समय के साथ सब कुछ बदलता रहता है लेकिन उनमें से कुछ बदलाव लाभदायक होते हैं और कुछ नुकसानदायक। जैसे परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती को अपनाया जा रहा है। जैसे परंपरागत जलस्रोतों को छोड़कर आरो का जल पीया जा रहा है। पूर्वजों के अनुभव से प्राप्त परंपराएं और ज्ञान को संरक्षित करने के महत्व को शायद ही कभी कोई समझता होगा। हालांकि जब यह ज्ञान या परंपरा खो जाती है, तो इसका नुकसान भी उठाना पड़ता है। परंपरागत ज्ञान ही है विज्ञान।
भारत में ऐसी बहुत सारी परंपराएं और ज्ञान प्रचलन में था, जो अब लुप्त हो गया है या जो अब प्रचलन से बाहर है। परंपरागत ज्ञान या परंपरा का महत्व ही कुछ और था। ये परंपराएं व्यक्ति को हर तरह की बाधाओं से मुक्त रखने के लिए होती थीं, लेकिन अब ये प्रचलन में लगभग बाहर हो चली हैं। खैर..हम आपको बताना चाहते हैं कि परंपरागत रूप से कैसा होना चाहिये आपका रसोई घर जिसे स्थानीय भाषा में चौका-चुल्हा और अंग्रेजी में किचन कहते हैं।
घर में फालतू का सामान बहुत होता है और छूट जाती है वे जरूरी वस्तुएं जो हमारे जीवन में संकट के दौरान काम में आती है। आधुनिक युग में व्यक्ति उन वस्तुओं पर ज्यादा आश्रित हो गया है जो विज्ञान के द्वारा जन्मी है, लेकिन उन वस्तुओं के अभाव में व्यक्ति खुद को पंगु महसूस करने लगता है।
रसोई हो आग्नेय कोण में : हम यह बताएं कि रसोई घर में क्या क्या रखें उससे पहले आप यह सुनिश्चत करें की आपका रसोई घर आग्नेय कोण में हो और जिसके पूर्व में एक उजालदान या खिड़की खुली हो। रसोई घर के लिये यह सबसे बेहतर स्थान होता है। हालांकि यदि आपका किचन आग्नेय कोण में नहीं है तो फिर किसी वास्तु विशेषज्ञ से मिलें। अगले पन्ने पर जानिए कौन-कौन सी वस्तुएं घर में रखना जरूर है।..
बर्तनों पर ध्यान दें : सेहतमंद खाना पकाने के लिए आप तेल-मसालों पर तो पूरा ध्यान देते हैं लेकिन क्या आप खाना पकाने के लिए बर्तनों पर ध्यान देते हैं? आज से ही इस बात पर भी ध्यान देना शुरू कर दें क्योंकि आप जिस धातु के बर्तन में खाना पकाते हैं उसके गुण भोजन में स्वत: ही आ जाते हैं।
खाना किसमें पकाएं?
कास्ट लोहे के बर्तन खाना पकाने के लिए सबसे सही पात्र माने जाते हैं। शोधकर्ताओं की माने तो लोहे के बर्तन में खाना बनाने से भोजन में आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्व बढ़ जाते हैं।
खाना किस में खाएं?
पीतल के बर्तन में भोजन करना, तांबे के बर्तन में पानी पीना अत्यंत ही लाभकारी होता है। हालांकि बाल्टी और बटलोई पीतल की होना चाहिए। एक तांबे का घड़ा भी रखें। इसके अलावा घर में पीतल और तांबे के प्रभाव से सकारात्मक और शांतिमय ऊर्जा का निर्माण होता है। ध्यान रहे कि तांबे के बर्तन में खाना वर्जित है।
हालांकि आजकल स्टेनलेस स्टील बर्तन में खाने का प्रचलन बढ़ गया है। यह भी साफसुधरे और फायदेमंद रहते हैं। स्टेनलेस स्टील एक मिश्रित धातु है, जो लोहे में कार्बन, क्रोमियम और निकल मिलाकर बनाई जाती है। इस धातु में न तो लोहे की तरह जंग लगता है और न ही पीतल की तरह यह अम्ल आदि से प्रतिक्रिया करती है।..किचन में प्लाटिक के बर्तन या डिब्बे तो बिल्कुल भी नहीं होना यह आपके किचनी ऊर्जा भी खराब करते हैं साथ ही इसका आपकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव गिरता है।
गुड़-चने और सत्तू रखें : प्राचीनकाल में लोग जब तीर्थ, भ्रमण या अन्य कहीं दूसरे गांव जाते थे तो साथ में गुड़, चना या सत्तू रखकर ले जाते थे। घर में भी अक्सर लोग इसका सेवन करते थे। यह सेहत को बनाए रखने में लाभदायक होता है। हालांकि आजकल लोग इसका कम ही सेवन करते हैं। सत्तू पाचन में हल्का होता है तथा शरीर को छरहरा बना देता है। जल के साथ घोलकर पीने से बलदायक मल को प्रवृत्त करने वाले, रुचिकारक, श्रम, भूख एवं प्यास को नष्ट करने वाले होते हैं।
कई बार कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए लोग गुड़ और चने खाना पसंद करते हैं, लेकिन इसके अलावा गुड़ और चना एनीमिया रोग दूर करने में काफी मददगार साबित होता है। कहते हैं कि 'जो खाए चना, वह रहे बना'। गुड़ और चना न केवल आपको एनीमिया से बचाने का काम करते हैं, बल्कि आपके शरीर में आवश्यक ऊर्जा की पूर्ति भी करते हैं। शरीर में आयरन अवशोषित होने पर ऊर्जा का संचार होता है जिससे थकान और कमजोरी महसूस नहीं होती।
ये सामग्री रखें रसोई घर में : निम्नलितिख वस्तुओं में कुछ पूजन सामग्री है तो कुछ खाने योग्य वस्तुएं हैं जो सेहत को सही रखती है। इसके और भी फायदे हैं। हालांकि इन सभी वस्तुओं के महत्व और उपयोग को विस्तार से जानना चाहिए। यहां सिर्फ नाम भर लिखे जा रहे हैं।
पंचामृत, नीम की दातून, गोखरु का कांटा, यज्ञोपवीत, अक्षत, मौली, अष्टगंध, दीपक, मधु, रुई, कपूर, धूपबत्ती, नारियल, लाल चंदन, केशर, कुश का आसन, मोटे कपड़े की दरी, इत्र की शीशी, कुंकू, मेहंदी, गंगाजल, खड़ी, हाथ का पंखा, सत्तू, पंचामृत, चरणामृत, स्वस्तिक, ॐ, हल्दी, हनुमान तस्वीर, गुढ़, लच्छा, बताशे, गन्ना, खोपरा, स्वच्छ दर्पण, तांबे का लोटा, बाल हरण, बड़ी इलाइची, ईसबगोल, शहद, मीठा सोडा, कलमी सोडा, चिरायता, नाव (औषधी), नीम तेल, तिल्ली का तेल, एलोविरा, अश्वगंधा, आंवला, गिलोई, अखरोट, बादाम, काजू, किशमिश, चारोली, अंजीर, मक्का, खुबानी, पिस्ता, खारिक, मूंगफली, मुलहठी, बेल का रस, नीबू, अदरक, बादाम तेल, काजू का तेल, खसखस, चारोली का तेल, नीम का तेल, अरंडी का तेल, आदि।
उपरोक्त सभी औषधियों के चमत्कारिक लाभ को आप यदि जानेंगे तो निश्चित ही इन्हें रखने पर मजबूर हो जाएगी।
लालटेन और मोमबत्ती : आजकल मोमबत्ती या दियाबत्ती तो सभी के घरों में होती है, लेकिन लालटेन अब बहुत ही कम घरों में रही है। मोमबत्ती कुछ देर जलने के बाद बुझ जाती है, लेकिन लालटेन बहुत देर तक जलती है और इसे आप अंधेर में लेकर कभी भी जा सकते हैं। हालांकि इसकी जगह टॉर्ज का उपयोग किया जाता है। टॉर्च भी होना चाहिए।
फिर भी लालटेन चारों तरफ उजाला देने वाली वस्तु है। इसके महत्व को भी समझा जाना चाहिए। जब लाइट चली जाती है तो यह संकट काल में बहुत काम की चीज है। खुदा न खास्ता यदि आपके शहर की लाइट चार दिन के लिए चली जाएगी तो आप क्या करेंगे। अंधेरे में लालटेन खरीदने जाएंगे?
सिगड़ी : गैस चूल्हा और इलेक्ट्रीक चूल्हा तो सभी के घरों में होता है, लेकिन आजकल सिगड़ी बहुत कम ही घरों में देखी गई है। अब सिगड़ी का प्रचलन नहीं रहा। हालांकि सिगड़ी आज भी बहुत उपयोगी है।
बैंगन का भर्ता बनाना हो तो सिगड़ी जरूरी है। कभी यदि अचानक गैस कि किल्लत पड़ गई तो इलेक्ट्रॉनिक चुल्हे के बजाय सिगड़ी पर खाना पकाएं। सिगड़ी तो ठंड के दिनों में ताप सेंकने के भी बहुत काम आती है। यदि आप सिगड़ी में नलीदार की बजाय लकड़ी के कोयले इस्तेमाल करेंगे तो धुंआ नहीं होगा। हालांकि नलीदार कोलने भी जलने के बाद धुंआ नहीं करते हैं।
उल्लेखीय है कि इलेक्ट्रॉनिक चुल्हे का खाना आप कभी-कभी ही खा सकते हैं। रोज खाना बीमारी को बुलाना होगा। जिन लोगों ने पहली बार गैसे के चुल्हे का इस्तेमाल किया था वे जानते हैं कि उसकी रोटी में गैस की बदबू होती है। प्रतिदिन खाने वालों को यह बदबू नहीं आती। कहते हैं कि सिगड़ी की रोटी या अन्य पके हुए भोजन का स्वाद प्राकृतिक और बहुत ही मजेदार होता है।
केटली और सुराही : केटली चाय की भी होती है और अन्य तरह के ज्यूस रखने के लिए भी होती है। इसी तरह सुराही पानी की होती है। केटली में आप बहुत देर तक कोई चीज ताजा और गर्म रख सकते हैं तो बालु की मिट्टी से बनी सुराही में पानी ठंडा, स्वच्छ और शीतल बना रहता है।
सुराही का पानी पीने का आनंद ही कुछ और होता है। घड़े, मटके और सुराही का पानी पीने में जो आनंद आता है, वह फ्रिज के ठंडे पानी में नहीं। जब आपका फ्रीज बंद हो और आपको ठंडे पानी की जरूरत हो तो सुराही का पानी ही काम आता है। इसी तरह केटली भी थर्मस का काम करती है।
चकमक पत्थर : हालांकि यदि आपके पास मासिच या लाइटर है तो इस पत्थर को घर में रखने की जरूरत नहीं। लेकिन यदि आप जंगल में फंस जाएं या बगैर माचिस या लाइटर के आग जलाने का काम पड़े तो आप सफेद रंग के इस पत्थर को आसानी से अपने आसपास ढूंढ सकते हैं।
चकमक पत्थर एक ऐसा पत्थर है जिसे इसी के समान दूसरे पत्थर के साथ रगड़ने पर लाइटर जैसी चिंगारी निकलती है। प्राचीनकाल में इसी पत्थर की चिंगारी से आग लगाई जाती है।
घट्टी, सिलबट्टा और खल बत्ता : अब आजकल घरों में आनाज पीसने की छोटी घट्टी नहीं मिलती हालांकि ग्रामिण क्षेत्रों में अभी भी यह पायी जाती है। इसी तरह मसाला आदि पीसने का पत्थर, या खलबत्ता भी बहुत कम घरों में होता है।
कभी यदि आटा चक्की बंद हुई या कर्फ्यू के दौरान आटे की जरूरत पड़ी तो मात्र दो बाइ दो फुट की घट्टी से आप हर तरह का अनाज घर में ही पीस सकते हैं। यह घट्टी उसी तरह बहुत काम की है जिस तरह की मिक्सर की जगह काम आने वाला खल बत्ता।
सूखे खाद्य पदार्थ : हालांकि यह सभी के घरों में होता है। यात्रा में, उपवास में या किसी दिन जब भोजन न बने तब सूखे मेवे और अन्य पदार्थ बहुत उपयोगी होते हैं। मैगी या नूडल्स के जमाने में आजकल इनको कोई नहीं पूछता।
सूखे मेवों में काजू, बादाम, अखरोट, किशमिश, मनुक्का, पिस्ता, पिकन, खूबानी, छुआरा, मखाने, अंजीर, आदि आते हैं। उपरोक्त सूखे मेवे खाते रहने से शरीर मजबूत और सेहत मंद बना रहेगा साथ ही किसी भी प्रकार का रोग नहीं होगा। इसी तरह अन्य सूखे खाद्य पदार्थों में चना, गुढ़, मूंगफली, पापड़, सेव भी बहुत उपयोगी है। यह वह भोज्य पदार्थ हैं जो बहुत समय तक खराब नहीं होते हैं और यात्रा में या किसी अन्य संकट काल में यह काम आते हैं। एक मुट्ठीभर चले खाकर भी आप दिनभर की ऊर्जा इकट्ठी कर सकते हैं।
फिटकरी : फिटकरी के फायदे भी है और नुकसान भी। हालांकि फिटकरी को किचन में रखने से किचन के किटाणु दूर भगाए जा सकते हैं। फिटकरी के रखने रहने मात्र से ही किचन का वस्तु दोष दूर होता है और हवा में न दिखाई देने वाले किटाणु मारे जाते हैं। किचन में फटकरी के पानी को पोछा लगाते रहना चाहिये। फिटकरी और किस काम आ सकती है जानिये..
*गंदगी को साफ करना फिटकरी का बेहतरीन गुण है। इसका प्रयोग पीने के पानी को साफ करने के लिए किया जाता है, ताकि पानी में मौजूद कीटाणु समाप्त हो जाएं और पानी साफ। इसके अलावा त्वचा की सफाई के लिए भी फिटकरी का उपयोग किया जाता है।
*रक्त के बहाव को कम करने के लिए फिटकरी बहुत काम की चीज है। किसी चोट के कारण रक्त का बहाव हो तो उस स्थान पर फिटकरी लगाना फायदेमंद होता है। इसके अलावा फिटकरी लगाने से बैक्टीरिया भी नहीं पनपते।
*अगर आप यूरीन संबंधी समस्या या इंफेक्शन से परेशान हैं, तो फिटकरी के पानी से संबंधित स्थान की सफाई करना बेहतर होगा। इससे बैक्टीरिया खत्म हो जाएंगे और इंफेक्शन फैलने के बजाए वह ठीक हो जाएगा।
*त्वचा के दाग धब्बे हटाने के लिए फिटकरी एक बढ़िया उपाय है। आप चाहें तो नियमित रूप से चेहरे पर फिटकरी से मसाज करें या फिर फिटकरी से पानी से चेहरे को साफ करें। त्वचा बेदाग हो जाएगी।
*अगर आपके दांतों में दर्द है और आपको उससे निजात नहीं मिल रही, तो फिटकरी का पाउडर संबंधित स्थान पर लगाएं। ऐसा करने पर आपको दांत दर्द से निजात मिल जाएगी।
*शरीर पर जमी गंदगी और कीटाणुओं को समाप्त करने के लिए फिटकरी के पानी से नहाना बहुत अच्छा उपाय है। यह आपके शरीर और पसीने की बदबू को भी कम करेगा।
*सर्दी के कारण पैदा होने वाली समस्याओं जैसे - खांसी, बलगम आदि में फिटकरी का चूर्ण शहद में मिलाकर लेने से राहत मिलती है। सांस संबंधी समस्या में भी इसे भूनकर खाना फायदेमंद होता है।