मैंने तुम्हें प्यार किया, जिसे अस्वीकार करूँ तो मर जाऊँ, कौन जाने अब भी मेरे सीने में सुलग रहा हो... दुखी मत होओ, मेरे चुनाव पर यकीन रक्खो, मैंने कभी तकलीफ न दी, और न ही दुख पहुँचाया मैंने तुम्हें सच्चाई से, चुपचाप, निस्वार्थ भाव से प्रेम किया, मेरे दिल में अब भी उसी प्रेम की उत्सुक आग सुलग रही है मेरा प्यार बेकाबू ईर्ष्यालु जुनून था खुदा करे बहिश्त से तुम्हें बिल्कुल ऐसा ही एक और प्यार मिले। - एलेक्झेंडर पुश्किन (महान रूसी कवि)