मेरे अंतर्मन में एक उजाड़ जंगल बहुत उदास बेहद वीरान जिसमें चीखता 'सन्नाटा' पूछता है मुझसे क्यों चाहा तुमने 'विराट' को हृदय की शांति के लिए तो एक नन्ही सी बगिया ही पर्याप्त है जिसमें भावसुमनों की सुरभि प्रसारित होती रहे और साथ में दंश सहते गुलाब अपनी मुस्कान को बनाए रखें कितनी बार समझाया है कि बड़े होने की अपेक्षा, छोटा और छोटा बहुत छोटा लेकिन आत्मीय भाव वाला छोटा होना कहीं अधिक बेहतर है क्यों चाहा तुमने विराट को जो अब जंगल है बहुत उदास बेहद वीरान और उसमें चीखता हुआ - मैं मैं - सन्नाटा तुममें गूँजता तुम्हीं में चीखता तुमसे पूछता - सन्नाटा!