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Written By भाषा

टेनिस 2010 : सोमदेव, सानिया की चमक

टेनिस 2010 : सोमदेव, सानिया की चमक -
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पुरुष एकल में सोमदेव देववर्मन का जानदार प्रदर्शन और चोट के बाद सानिया मिर्जा की दमदार वापसी ने 2010 में भारतीय टेनिस को कुछ यादगार अवसर और अगले साल और अधिक सफलता का विश्वास दिया।

पुरुष एकल में सोमदेव बड़े दावेदार बनकर उभरे जबकि युगल में लिएंडर पेस और महेश भूपति के नौ साल अलग रहने के बाद अगले सत्र के लिए फिर एक होने की खबरों ने भारतीय टेनिस प्रेमियों को खुश होने का मौका दिया।

लेकिन अगर इस साल किसी को स्टार चुना जाएगा तो वह सोमदेव ही होंगे। असम के इस खिलाड़ी के लिए 2010 यादगार रहा और उन्हें अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया।

सोमदेव इस साल शीर्ष 100 खिलाड़ियों की सूची में अंदर बाहर होते रहे। अक्टूबर में उन्होंने कैरियर की सर्वश्रेष्ठ 94वीं रैंकिंग हासिल की। उन्होंने साल का अंत अपने से बेहतर रैंकिंग वाले शीर्ष वरीय उज्बेकिस्तान के डेनिस इस्तोमिन को हराकर किया और एशियाई खेलों की पुरुष एकल स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बने।

उन्होंने पुरुष युगल में भी सनम सिंह के साथ स्वर्ण पदक जीता जबकि टीम को काँस्य पदक दिलाने में भी मदद की। भारतीय टेनिस के लिए ग्वांग्झू एशियाई खेल काफी सफल रहे यहाँ सोमदेव के दो स्वर्ण के अलावा उसे मिश्रित युगल (सानिया मिर्जा और विष्णु वर्धन) में रजत के अलावा महिला एकल (सानिया) और पुरुष टीम स्पर्धा में काँस्य मिला।

इससे पहले अक्टूबर में दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में टेनिस खिलाड़ियों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा और वे एक स्वर्ण के अलावा एक रजत और एक काँस्य पदक ही जीत पाए। राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले सोमदेव एकमात्र भारतीय रहे जब पुरुष एकल फाइनल में उन्होंेने आस्ट्रेलिया के ग्रेग जोन्स को हराया।

सानिया को महिला एकल में रजत मिला जबकि महिला युगल में उन्होंने रश्मि चक्रवर्ती के साथ मिलकर काँस्य जीता। सानिया के लिए यह साल काफी अच्छा रहा और उन्होंने पिछले साल चोटों से जूझने के बाद जोरदार वापसी की। इस साल इस 24 वर्षीय के लिए यादगार रहा और इस दौरान वह अप्रैल में पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक के साथ विवाह के बंधन में भी बंधी।

शादी के बाद सानिया ने कलाई की चोट के कारण ब्रेक लिया और फिर मजबूत वापसी की। भारत को राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में चार पदक दिलाने के अलावा अलावा उन्होंने साल के अंतिम में 17 महीने बाद खिताब जीता। फिलहाल दुनिया की 141वें नंबर की खिलाड़ी ने दुबई में 13वीं अल हबतूर टेनिस चैलेंज के फाइनल में 80वें नंबर की सर्बिया की बोजाना जोवानोवस्की को हराया।

दूसरी तरफ सोमदेव ने जोरदार प्रदर्शन किया लेकिन शीर्ष स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए उन्हें और सुधार करना होगा। वह 2010 में ग्रैंड स्लैम के मुख्य ड्रा में जगह बनाने में सफल रहे लेकिन वह बामुश्किल की पहले दौर से आगे बढ़ पाए।

फ्रेंच ओपन के लिए क्वालीफाई करने के बाद वह पहले दौर में स्विट्जरलैंड के मार्को च्यूडिनेली से हार गये जबकि अमेरिकी ओपन के पहले दौर में भी उन्हें दक्षिण अफ्रीका के केविन एंडरसन के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा। विम्बलडन में वह मुख्य ड्रॉ में जगह बनाने में विफल रहे।

रोहन बोपन्ना ने हालांकि पुरुष युगल में पाकिस्तान के आयसम उल हक कुरैशी के साथ जोड़ी बनाकर सफलता का स्वाद चखा। भारत और पाकिस्तान की यह जोड़ी विम्बलडन के क्वार्टर फाइनल और अमेरिकी ओपन के फाइनल में पहुँची।

बोपन्ना ने इस दौरान एटीपी युगल सूची में कैरियर की सर्वश्रेष्ठ 30वीं रैंकिंग भी हासिल की। उन्होंने कुरैशी के साथ मिलकर फरवरी में एटीपी वर्ल्ड टूर डबल्स खिताब जीता जबकि इस जोड़ी को 2010 में प्रतिष्ठित ‘ग्रां प्री में पीस एंड स्पोर्ट्स’ और ‘पीस एंड स्पोर्ट इमेज ऑफ द ईयर’ पुरस्कार भी मिला।

भारत ने इसी साल डेविड कप के विश्व ग्रुप प्ले आफ में ब्राजील को 3 . 2 से हराकर विश्व ग्रुप में जगह बनाई। पेस ने इस साल की शुरूआत कारा ब्लैक के साथ आस्ट्रेलियाई ओपन के मिश्रित युगल खिताब के साथ की। उन्होंने इसके बाद इसी खिलाड़ी के साथ मिलकर विम्बलडन का खिताब भी जीता और भारत की ओर से सर्वाधिक ग्रैंडस्लैम जीतने वाले खिलाड़ी बने। (भाषा)