड़ा इसी के किनारे बसे हुए हैं। ALSO READ: भारत ने ब्रह्मपुत्र पर चीन की बांध योजना पर दिया बड़ा बयान, कहा- हितों की रक्षा के लिए करेंगे जरूरी उपाय
 
6. प्राचीन संस्कृति और सभ्यता की नदी: भारत को ब्रह्मपुत्र के सांस्कृति और धार्मिक इतिहास को संवरक्षित किए जाने की आवश्यकता है। यह नदी भी सिंधु सभ्यता की नदी से कम नहीं है। प्राचीन मानव इस नदी के आसपास रहता ही था। इस नदी क्षेत्र में सैकड़ों गुफाएं, घने जंगल और कई प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष पाएं जाएंगे। ब्रह्मपुत्र सिर्फ एक नदी नहीं है। यह एक दर्शन है-समन्वय का। इसके तटों पर कई सभ्यताओं और संस्कृतियों का मिलन हुआ है। आर्य-अनार्य, मंगोल-तिब्बती, बर्मी-द्रविड़, मुगल-आहोम संस्कृतियों की टकराहट और मिलन का गवाह यह ब्रह्मपुत्र रहा है। जिस तरह अनेक नदियां इसमें समाहित होकर आगे बढ़ी हैं, उसी तरह कई संस्कृतियों ने मिलकर एक अलग संस्कृति का गठन किया है। ब्रह्मपुत्र नदी क्षेत्र पर वृहत्तर आधार पर शोध किए जाने की आवश्यकता है। यह प्राचीन भारत के इतिहास से जुड़ी नदी है। 
 
7. चीन नदी को रोक भी दे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा: असम के मुख्यमंत्री ने कहा है कि चीन ब्रह्मपुत्र के कुल जल प्रवाह में केवल 30–35% योगदान देता है- वह भी ज्यादातर हिमनदों के पिघलने और सीमित वर्षा से। शेष 65–70% जल भारत के भीतर ही उत्पन्न होता है। भारत में ही इसकी कई सहायक नदियां हैं जिनके कारण यह विशाल हो जाती है। ALSO READ: तिब्बत में ब्रह्मपुत्र पर बांध बना रहा है चीन, क्या बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह?
 
8. ब्रह्मपुत्र का अर्थ: ब्रह्म अर्थात ईश्वर यानी इसका अर्थ हुई ईश्‍वर पुत्र। ब्रह्मा को ईश्‍वर पुत्र माना जाता है। ब्रह्मपुत्र नदी के नाम पर ही म्यांमार यानी बर्मा का कभी नाम ब्रह्मदेश हुआ करता था।
 
9. ब्रह्मपुत्र पर एशिया का सबसे बड़ा पुल: असम के तिनसुकिया में ब्रहमपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल का पीएम मोदी ने 2017 में ही कर दिया था। देश का सबसे लंबा धौला-सादिया पुल आम लोगों के लिए खुला है। यह पुल ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदी लोहित नदी पर बना है। प्रधानमंत्री ने 9.15 किलोमीटर लंबे ढोला-सादिया पुल का उद्घाटन किया जिससे असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच यात्रा का समय छह घंटे से कम होकर एक घंटा रह जाएगा। देश का यह सबसे लंबा पुल 182 खंभों पर टिका है।
 
10. ब्रह्मपुत्र का विलय: गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियाँ बांग्लादेश में पद्मा नदी के रूप में मिलती हैं, और फिर मेघना नदी के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। इस संगम के बाद संयुक्त जलधारा को मेघना के नाम से जाना जाता है।
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