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क्या प्राचीनकाल में रीछ मानव होते थे?

क्या प्राचीनकाल में रीछ मानव होते थे? । bear jamwant - bear jamwant
क्या इंसानों के समान कोई पशु हो सकता है? जैसे रीछ प्रजाति। रामायण में जामवंतजी को एक रीछ मानव की तरह दर्शाया गया है। सवाल यह उठता है कि क्या सचमुच में रीक्ष मानव होते थे? रीक्ष को हिन्दू में भालू कहा जाता है और संस्कृत में ऋक्ष। अजर अमर होने का वरदान प्राप्त अग्नि पुत्र जामवन्त को ऋक्षपति कहा जाता है। यह ऋक्ष बिगड़कर रीछ हो गया जिसका अर्थ होता है भालू अर्थात भालू के राजा। लेकिन क्या वे सचमुच भालू मानव थे?
धार्मिक मान्यता : प्राचीनकाल में इंद्र पुत्र, सूर्य पुत्र, चंद्र पुत्र, पवन पुत्र, वरुण पुत्र, अग्नि पुत्र आदि देवताओं के पुत्रों का अधिक वर्णन मिलता है। उक्त देवताओं को स्वर्ग का निवासी कहा गया है। एक ओर जहां हनुमानजी और भीम को पवनपुत्र माना गया है, वहीं जामवन्तजी को अग्नि पुत्र कहा गया है। जामवन्त की माता एक गंधर्व कन्या थी। जब पिता देव और माता गंधर्व थीं तो वे कैसे रीछ मानव हो सकते हैं? 
 
एक दूसरी मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने एक ऐसा रीछ मानव बनाया था, जो दो पैरों से चल सकता था और जो मानवों से संवाद कर सकता था। पुराणों के अनुसार वानर और मानवों की तुलना में अधिक विकसित रीछ जनजाति का उल्लेख मिलता है। वानर और किंपुरुष के बीच की यह जनजाति अधिक विकसित थी। निश्चित ही अब जाम्बवंत की जाति लुप्त हो गई है। हालांकि यह शोध का विषय है।
 
जाम्बवंत को आज रीछ की संज्ञा दी जाती है, लेकिन वे एक राजा होने के साथ-साथ इंजीनियर भी थे। समुद्र के तटों पर वे एक मचान को निर्मित करने की तकनीक जानते थे, जहां यंत्र लगाकर समुद्री मार्गों और पदार्थों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता था। मान्यता है कि उन्होंने एक ऐसे यंत्र का निर्माण किया था, जो सभी तरह के विषैले परमाणुओं को निगल जाता था। रावण ने इस सभी रीछों के राज्य को अपने अधीन कर लिया था। जाम्बवंत ने युद्ध में राम की सहायता की थी और उन्होंने ही हनुमानजी को उनकी शक्ति का स्मरण कराया था।
 
जब युद्ध में राम-लक्ष्मण मेघनाद के ब्रह्मास्त्र से घायल हो गए थे, तब किसी को भी उस संकट से बाहर निकलने का उपाय नहीं सूझ रहा था। तब विभीषण और हनुमान जाम्बवंतजी के पास गए, तब उन्होंने हनुमानजी से हिमालय जाकर ऋषभ और कैलाश नामक पर्वत से 'संजीवनी' नामक औषधि लाने को कहा था। माना जाता है कि रीछ या भालू इन्हीं के वंशज हैं। जाम्बवंत की उम्र बहुत लंबी थी। 5,000 वर्ष बाद उन्होंने श्रीकृष्ण के साथ एक गुफा में स्मयंतक मणि के लिए युद्ध किया था। भारत में जम्मू-कश्मीर में जाम्बवंत गुफा मंदिर है। जाम्बवंत की बेटी के साथ कृष्ण ने विवाह किया था।
 
अगले पन्ने पर पढ़िये क्या कहते हैं वैज्ञानिक...

वैज्ञानिकों के अनुसार अर्सिडी कुल का एक मांसाहारी, स्तनी, झबरे बालों वाला बड़ा जानवर होता था जो रीछ जैसा था। यह लगभग पूरी दुनिया में कई प्रजातियों में पाया जाता है। मुख्‍यतया इसकी 5 प्रजातियां हैं- काला, श्वेत, ध्रुवीय, भूरा और स्लोथ भालू।
अमेरिका और रशिया में आज भी भालू मानव के किस्से प्रचलित हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि कभी इस तरह की प्रजाति जरूर अस्तित्व में रही होगी। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि भूरे रंग का एक विशेष प्रकार का भालू है जिसे नेपाल में 'येति' कहते हैं।
 
एक ब्रिटिश वैज्ञानिक शोध में पता चला है कि हिमालय के मिथकीय हिममानव 'येति' भूरे भालुओं की ही एक उपप्रजाति हो सकती है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ब्रायन स्काइज द्वारा किए गए बालों के डीएनए परीक्षणों से पता चला है कि ये ध्रुवीय भालुओं से काफी कुछ मिलते-जुलते हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भूरे भालुओं की उप-प्रजातियां हो सकती हैं।
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