इटली के अबरूजो नेशनल पार्क में करीब 40 मार्सिकन ब्राउन भालू अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। इटली के ही एक वैज्ञनिक इन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए इनका क्लोन बनाने की तैयारी में है लेकिन ये इतना आसान भी नहीं।
1980 से अब तक शहरीकरण के विस्तार से इनकी आधी आबादी विलुप्त हो चुकी है। इनमें से कुछ दूसरे जानवरों के लिए बिछाए गए जाल में फंस कर जहर के शिकार हो गए तो कुछ की ट्रैफिक हादसों में मौत हो गई। हालांकि ईयू फंडिंग के तहत इनके संरक्षण के लिए कोशिशें की जाती रही हैं लेकिन मार्सिकन भालुओं की संख्या में कमी ही आई है।
इटली की तेरामो यूनिवर्सिटी में बायोमेडिसिन के प्रोफेसर पास्कलीनो लोई मानते हैं कि मार्सिकन भालुओं को बचाने के लिए इनके क्लोन बनाए जाने चाहिए। उन्होंने डॉयचे वेले से कहा, 'मार्सिकन भालू लगातार मर रहे हैं, इस तरह कम से कम वे प्रकृति में प्रजनन के लिए तो मौजूद होंगे।'
2001 में यूरोप में एक जंगली भेड़ की खत्म हो रही प्रजाति के क्लोनिंग प्रोजेक्ट में लोई प्रमुख थे। यह क्लोन 6 महीने में मर गया था। अब वह मार्सिकन भालू का क्लोन बनाने की तैयारी में हैं। हाल ही में इटली के एक हाइवे पर मिले एक मार्सिकन भालू के शव से कोशिकाएं निकाल कर लोई इसकी क्लोनिंग के 'इनविटरो फेज' के प्रयोग कर रहे हैं।
कुत्ते की कोख में भालू : मार्सिकन भालू के क्लोन बनाने में लोई वही तकनीक इस्तेमाल कर रहे हैं जो कि 1996 में पहली क्लोन भेड़ डॉली को तैयार करने में अपनाई गई थी। इस तकनीक में सोमैटिक सेल के नाभिक को ऐसी दूसरी मादा के अंडाशय में रखा जाता है जिसका जेनेटिक तंत्र समान ही हो।
लोई ने कहा, 'हमें ऐसी कोख की आवश्यक्ता होगी जैसे बड़े कुत्ते, जिनका जेनेटिक सिस्टम भालू जैसा होता है।' उन्होंने बताया कि एक कुतिया 6 से 8 भालू के बच्चों का जन्म हो सकेगा।
लोई मानते हैं कि अगर मार्सिकन भालू का क्लोन तैयार भी हो जाए तो भी उनकी जेनेटिक भिन्नता का मसला रहेगा। जब किसी नस्ल आबादी में बहुत ज्यादा ही घट जाती है तो उसकी जेनेटिक भिन्नता पर भी बहुत ज्यादा असर पड़ता है, इतना कि उसकी भरपाई नहीं हो सकती। वह मानते हैं कि क्लोन बनाने से नस्ल को बचाए रखने में जरूर मदद मिलेगी।
यह क्लोन से तैयार नस्ल इसलिए भी ज्यादा ताकतवर होगी क्योंकि कोई बीमारी उन्हें इकट्ठा मार नहीं पाएगी। भालुओं की यह नस्ल खत्म होने से बेहतर है कि कम भिन्नता वाले ही सही लेकिन करीब 4,000 ऐसे भालू जिंदा हों।
खतरे में अन्य भी : जीवन की लड़ाई में विलुप्ति की कगार पर खड़े मार्सिकन भालू अकेले नहीं हैं। यूरोप में 42 फीसदी स्तनपायी, 15 फीसदी पंछी और 52 फीसदी पानी में रहने वाली मछलियां और दूसरे जानवर खतरे में हैं। इन पर ज्यादा बड़ा खतरा इनके रिहाइशी इलाकों में इंसान के घुस जाने के कारण है। पेड़ पौधों की भी करीब 1,000 प्रजातियां खतरे में हैं।
वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ कोष में यूरोप की जैव विविधता पॉलिसी के सलाहकार अलबर्टो अरोयो मानते हैं कि खतरे में जी रही प्रजातियों को बचाने के लिए बेहताशा खर्च कर उनके क्लोन बनाना सही नहीं है। क्लोनिंग तकनीक न सिर्फ महंगी और जोखिम भरी है बल्कि इसकी कामयाबी की दर भी पांच फीसदी से कम है।
अरोयो कहते हैं, 'लुप्त हो रहे जानवरों को बचाने में कामयाबी मिल सकती है लेकिन क्लोनिंग में वैसी कामयाबी मिलेगी यह कहना मुश्किल है। अगर वही संसाधन सही तरीकों से इस्तेमाल किए जाएं तो शायद क्लोनिंग के विकल्प के बारे में सोचने की जरूरत ही ना पड़े।'
प्रोफेसर लोई भी इस बात से सहमत हैं। वह मानते हैं कि अगले दस सालों तक हम क्लोनिंग के जरिए कामयाबी हासिल करने की स्थिति में नहीं हैं लेकिन भविष्य में क्लोनिंग को बेहतर बनाने के लिए बायोबैंक बनाने की जरूरत है। बायो बैंकों में पशुओं की कोशिकाओं के नमूने इकट्ठा कर फ्रीज कर दिए जाते हैं। पिछले लगभग एक दशक से लोई विलुप्त हो रही प्रजातियों की कोशिकाओं के नमूने इकट्ठे करने पर जोर दे रहे हैं। अमेरिका और ब्राजील में इस तरह के प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं।
कानून की कमी : यूरोपीय समिति के पर्यावरण मामलों के प्रवक्ता योजेफ हेनोन ने बताया कि खतरे में या विलुप्त हो रही जानवरों की प्रजातियों का संरक्षण क्लोनिंग के जरिए करना फिलहाल योजना में नहीं है। उन्होंने कहा, 'ईयू का मकसद है 2020 तक जैव विविधता को हो रहे नुकसान को रोकना और उसकी भरपाई करना।'
नैचुरा 2000 पॉलिसी के तहत ईयू ने सुरक्षित पारिस्थिकीय तंत्रों का नेटवर्क शुरू किया है, इससे खतरा झेल रही प्रजातियों के संरक्षण में मदद मिलेगी। पिछले साल ही ईयू ने जैव विविधता योजना 2020 को अपनाया। उम्मीद है कि इन कदमों से जैव विविधता और परितंत्र को पहले जैसा किया जा सकेगा।
यूरोपीय संघ के देशों में फिलहाल संरक्षण के लिए क्लोनिंग का फैसला सदस्य देशों की सरकारों पर निर्भर करता है। लोई का मार्सिकस भालू क्लोनिंग प्रोजेक्ट फिलहाल इनविटरो फेज में है। अगर प्रयोग सफल हुआ तो वह इटली के पर्यावरण मंत्रालय से मार्सिकन भालू का क्लोन बनाने के लिए अनुमति लेंगे।
रिपोर्ट: शार्लोटे लोमास/ एसएफ संपादन: ओंकार सिंह जनौटी