कविता : गणतंत्र दिवस आया है
- निर्मला श्रीवास्तव
आज नई सज-धज से गणतंत्र दिवस फिर आया है। नव परिधान बसंती रंग कामाता ने पहनाया है। भीड़ बढ़ी स्वागत करने को बादल झड़ी लगाते हैं। रंग-बिरंगे फूलों में ऋतुराज खड़े मुस्काते हैं। धरती मां ने धानी साड़ी पहन श्रृंगार सजाया है। गणतंत्र दिवस फिर आया है।भारत की इस अखंडता कोतिलभर आंच न आने पाए।हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाईमिलजुल इसकी शान बढ़ाएं।युवा वर्ग सक्षम हाथों सेआगे इसको सदा बढ़ाएं।इसकी रक्षा में वीरों नेअपना रक्त बहाया है।गणतंत्र दिवस फिर आया है।