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- तेरी याद भी पास आती नहीं
तेरी याद भी पास आती नहीं
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जया जादवानीजिस दिन कुछ होता नहींतेरी याद भी पास आती नहींभाग जाती दिखकर दूर से झलकियाँ उसे पकड़ने को मैं भागता पीछे-पीछेकैसी नटखट कि कभीदिन भर झूलती रहती गले सेकभी ऐसी गायब कि ज्योंबदली की रातों का चाँदपकड़ के कभी मरोड़ देती उँगली मेरीकभी आती खामोशियों के पीछे छिपकरकभी रोशनी को पता बतातीआज नहीं आई है तो सोचता हूँ नाराज है क्या खता हुई मुझसेमेरी दोस्त थी, साथ चलती थीहो कहीं अँधेरा साथ जलती थीखाली सड़क देखता बैठा हूँ कोई तो एतबार उसका तोड़ा होगा कि मेले में छूट गई उँगली उसकीमैं दीवानावार उसको ढूँढता हूँ।