- लाइफ स्टाइल
» - रोमांस
» - प्रेम-गीत
- हमशक्ल तुमसे, मेरे दिन
हमशक्ल तुमसे, मेरे दिन
सुशील शुक्लमैंने सारी उम्र गलाकर पत्तों से कुछ शिद्दत लेकरशाखों से कुछ ख्वाब मँगाकर थोड़े से दिन ढाले हैं। आना, जरा देखना क्या मेरे इक भी दिन का चेहरा उसकी आँखें या कि माथा या फिर ठुड्डी या कम से कम कोई तिल ही यार तुम्हारे किसी रोज से मिलता है।